पटना: बीजेपी राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Rajya Sabha MP Sushil Kumar Modi) ने बीजेपी कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर नीतीश सरकार पर जमकर निशाना (Sushil Kumar Modi Target CM Nitish Kumar) साधा. उन्होंने साफ-साफ कहा कि नगर निकाय का चुनाव स्थगित हुआ है. उसके जिम्मेदार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) हैं. आजकल मुख्यमंत्री कहते फिर रहे हैं कि वर्ष 2007 में 2012 में और 17 में भी चुनाव हुए, लेकिन भाजपा उस समय में साथ में थी. और कभी भी विरोध नहीं किया. तो उन्हें यह पता होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया. ट्रिपल टेस्ट कमेटी बनाने का वह वर्ष 2021 में दिया है. यानी मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनाव को लेकर जो बातें कही, उसको बिहार सरकार ने पालन नहीं किया. और यही कारण रहा कि अंत में नगर निकाय चुनाव जो होने वाले थे. उन्हें हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया. जिसके जिम्मेदार मुख्यमंत्री हैं.
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'जानकारी के वाबजूद बिहार में कमिटी नहीं बनाई गई और इससे नीतीश कुमार का अतिपिछड़ा विरोधी चेहरा सामने आ गया है. मुख्यमंत्री को इस मामले को लेकर इस्तीफा दे देना चाहिए, हम उनसे इस्तीफा की मांग करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मई 2021 में जो निर्देश दिया था, वह सिर्फ महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के लिए नहीं था, बल्कि देश के सभी राज्यों के लिए था. राज्य चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को सब कुछ बता दिया था, इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां पर 222 कमेटी नहीं बनाई और यही कारण रहा कि हाईकोर्ट ने चुनाव को स्थगित कर दिया.' - सुशील मोदी, बीजेपी राज्यसभा सासंद
सुशील कुमार मोदी ने सीएम नीतीश पर साधा निशाना : उन्होंने सीएम पर आरोप लगाया कि जबसे नीतीश कुमार महागठबंधन में गए हैं, वो अति पिछड़ा समाज के बातों पर विश्वास नहीं करते हैं. और उनका पूरा-पूरा ध्यान एमवाई समीकरण की तरफ चला गया. यही कारण है कि नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा के आरक्षण के कारण ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कमेटी नहीं बनाई. हम लोग मांग करते हैं कि जल्द से जल्द अति पिछड़ा को आरक्षण लागू कर नगर निकाय चुनाव करवाया जाए. साथ ही जिस तरह से इस मामले में भारतीय जनता पार्टी को वो दोषी ठहरा रहे हैं, वह पूरी तरह से गलत है.
नगर निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक बयानबाजी : बीजेपी राजय्सभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही आरक्षण का समर्थक रही है. जब-जब सरकार में भारतीय जनता पार्टी रही है, लगातार आरक्षण का समर्थन करती रही है. इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कारण ही अति पिछड़ों को आरक्षण नगर निकाय चुनाव में नहीं मिला और यही कारण है कि नगर निकाय चुनाव स्थगित हो गई, और मुख्यमंत्री का असली चेहरा सामने आ गया है. वो अति पिछड़ा विरोधी हैं, और इस घटना को लेकर पूरी तरह से दोषी हैं. हम लोग मांग करते हैं कि वो इसके लिए इस्तीफा दें.
नगर पालिका चुनाव 2022 स्थगित : गौरतलब है कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने अगले आदेश तक के लिए नगर पालिका चुनाव 2022 को स्थगित कर दिया (Bihar Municipal Election Postponed) है. पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया है. नगर पालिका आम निर्वाचन 2022 के पहले और दूसरे चरण के लिए 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को होने वाले मतदान की तिथि को तत्काल स्थगित कर दिया है. जानकारी दी गयी है कि स्थगित निर्वाचन की अगली तिथि जल्द ही सूचित की जाएगी.
तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला : बता दें कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़ें जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे.