पटना: मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान कई व्यक्तियों की आंखों की रौशनी खो जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर (PIL filed in Patna High Court for Muzaffarpur Case) की गई है. याचिका मुकेश कुमार और अन्य के द्वारा दायर की गई है.
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याचिका के जरिये हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने का अनुरोध किया गया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन और राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपना आंख खोना पड़ा. याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था.
कोर्ट को बताया गया कि जिम्मेदार अधिकारियों और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंखें गंवानी पड़ी. अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने की मांग की गई है. पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने की भी मांग की गई है.
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने बताया कि उक्त अस्पताल को राज्य सरकार और केंद्र सरकार से आर्थिक मदद भी मिली है. 22 नवंबर से 27 नवंबर 2021 के बीच 330 व्यक्तियों का कैटरेक्ट मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था.
बता दें कि बीते 22 नवंबर को मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद ऑपरेशन कैंप (Muzaffarpur Cataract Operation Camp) लगाया गया था. इस शिविर में 65 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था. आंख का ऑपरेशन कराए मरीजों ने बताया कि, ऑपरेशन का एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि, उनकी आंखों में जलन, दर्द और नहीं दिखने जैसी समस्याएं होने लगी. इसके बाद इन लोगों ने जब इसकी शिकायत आई हॉस्पिटल पहुंचकर चेकअप कराया तो डॉक्टरों ने इंफेक्शन की बात कही. डॉक्टरों ने आंखें निकलवाने की सलाह दी. डॉक्टरों ने कहा कि, अगर आंख नहीं निकाली गई तो, दूसरा आंख भी खोना पड़ेगा.
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