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पटना में पंचायत स्तर पर मिलेगा बारिश का आंकड़ा, वर्षा मापी यंत्र लगाने का काम जारी

पटना में पंचायत स्तर पर बारिश के आंकड़ों की सही जानकारी के लिए वर्षा मापी यंत्र लगाया जा रहा है. इसके मदद से पता चल पायेगा कि किस पंचायत में कितनी मात्रा में बारिश होती है. बारिश के आंकड़ों के आधार पर किसान इलाके में मौसम अनुकूल फसलों का चयन कर सकेंगे. पढ़ें पूरी खबर.

वर्षा मापी यंत्र
Rain Measuring Unit
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Published : Feb 7, 2022, 1:10 PM IST

पटनाः बारिश का पंचायत स्तर पर स्थिति जाने के लिए पटना जिले के सभी पंचायतों में बारिश मापी यंत्र (Rain Measuring Unit Installation In Panchayats Of Patna) लगाया जायेगा. जिले के मसौढ़ी प्रखंड के 17 पंचायत, धनरूआ के 19 पंचायत और पुनपुन के 13 पंचायतों में स्वचालित वर्षा मापी यंत्र लगाने का काम अंतिम चरण में है. पंचायत स्तर पर बारिश के आकंड़े मिलने पर किसान मौसम अनुकूल कृषि कर पायेंगे. कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, वर्षा मापी यंत्र से इलाके में तेज बारिश, ओलावृष्टि जैसे अन्य मौसम की गतिविधियों की सटीक जानकारी मिल पायेगी.

ये भी पढ़ें- भागलपुर जिले में लगेंगे वर्षा मापी यंत्र, मौसम में होने वाले बदलाव की मिलेगी सही जानकारी

पंचायत स्तर पर मिलेगा बारिश का आंकड़ा

वर्षा मापक यंत्र ऑटोमेटिक संचालित होता है. बारिश की पूरी रिपोर्ट कृषि विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग में ऑटोमेटिक ट्रांसफर हो जाएगा. ग्राउंड से मुख्यालय के बीच यंत्र इंटरनेट के माध्यम से कनेक्ट रहता है. आंकड़ा दिन, माह, साल के हिसाब से सिस्टम में स्टोर होता चले जायेगा.

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के मसौढ़ी प्रखंड अध्यक्ष विजय कुमार ने बताया कि स्वचालित वर्षा मापी यंत्र से किसानों को काफी फायदा होगा. बारिश का आंकड़ा पंचायत स्तर पर एकत्रित किया जाएगा. कृषि विभाग, मौसम विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग, जल संसाधन और लघु-जल संसाधन विभाग सहित अन्य सरकारी और शैक्षणिक संस्थाएं आंकड़ों का उपयोग अपने-अपने हिसाब से योजना निर्माण और शोध के लिए कर सकेंगे. इसरो योजना में तकनीकी सहयोग दे रहा है.

आत्मा के प्रखंड अध्यक्ष ने विजय कुमार ने आगे बताया कि किसानों को मौसम के बारे में सटीक जानकारी मिलेगी. वर्षा मापक यंत्र लगाने के लिए 17 से 20 मीटर जगह की जरूरत होती है. जहां यह यंत्र स्थापित होगा उसके आसपास कोई मकान और पेड़ पौधे नहीं होना चाहिए. इसके चयन में कई अन्य मानकों को भी देखा जाता है.

वर्षा मापी यंत्र लगाने का काम योजना एवं विकास विभाग के जिम्मे है. इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी वर्षा मापी यंत्र लगाने वाली एजेंसी को 5 वर्षों के लिए दिया गया है. इस दौरान प्लांट में गड़बड़ी या सोलर प्लेट में खराबी आदि को एजेंसी तय समय के भीतर दूर करेगी.

ये भी पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट: बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसलों को नुकसान, सरकार से लगाई मदद की गुहार

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पटनाः बारिश का पंचायत स्तर पर स्थिति जाने के लिए पटना जिले के सभी पंचायतों में बारिश मापी यंत्र (Rain Measuring Unit Installation In Panchayats Of Patna) लगाया जायेगा. जिले के मसौढ़ी प्रखंड के 17 पंचायत, धनरूआ के 19 पंचायत और पुनपुन के 13 पंचायतों में स्वचालित वर्षा मापी यंत्र लगाने का काम अंतिम चरण में है. पंचायत स्तर पर बारिश के आकंड़े मिलने पर किसान मौसम अनुकूल कृषि कर पायेंगे. कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, वर्षा मापी यंत्र से इलाके में तेज बारिश, ओलावृष्टि जैसे अन्य मौसम की गतिविधियों की सटीक जानकारी मिल पायेगी.

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पंचायत स्तर पर मिलेगा बारिश का आंकड़ा

वर्षा मापक यंत्र ऑटोमेटिक संचालित होता है. बारिश की पूरी रिपोर्ट कृषि विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग में ऑटोमेटिक ट्रांसफर हो जाएगा. ग्राउंड से मुख्यालय के बीच यंत्र इंटरनेट के माध्यम से कनेक्ट रहता है. आंकड़ा दिन, माह, साल के हिसाब से सिस्टम में स्टोर होता चले जायेगा.

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के मसौढ़ी प्रखंड अध्यक्ष विजय कुमार ने बताया कि स्वचालित वर्षा मापी यंत्र से किसानों को काफी फायदा होगा. बारिश का आंकड़ा पंचायत स्तर पर एकत्रित किया जाएगा. कृषि विभाग, मौसम विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग, जल संसाधन और लघु-जल संसाधन विभाग सहित अन्य सरकारी और शैक्षणिक संस्थाएं आंकड़ों का उपयोग अपने-अपने हिसाब से योजना निर्माण और शोध के लिए कर सकेंगे. इसरो योजना में तकनीकी सहयोग दे रहा है.

आत्मा के प्रखंड अध्यक्ष ने विजय कुमार ने आगे बताया कि किसानों को मौसम के बारे में सटीक जानकारी मिलेगी. वर्षा मापक यंत्र लगाने के लिए 17 से 20 मीटर जगह की जरूरत होती है. जहां यह यंत्र स्थापित होगा उसके आसपास कोई मकान और पेड़ पौधे नहीं होना चाहिए. इसके चयन में कई अन्य मानकों को भी देखा जाता है.

वर्षा मापी यंत्र लगाने का काम योजना एवं विकास विभाग के जिम्मे है. इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी वर्षा मापी यंत्र लगाने वाली एजेंसी को 5 वर्षों के लिए दिया गया है. इस दौरान प्लांट में गड़बड़ी या सोलर प्लेट में खराबी आदि को एजेंसी तय समय के भीतर दूर करेगी.

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