पटना: बिहार की राजधानी पटना में जिला दर्जा प्राप्त गुरु गोविंद सिंह अस्पताल (Guru Gobind Singh Hospital) इन दिनों बदहाली के आलम से जूझ रहा है. करोड़ों का प्रोजेक्ट फाइल में ही सिमटकर रह गया है. हकीकत में महीनों से ऑपरेशन थियेटर बंद पड़े हैं.
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बिहार सरकार सूबे के सभी मेडिकल अस्पताल के साथ-साथ जिला दर्जा प्राप्त अस्पताल की सुविधा दुरुस्त करने की बात कहती है, लेकिन इसके बावजूद स्तिथि ना के बराबर ही है. जिला दर्जा प्राप्त अस्पताल इन दिनों बदहाली के आलम में जूझ रहा है, कोई भी गम्भीर या प्रसव कराने आये मरीजों को डॉक्टर नहीं रहने के कारण लौटना पड़ता है, जबकि इस अस्पताल को सौंदर्यीकरण एवं व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिये सरकार ने करोड़ों की योजना दी है, लेकिन वो सभी योजनाएं फाइल में अटकी हुई हैं.
अस्पताल बदहाली के आंसू बहा रहा है. गुरु गोविंद सिंह अस्पताल सुधार समिति के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने अस्पताल की कुव्यवस्था के खिलाफ मोर्चा खोला और मुख्य द्वार पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और अस्पताल में व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की. उन्होंने बताया कि 6 महीनों से ओटी सेवा बंद हैं. प्रसव कराने कोई भी महिला आती है तो डॉक्टर की अनुपस्थिति में वापस लौट जाती है, जिससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और पटना साहिब के विधायक नंदकिशोर यादव समेत कई अधिकारी इस अस्पताल का दर्जनों बार निरीक्षण कर चुके हैं. अस्पताल को आधुनिक बनाने के लिए कई योजनाओं का शुभारंभ भी कर चुके हैं, इसके बावजूद इस अस्पताल में सुविधा नदारद है.