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सरकार का आदेश, सरकारी पदाधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा करने से पहले लेनी होगी इजाजत

राज्य सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि सरकारी पदाधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा करने से पहले इजाजत लेनी होगी. वर्ष 2008 में तत्कालीन प्रधान सचिव अफजल अमानुल्लाह के पत्र का हवाला देते हुए यह निर्देश दिया गया है. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Sep 18, 2021, 2:19 PM IST

Bihar government employee
Bihar government employee

पटना: बिहार सरकार (Bihar Government) के एक पुराने आदेश का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने राज्य के सभी शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देशित किया है कि किसी भी सरकारी पदाधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज करने से पहले सरकार से इजाजत जरूरी है. आदेश में कहा गया है कि सभी मामले आपराधिक नहीं हो सकते. इस मामले में स्पष्ट है कि नियोजक सरकार है तो सरकार ही कार्रवाई की प्रकृति तय करेगी.

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शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार (Additional Chief Secretary Sanjay Kumar) ने राज्य के सभी आरडीडीई, सभी डीईओ और सभी डीपीओ को बिहार सरकार के एक पुराने आदेश का उल्लेख करते हुए निर्देश दिया है कि किसी भी सरकारी पदाधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध मुकदमा या प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में राज्य सरकार के निर्णय के मुताबिक ही कार्रवाई की जाए.

अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने वर्ष 2008 में तत्कालीन प्रधान सचिव अफजल अमानुल्लाह के पत्र का हवाला देते हुए निर्देश दिया है कि किसी विभाग अथवा संगठन से संबंधित किसी पदाधिकारी या कर्मी के द्वारा कोई ऐसा काम किया गया है जिसमें विभाग/संगठन/सरकार को क्षति हुई है, तब ऐसी परिस्थिति में संबंधित विभाग या संगठन के प्रधान के परामर्श से ही आपराधिक मामला दर्ज होगा. प्राथमिकी दर्ज करने के समय यह सुनिश्चित कर लेना आवश्यक है कि आरोपित सरकारी अधिकारी/कर्मी का दोष आपराधिक प्रवृत्ति का है.

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सरकारी अधिकारी/कर्मी के कार्यकलाप से यदि सरकार को क्षति होती है तो सरकार जो कि नियोजक है, उसी को यह अधिकार प्राप्त है कि वह उस कर्मी पर किस प्रकार की कार्रवाई करे. वर्ष 2008 में गृह विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव अफजल अमानुल्लाह ने आदेश जारी किया था कि सरकारी अधिकारी या कर्मचारी राज्य सरकार के अंग हैं. इसलिए यदि किसी के कार्यकलाप से सरकार को हानि होती है तो सरकार को ही यह अधिकार है कि वह उस कर्मचारी या अधिकारी पर किस प्रकार की कार्रवाई करें. क्योंकि उसकी नियोजक यानी एंपलॉयर सरकार है.

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पटना: बिहार सरकार (Bihar Government) के एक पुराने आदेश का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने राज्य के सभी शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देशित किया है कि किसी भी सरकारी पदाधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज करने से पहले सरकार से इजाजत जरूरी है. आदेश में कहा गया है कि सभी मामले आपराधिक नहीं हो सकते. इस मामले में स्पष्ट है कि नियोजक सरकार है तो सरकार ही कार्रवाई की प्रकृति तय करेगी.

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शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार (Additional Chief Secretary Sanjay Kumar) ने राज्य के सभी आरडीडीई, सभी डीईओ और सभी डीपीओ को बिहार सरकार के एक पुराने आदेश का उल्लेख करते हुए निर्देश दिया है कि किसी भी सरकारी पदाधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध मुकदमा या प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में राज्य सरकार के निर्णय के मुताबिक ही कार्रवाई की जाए.

अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने वर्ष 2008 में तत्कालीन प्रधान सचिव अफजल अमानुल्लाह के पत्र का हवाला देते हुए निर्देश दिया है कि किसी विभाग अथवा संगठन से संबंधित किसी पदाधिकारी या कर्मी के द्वारा कोई ऐसा काम किया गया है जिसमें विभाग/संगठन/सरकार को क्षति हुई है, तब ऐसी परिस्थिति में संबंधित विभाग या संगठन के प्रधान के परामर्श से ही आपराधिक मामला दर्ज होगा. प्राथमिकी दर्ज करने के समय यह सुनिश्चित कर लेना आवश्यक है कि आरोपित सरकारी अधिकारी/कर्मी का दोष आपराधिक प्रवृत्ति का है.

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सरकारी अधिकारी/कर्मी के कार्यकलाप से यदि सरकार को क्षति होती है तो सरकार जो कि नियोजक है, उसी को यह अधिकार प्राप्त है कि वह उस कर्मी पर किस प्रकार की कार्रवाई करे. वर्ष 2008 में गृह विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव अफजल अमानुल्लाह ने आदेश जारी किया था कि सरकारी अधिकारी या कर्मचारी राज्य सरकार के अंग हैं. इसलिए यदि किसी के कार्यकलाप से सरकार को हानि होती है तो सरकार को ही यह अधिकार है कि वह उस कर्मचारी या अधिकारी पर किस प्रकार की कार्रवाई करें. क्योंकि उसकी नियोजक यानी एंपलॉयर सरकार है.

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