पटनाः सूबे में कोरोना के कारण बिगड़े हालत को नियंत्रित करने को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिलों में क्वारंटाइन सेंटर बनाने का निर्देश दिया है. वहीं सरकार के इस फैसले पर बिहार की राजनिति भी गरमा रही है. सत्तापक्ष के नेता जहां इसे कारगर कदम बता रहे हैं, वहीं विपक्ष का आरोप है कि क्वॉरंटाइन सेंटर बनाने के नाम नेता और अधिकारी लूट खसोट करने में जुटे हैं.
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क्या है निर्देश?
आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा राज्य के सभी जिलों में क्वारंटाइन सेंटर बनाने का निर्देश दिया गया है. इसके लिए अनुमंडल स्तर पर एक बड़े भवन को चिन्हित कर उसे क्वारंटाइन सेंटर बनाया जाना है. इस सेंटर में कोरोना जांच कराने वाले लोगों को चार दिनों तक रखा जाएगा. साथ ही उन्हें भोजन, नाश्ता, दूध के साथ-साथ मास्क, सैनिटाइजर और साबुन आदि सुविधाएं दी जाएंगी. विभाग ने सेंटर पर बिजली की व्यवस्था के लिए ऊर्जा विभाग और पेयजल व शौचालय की व्यवस्था के लिए पीएचडी विभाग को पत्र लिखा है.
"सरकार राज्य वासियों के साथ-साथ बाहर से आने वाले लोगों को भी पर्याप्त व्यवस्था मुहैया कराने में जुटी है. जो भी लोग अन्य राज्यों से अपने घर लौट रहे हैं, वहां उनके ठहरने और कोविड टेस्टिंग की व्यवस्था की जाएगी." -अभिषेक झा,जदयू प्रवक्ता
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"सरकार संक्रमित लोगों के इलाज से ज्यादा आइसोलेशन और क्वारेंटाइन सेंटर बनाना ज्यादा जरूरी समझ रही है. मरीजों का इलाज कराना ज्यादा जरूरी है. लेकिन सरकार में बैठे लोग आपदा में लूट का अवसर तलाश रहे हैं. आइसोलेशन सेंटर या क्वॉरंटाइन सेंटर का कोई ऑडिट नहीं होता है. इसके कारण बिहार सरकार में बैठे आला अफसर गिद्ध की तरह सेंटर चलाकर जनता के लाश पर से रुपया कमाना चाहते हैं. इन सेंटरों में होने वाले खर्चे की जांच होनी चाहिए, तभी घोटाले का पर्दाफाश होगा." -आसित नाथ तिवारी, कांग्रेस प्रवक्ता
"राज्य सरकार लगातार लोगों का जान बचाने में जुटी है, लेकिन बेरोजगार विपक्ष सिर्फ बयानबाजी कर रहा है. उन्हें राजनीति करने का मकसद पता होना चाहिए. वे भी आगे आकर जनता की सेवा करें. चुनाव में जनता ने तो उन्हें नकार दिया, लेकिन वह आज भी नहीं सुधर रहे हैं."-अखिलेश सिंह, बीजेपी प्रवक्ता