पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) लंबे समय से बिहार की सत्ता पर काबिज हैं. उनकी अगुवाई में राज्य में तेजी से विकास का काम हुए हैं. कई बड़ी परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं. बिहार में पुल-पुलिया और फ्लाईओवर का जाल बिछ गया है. बिहार की औसत विकास दर डबल डिजिट में रही है. 2016 तक बिहार सरकार ने वार्षिक रिपोर्ट कार्ड (Annual Report Card of Bihar) पेश करने की परिपाटी कायम की थी लेकिन शराबबंदी लागू होने के बाद से बिहार सरकार ने सालाना रिपोर्ट कार्ड पेश करने से तौबा कर लिया. हां इस बार भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री ने अपने विभाग के वार्षिक रिपोर्ट कार्ड जरूर पेश किए हैं.
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बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद से टैक्स कलेक्शन में 98.59% की कमी दर्ज की गई है. बिहार सरकार को हर साल 5000 करोड़ से अधिक का नुकसान हर साल हो रहा है. बीआरजीएफ के तहत मिलने वाला ग्रांट भी बिहार को अब नहीं मिल पा रहा है. डबल डिजिट ग्रोथ होने के चलते अब यह ग्रांट अर्थात 12 हजार करोड़ की राशि पश्चिम बंगाल के हिस्से चली गई है. बिहार में वैट के जरिए टैक्स कलेक्शन 20% के आसपास हुआ करता था लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद से टैक्स कलेक्शन 14% से एक कम हो गया है. जिस वजह से बिहार को केंद्र से अतिरिक्त सहायता लेना पड़ रहा है. कोरोना संकटकाल इसमें भी कमी आई है.
इस बारे में आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि बिहार में विकास हो नहीं रहा है. भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है तो सरकार किस बात की रिपोर्ट पेश करेगी. उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार पूरी तरह फेल है. इसीलिए ये सरकार अब बिहार का वार्षिक रिपोर्ट कार्ड (Annual Report Card of Bihar) पेश नहीं करती है.
वहीं, जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि रिपोर्ट कार्ड पेश करने की परिपाटी किन परिस्थितियों में शुरू हुई और किन परिस्थितियों में खत्म हुई, यह मुझे जानकारी नहीं है लेकिन नीतीश सरकार में जो विकास के कार्य गांव और शहरों में किए हैं उसकी गवाही आम जनता दे रही है.
उधर बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने भी कहा कि रिपोर्ट कार्ड पेश नहीं किया जाना अलग बात है लेकिन बिहार में विकास हुए हैं. नेता प्रतिपक्ष के बड़े भाई पटना में हुए विकास को सोशल मीडिया के जरिए लोगों को दिखा रहे हैं. लिहाजा आरजेडी को अपना चश्मा उतारना चाहिए.
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू (Liquor Prohibition Law in Bihar) होने के बाद बिहार में विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगी है. इसके अलावा कई मोर्चो पर राज्य को आर्थिक क्षति हो रही है, जिसका असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है. शायद इन्हीं कारणों से राज्य सरकार विकास की गति को रफ्तार नहीं दे पा रही है. जब विकास कार्य उम्मीद के मुताबिक नहीं हो रहे हों तो ऐसी स्थिति में सरकार रिपोर्ट कार्ड पेश करने से परहेज कर रही है.
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