पटना: बिहार में केंद्रीय एजेंसियों की गतिविधि को लेकर सियासत (Politics On Activity of Central Agencies in Bihar) शुरू हो गई है. राजद समेत महागठबंधन के कुछ घटक दल सीबीआई और ईडी की गतिविधियों को बिहार में प्रतिबंधित करना चाहते हैं. इसके लिए बाकायदा सीएम नीतीश कुमार पर दबाव बनाया जा रहा है. वहीं भाजपा पूरे घटनाक्रम को संघीय ढांचे पर प्रहार करार बता रही है. दरअसल बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के बाद से ज्यादातर घटक दल सीबीआई और ईडी की गतिविधियों को बिहार के अंदर सीमित करना चाहते हैं. राजद पूरे मामले पर आक्रमक है, पार्टी नेता यह कह रहे हैं कि राज्य सरकार सीबीआई जांच के लिए स्वीकृति ना दें.
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बिहार में CBI ED जांच पर मचा संग्राम : महागठबंधन सहयोगियों की मांग के बाद राज्य में सीबीआई जांच के लिए दी जाने वाली आम सहमति वापस लेने के प्रस्ताव पर बिहार में सियासी संग्राम है. वहीं भाजपा ने पूरे घटनाक्रम को दुखद करार दिया है. इसको लेकर भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद (BJP Spokesperson Nikhil Anand) ने कहा कि बिहार की महागठबंधन सरकार आंतरिक राजनीतिक विरोधाभास और भ्रष्टाचार से संबंधित मुद्दों के कारण असुरक्षित महसूस कर रही है. जिसमें राजद बुरी तरह फंस गया है लेकिन ये महागठबंधन दल स्वायत्त केंद्रीय सरकार की एजेंसियों पर सिर्फ तथ्य को भटकाने के लिए शोर-शराबा कर रहे हैं. भाजपा नेता ने कहा कि महागठबंधन नेता संघीय ढांचे को खत्म करना चाहते हैं. नीतीश कुमार पर सीबीआई को लेकर जो दबाव बनाया जा रहा है, वह अनुचित है एजेंसियों को अपना काम करने दिया जाना चाहिए.
''वे भ्रष्ट सहयोगियों को बचाने के लिए भारत के संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक ताने-बाने को चुनौती देने के लिए तैयार हैं. अब अपराध और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस रखने का सीएम नीतीश कुमार एंड कंपनी के लिए एक झूठा नारा भर रह गया है. ऐसा लगता है कि सीबीआई ने कुछ दस्तावेजी सबूत एकत्र किए हैं, जिससे राजद को डर लग रहा है. सीएम नीतीश कुमार और गठबंधन पार्टी के नेताओं पर राजद का बहुत दबाव है कि वे ऐसे कदम उठाएं जो संघीय परंपरा के खिलाफ हो. सीबीआई को राज्य में होने वाले अपराध और भ्रष्टाचार के मामले में जांच में बाधा पहुंचाने की मानसिकता से आम सहमति वापस लेने के संभावित प्रयास के बाद नीतीश कुमार का छद्मवेशी चाल, चरित्र, चेहरा अब उजागर हो गया है." - निखिल आनंद, भाजपा प्रवक्ता