नालंदा/नवादा/भागलपुर/किशनगंज/लखीसराय: बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर राज्य के कई जिलों में दवा दुकानदारों ने आक्रोश मार्च निकाला. प्रदर्शनकारी विक्रेताओं ने बताया कि अनुज्ञप्ति दुकानदारों को फार्मासिस्ट की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के नाम पर उन्हें परेशान किया जा रहा है.
दुकानदारों का कहना है कि बिहार राज औषधि नियंत्रण प्रशासन के पदाधिकारियों द्वारा उनका शोषण किया जा रहा है. इसी के विरोध में आज दवा दुकानदारों ने प्रदर्शन किया. इस दौरान दवा दुकानदारों ने अपनी-अपनी दुकानें को बंद रखा.
कई जिलों में प्रदर्शन
दवा विक्रेताओं का ये प्रदर्शन नालंदा, नवादा, भागलपुर, किशनगंज, लखीसराय समेत कई जिलों में देखने को मिला. बिहार शरीफ शहर में विशाल प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन करते हुये लोग जिला समाहरणालय पहुंचे, जहां शिष्ट मंडल द्वारा नालंदा के जिलाधिकारी को 3 सूत्रीय मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा गया.
19 जुलाई तक का दिया डेडलाइन
वहीं किशनगंज के दर्जनों दवा दुकानदारों ने भी किशनगंज डिस्ट्रिक्ट केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के बैनर तले विरोध जुलूस निकालकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और डीएम को ज्ञापन सौंपा. ड्रगिस्टस एसोसिएशन के सचिव जंगी दास ने बताया कि अगर 19 जुलाई तक हमारी बात नहीं मानी गई तो हमलोग 20 जुलाई से जिले के थोक विक्रेता-निर्माता कंपनियों से किसी भी प्रकार के दवा की खरीददारी नहीं करेंगे.
फार्मासिस्ट की कमी है राज्य में
दरअसल, केंद्रीय नियमानुसार फार्मेसी एक्ट 1948 के सेक्शन 42 तथा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 एवं रूल्स 1945 के अंतर्गत खुदरा दवा दुकानों में फार्मासिस्ट की अनिवार्यता है. लेकिन बिहार में दवा दुकानों की अपेक्षा फार्मासिस्ट की उपलब्धता की कमी शुरू से ही रही है.
सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाये गये
लोगों ने बताया कि इस कमी को दूर करने के लिए बिहार में इसका कोई समाधान नहीं हुआ. न ही फार्मेसी संस्थान को विकसित किया गया, जिस कारण से आज ये एक जटिल समस्या बन गई है. देश के दूसरे राज्यों ने तो काफी पहले अपने यहां फार्मेसी संस्थान को विकसित कर लिया. यहां तक कि पड़ोसी राज्य झारखंड में पिछले 1 साल में लगभग 50 और उत्तर प्रदेश में लगभग 250 से 300 फार्मेसी संस्थानों को मान्यता दी गई है.
सरकार ने बनाया कानून
बिहार में फार्मासिस्ट्स की कमी होने के बावजूद बिहार सरकार ने सालों से राज्य औषधि नियंत्रण और प्रशासन द्वारा खुदरा दवा दुकानों के लिए अनुज्ञप्ति धड़ल्ले से निर्गत किया. अब सरकार की तरफ से इस कानून के नाम पर फार्मासिस्ट उपलब्ध कराने के लिये जोर दिया जा रहा है.
कानून के नाम पर शोषण का आरोप
लखीसराय और भागलपुर में भी दवा विक्रेताओं का प्रदर्शन देखने को मिला. भागलपुर में भी केमिस्ट एसोसिएशन ने ड्रग लाइसेंस रिन्यूअल के खिलाफ समाहरणालय परिसर में प्रदर्शन करते हुये डीएम को एक मांग पत्र सौंपा. मांग पत्र में बिहार राज्य औषधि नियंत्रण प्रशासन द्वारा जारी अनुज्ञप्तिधारी दुकानदारों को फार्मासिस्ट की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के नाम पर विभाग द्वारा शोषण करने की बात लिखी गई है.
तीन सूत्रीय मांग
ड्रग एंड केमिस्ट एसोसिएशन के ऑर्गेनाइजर सेक्रेटरी प्रदीप जैन ने कहा कि पूरे बिहार भर में 40 हजार दवा दुकानदार हैं, जिनमें सरकार के पास करीब 4000 फार्मासिस्ट हैं. उन्होंने कहा कि इतने कम फार्मासिस्ट हैं तो हम लोग अब नये फार्मासिस्ट कहां से लाएंगे. उन्होंने सरकार से मांग किया कि जो लाइसेंस अभी निर्गत कर दिए गए हैं उन्हीं को यथास्थिति बहाल रखा जाए.