पटना: बिहार में अमित शाह एक महीने के अंदर दूसरी बार दौरा करने वाले हैं. इसको लेकर जदयू खेमे में बेचैनी दिख रही है. जेपी के जयंती के मौके पर जब बिहार आएंगे तो निश्चित रूप से निशाने पर इस बार भी सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (RJD Supremo Lalu Prasad Yadav) होंगे. केंद्रीय मंत्री अमित शाह पिछले महीने सितंबर में 23 और 24 को पूर्णिया और किशनगंज में कार्यक्रम में शामिल हुए थे. अभी पूर्णिया रैली का जदयू जवाब भी नहीं दे पाई थी कि अमित शाह का जेपी जयंती के मौके पर बिहार आने का कार्यक्रम बन गया है. जदयू खेमे में इसको लेकर बेचैनी है.
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जेपी जयंती पर बिहार से लेकर नागालैंड तक सियासत : बिहार में महागठबंधन की सरकार है और लालू प्रसाद यादव से लेकर नीतीश कुमार अपने को जीपी का अनुयायी और शिष्य बताते रहे हैं. जदयू की ओर से भी पटना के ज्ञान भवन में जेपी जयंती पर बड़ा कार्यक्रम किया गया है. पोस्टर भी लगाए गए हैं जिसमें नीतीश कुमार के मुंह से जेपी की कहानी सुनाने की बात कही गई है. लेकिन नीतीश कुमार नागालैंड जाने वाले हैं. नागालैंड में अगले साल चुनाव है और जदयू पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ने का पहले ही ऐलान कर चुकी है. जेपी की जयंती के सहारे नीतीश कुमार नागालैंड में जमीन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. 11 अक्टूबर को नागालैंड में भी जेपी के नाम पर ही कार्यक्रम हो रहा है.
अमित शाह के दौरे को लेकर बिहार में सियासत तेज: अमित शाह के दौरे को लेकर बयानबाजी भी शुरू हो गई है. ललन सिंह ने कहा है कि जेपी के बारे में अमित शाह को पता भी है या नहीं, उन्होंने पढ़ा भी है कि नहीं लोकसभा चुनाव तक बिहार में कैंप करें, क्या दिक्कत है. गौरतलब है कि देश में जेपी क्रांति के कारण ही कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी थी. देश में आपातकाल लागू हुआ था, जेपी की जन्मस्थली सिताब दियारा में है. नीतीश कुमार भी सिताब दियारा में कई बार कार्यक्रम में शामिल हुए हैं लेकिन इस बार पार्टी सूत्रों के अनुसार नागालैंड जाने वाले हैं. अब देखना होगा कि पटना के कार्यक्रम में भी शामिल होते हैं कि नहीं. लेकिन अमित शाह के अचानक बने कार्यक्रम से जदयू और नीतीश कुमार की मुश्किलें एक बार जरूर बढ़ गई है. इसलिए जदयू खेमे की तरफ से बयानबाजी भी शुरू हो गई है.
'2024 लोकसभा अब दिख रहा है तो जेपी याद आएंगे ही. नीतीश कुमार जेपी आंदोलन की ही उपज हैं. देश में कहीं भी जेपी के नाम पर कार्यक्रम हो तो वहां जा सकते हैं. लेकिन जिन्हें जेपी से कोई लेना-देना नहीं रहा वो जेपी के सिद्धांतों के विपरीत कार्य करते रहे हैं. केवल राजनीति के लिए जेपी जयंती पर मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं.' - उपेंद्र कुशवाहा, अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड
'जदयू के नेता जीपी के अनुयायी होने की बात करते हैं लेकिन हमेशा अपमान करने का काम ही क्या है. जेपी ने कांग्रेस के खिलाफ अपना आंदोलन चलाया लेकिन आज कांग्रेस की गोद में ही बैठे हुए हैं तो जेपी की आत्मा दुखी ही हो रही होगी. जहां तक बीजेपी की बात है तो बीजेपी शुरू से जेपी जयंती मनाते रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय अरुण जेटली भी आते रहे हैं. अब अमित शाह आ रहे हैं लेकिन जदयू के लोग राजनीति करने में लगे हैं.' - अरविंद सिंह, बीजेपी प्रवक्ता
'लोकनायक जेपी का नाम बड़ा नाम है और सभी लोग इसे भुनाने की कोशिश करते रहे हैं. अमित शाह बिहार आएंगे तो नीतीश कुमार नागालैंड में कार्यक्रम में शामिल होंगे और स्वाभाविक है, जेपी जयंती पर जब अमित शाह बिहार आएंगे तो निशाने पर नीतीश कुमार और महागठबंधन की सरकार होगी, जेपी के सिद्धांत और नीतियों की चर्चा करेंगे. इसलिए महागठबंधन खेमे में बेचैनी होना स्वाभाविक है.' - रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ