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पटनाः चाइनीज बल्व की बिक्री से कुम्हारों को नुकसान, पुस्तैनी धंधा छोड़ने को हो रहे मजबूर - मिट्टी के दीये न बिकने से परेशान कुम्हार

राजधानी के पालीगंज अनुमंडल के दुल्हिन बाजार प्रखंड के बेल्होरी गांव के कुम्हार परिवार वर्षों से मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते आ रहे है. लेकिन चाइनीज बल्व की वजह से इनके दीयों की बिक्री पर भारी असर पड़ा है.

मजबूर कुम्हार
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Published : Oct 26, 2019, 9:36 AM IST

पटनाः दीपावली के मौके पर दूसरों के घर को रोशन करने वालों की बदहाली से अंजान लोग चाइनीज समानों को खरीदने में व्यस्त हैं. लोग चाइनीज सामान के आगे दीये और मिट्टी के अन्य सामानों को नहीं खरीदते. वहीं, चाइनीज सामानों की बढ़ती बिक्री के कारण कुम्हार अपना पुस्तैनी धंधा छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं.

पुस्तैनी धंधा छोड़ने को कुम्हार मजबूर
पालीगंज अनुमंडल अंतर्गत दुल्हिन बाजार प्रखंड के बेल्होरी गांव के कुम्हार परिवार वर्षों से मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते आ रहे हैं. वहीं गांव के कुम्हार ने बताया कि साल में एक बार दिवाली आती है और उसी का इंतजार पूरा परिवार करता है. दीपावली के दो माह पूर्व से ही पूरे परिवार के लोग मिट्टी का दीया बनाने में दिन रात एक कर के लग जाते हैं. वहीं, मिट्टी का चूल्हा सहित बच्चों का खिलौना बनाने में लग जाते हैं.

पुस्तैनी धंधा छोड़ने को मजबूर कुम्हार

मिट्टी के दीये न बिकने से परेशान कुम्हार
वहीं, मिट्टी के बर्तन बनाने वाली एक महिला अपने भाग्य को कोसते हुए कहती है कि मौसम खराब होने के कारण आज तक बर्तन नहीं हो पाया है. अब दीपावली के मात्र दो दिन ही बाकी हैं. इसमें कैसे बाजार में दीया और खिलौना की बिक्री होगी. वहीं उन्होंने बताया कि बाजार में रंग बिरंगी चाइनीज बल्व की बिक्री ज्यादा होने के कारण हम लोग के सामान की बिक्री कम हो गई है. जिससे लागत पूंजी और मजदूरी भी निकलना मुश्किल हो गया है. लेकिन बच्चों के भरण पोषण के लिए पुस्तैनी काम को करते रहते हैं. हम लोगों के पर सरकार भी कोई ध्यान नहीं देती है. सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिलती है.

पटनाः दीपावली के मौके पर दूसरों के घर को रोशन करने वालों की बदहाली से अंजान लोग चाइनीज समानों को खरीदने में व्यस्त हैं. लोग चाइनीज सामान के आगे दीये और मिट्टी के अन्य सामानों को नहीं खरीदते. वहीं, चाइनीज सामानों की बढ़ती बिक्री के कारण कुम्हार अपना पुस्तैनी धंधा छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं.

पुस्तैनी धंधा छोड़ने को कुम्हार मजबूर
पालीगंज अनुमंडल अंतर्गत दुल्हिन बाजार प्रखंड के बेल्होरी गांव के कुम्हार परिवार वर्षों से मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते आ रहे हैं. वहीं गांव के कुम्हार ने बताया कि साल में एक बार दिवाली आती है और उसी का इंतजार पूरा परिवार करता है. दीपावली के दो माह पूर्व से ही पूरे परिवार के लोग मिट्टी का दीया बनाने में दिन रात एक कर के लग जाते हैं. वहीं, मिट्टी का चूल्हा सहित बच्चों का खिलौना बनाने में लग जाते हैं.

पुस्तैनी धंधा छोड़ने को मजबूर कुम्हार

मिट्टी के दीये न बिकने से परेशान कुम्हार
वहीं, मिट्टी के बर्तन बनाने वाली एक महिला अपने भाग्य को कोसते हुए कहती है कि मौसम खराब होने के कारण आज तक बर्तन नहीं हो पाया है. अब दीपावली के मात्र दो दिन ही बाकी हैं. इसमें कैसे बाजार में दीया और खिलौना की बिक्री होगी. वहीं उन्होंने बताया कि बाजार में रंग बिरंगी चाइनीज बल्व की बिक्री ज्यादा होने के कारण हम लोग के सामान की बिक्री कम हो गई है. जिससे लागत पूंजी और मजदूरी भी निकलना मुश्किल हो गया है. लेकिन बच्चों के भरण पोषण के लिए पुस्तैनी काम को करते रहते हैं. हम लोगों के पर सरकार भी कोई ध्यान नहीं देती है. सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिलती है.

Intro:चाइनीज प्रोडक्ट के बाजार में बढ़ते बिक्री के कारण पुष्तैनी धंधा छोड़ने के मजबूर कुम्हार,परिवार बच्चों के भरण पोषण रोजी रोटी पर आई आफत ।


Body:पटना पालीगंज अनुमंडल अंतर्गत दुल्हिन बाजार प्रखंड के बेल्होरी गांव के कुम्हार परिवार वर्षो से मिटी की बर्तन बनाने का काम करते आ रहे है वही सुरेंद्र पंडित ने बताया की साल में एक बार दीपावली आता है उसी के आस पर पूरा परिवार दीपावली का इंतजार करते है ,।
दीपावली के दो माह पूर्व से पूरे परिवार मिटी का दिया बनाने में दिन रात एक कर के लग जाते है वही मिटी का चुका चूल्हा सहित बच्चों का खिलौना बनाने में लग जाते है ।
वही गीता देवी ने बताया कि मिटी की बर्तन बनाने में कोई फायदा नही होता है लेकिन पूर्वज का पुस्तेनी धंधा है उसका निर्वहन किया जा रहा है ,उन्हों ने बताई की मौसम खराब होने के कारण पानी से मिटी की कच्चा दिया बर्तन काफी नुकशान हो गया ,सारे परिवार के मेहनत पर पानी फिर गया , वही परिवार का मजदूरी भी नही आय गा ।
वही कोशेल्या देवी ने बर्तन पकाने के दौरान अपनी भाग को कोस रही थी की मौसम खराब होने के कारण आज तक बर्तन नही पक पाया है अब दीपावली के मात्र दो दिन ही बाकी है इसमें कैसे बाजार में दिया और खिलौना की बिक्री होगा ,वही उन्होंने बताया की बाजार में रंग बिरंगी चाइनीज ब्लॉब की बिक्री ज्यादा होने के कारण हम लोग का मिटी की दिया कि बिक्री कम हो गया है जिससे लागत पूंजी और मजदूरी भी निकलना मुश्किल हो जाता है ।लेकिन कोशेल्या ने बताया कि बच्चों के भरण पोषण के लिए पुस्तेनी काम को करते रहे है ।

कौशलया ने बर्तन पकाने के दौरान आग के धुसे से परेशान होकर झुंझला कर बोली कि पापी पेट का सवाल है नही तो इस धुंआ से आँख की रोशनी चली गई लेकिन कोई हमलोग को देखने वाला नही है ।


Conclusion: मिटी की बर्तन बनाने वाली गीता देवी ने बताया कि मिटी से लेकर जलावन तक खरीद कर बर्तन को बनाने में पूरे परिवार बुजुर्ग महिला बच्चा सभी दिन रात एक कर के लगे रहते है लेकिन चाइनीज रँगबिरगी लाइट बाजार में आने से पूरे परिवार के मेहनत पर पानी फिर जाता है ,हम लोगो के ऊपर भी सरकार कोई ध्यान नही देती है वही सरकार के तरफ से किसी तरह का कोई सहायता नही मिलता है ।
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