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Video: पटना में बाढ़ की कहानी, विस्थापितों की जुबानी

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Published : Aug 13, 2021, 8:52 PM IST

पटना में बाढ़ के चलते लोग दर-दर भटकने को मजबूर हैं. खाना मिलना भी अब बाढ़ पीड़ितों के लिये चुनौती सा हो रहा है. कहीं पर रहने के लिए कोई जगह नहीं बची है. जहां- तहां बाढ़ ने ऐसी तबाही मचा दी है कि सभी बाढ़ पीड़ित दहशत में रहने को मजबूर हैं.

बाढ़ से लोगों का हाल हुआ बेहाल
बाढ़ से लोगों का हाल हुआ बेहाल

पटना: एक तरफ जहां लोग कोरोना काल (Corona Period) से परेशान हैं. वहीं अब गंगा के बढ़ रहे जल स्तर (Rising Water Level of Ganga) और लगातार हो रही बारिश (Continuous Rain) से बाढ़ (Flood In Bihar) ने बिहार के कई जिलों के लोगो की मुसीबत को बढ़ा दी है. किसी तरह कोरोना संक्रमण (Corona Infection) पर काबू पाने के बाद, अब फिर लोग बढ़ते बाढ़ से परेशान हैं.

ये भी पढ़ें- बाढ़ग्रस्त इलाकों के दौरे पर निकले CM नीतीश, जमीनी हालात का ले रहे हैं जायजा

पटना के दियारे इलाके में लोगों के घरों में पानी प्रवेश कर जाने के कारण लोग जहां-तहां रहने को मजबूर हैं. बच्चे और बेजुबान जानवर खाए बिना परेशान हैं. बाढ़ के चलते लोग दर-दर भटकने को मजबूर हैं. खाना मिलना भी अब बाढ़ पीड़ितों के लिये चुनौती सा हो रहा है. कहीं पर रहने के लिए कोई जगह नहीं बची है. जहां- तहां बाढ़ ने ऐसी तबाही मचा दी है कि सभी बाढ़ पीड़ित दहशत में रहने को मजबूर हैं.

देखिए बाढ़ की कहानी, विस्थापितों की जुबानी

बिहार के कई गांव के लोगों को बाढ़ के कारण खाने के भी लाले पर गए हैं. स्थिति विकराल दिखाई पड़ रही है. मदद कहीं से नहीं मिल पा रही है. बच्चे महिलाएं और बुजुर्ग दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- IPL खेलना छोड़िए नीतीश जी... बताइए कि बाढ़ पीड़ितों को अब तक क्या मिला?: पुष्पम प्रिया चौधरी

बात दें कि बिहार के कई इलाके भारी बारिश और बाढ के कारण लोग बिना खाये-पीये रह रहे हैं. बच्चे खाने के लिए बिलखते नजर आ रहे हैं. हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार बाढ़ का जायजा ले रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि हर साल ऐसी स्थिति आती क्यों है?

बच्चों को बिलखते देख किसी का भी दिल पिघल सकता है. किसी भी नेता और मंत्री का ध्यान इस तरफ क्यों नहीं जाता है. लोगों का साफ कहना है कि चुनाव के समय सभी नेता आते हैं लेकिन समस्या के समय कोई नहीं आता. आखिर क्यों? आखिर कब तक बाढ़ की समस्या झेलेगा बिहार ये कह पाना मुश्किल है.

ये भी पढ़ें- Bihar Flood: 'भूख से बिलख रहे हैं बच्चे, सरकार भोजन के बदले दे रही है आश्वासन'

बाढ़ पीड़ित लोगों का साफ तौर पर कहना है कि पानी इतना हो चुका है कि घर टूट चुका है. हमलोग बिना खाये-पीये, आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. बच्चे, बुजुर्ग अब खाने के लिए बिलखने लगे हैं.

दियरा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के रोजी का एक मात्र साधन गाय और भैंस होती हैं जिनका दूध बेचकर और खेती कर, ग्रामीण अपना जीवन यापन करते हैं. अब वो सब भी बर्बाद हो चुका है. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि अब हमलोग कहां से जीवन यापन करेंगे. ये सबसे बड़ी चुनौती बन गई है.

ये भी पढ़ें- बिहार में गंगा नदी खतरे के निशान के ऊपर, पटना पर मंडराया बाढ़ का खतरा

सीएम नीतीश कुमार के आदेश के बावजूद राहत सिर्फ कागजों पर ही सिमट गई है. लोग भूख और प्यास से परेशान हैं. एक बड़ी आबादी बाढ़ग्रस्त है. सरकार को जल्द से जल्द इस इलाके में कम से कम शुद्ध पानी और खाने का इंतजाम करना होगा. ऐसी यहां के स्थानीय लोगों की मांग है.

आपको बता दें कि बिहार में गंगा की बाढ़ से 12 जिले प्रभावित हैं. गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. अगर इसी तरह से गंगा का जलस्तर बढ़ता रहा तो साल 2016 की बाढ़ का रिकॉर्ड टूट जाएगा. लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित होंगे.

ये भी पढ़ें- उफान पर गंगा नदी, जल संसाधन मंत्री ने कहा- अगले दो-तीन दिनों तक और भी अलर्ट रहने की जरूरत

ये भी पढ़ें- पटना में लगातार बढ़ते गंगा के जलस्तर से सहमे लोग, प्रशासन की उड़ी नींद

पटना: एक तरफ जहां लोग कोरोना काल (Corona Period) से परेशान हैं. वहीं अब गंगा के बढ़ रहे जल स्तर (Rising Water Level of Ganga) और लगातार हो रही बारिश (Continuous Rain) से बाढ़ (Flood In Bihar) ने बिहार के कई जिलों के लोगो की मुसीबत को बढ़ा दी है. किसी तरह कोरोना संक्रमण (Corona Infection) पर काबू पाने के बाद, अब फिर लोग बढ़ते बाढ़ से परेशान हैं.

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पटना के दियारे इलाके में लोगों के घरों में पानी प्रवेश कर जाने के कारण लोग जहां-तहां रहने को मजबूर हैं. बच्चे और बेजुबान जानवर खाए बिना परेशान हैं. बाढ़ के चलते लोग दर-दर भटकने को मजबूर हैं. खाना मिलना भी अब बाढ़ पीड़ितों के लिये चुनौती सा हो रहा है. कहीं पर रहने के लिए कोई जगह नहीं बची है. जहां- तहां बाढ़ ने ऐसी तबाही मचा दी है कि सभी बाढ़ पीड़ित दहशत में रहने को मजबूर हैं.

देखिए बाढ़ की कहानी, विस्थापितों की जुबानी

बिहार के कई गांव के लोगों को बाढ़ के कारण खाने के भी लाले पर गए हैं. स्थिति विकराल दिखाई पड़ रही है. मदद कहीं से नहीं मिल पा रही है. बच्चे महिलाएं और बुजुर्ग दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

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बात दें कि बिहार के कई इलाके भारी बारिश और बाढ के कारण लोग बिना खाये-पीये रह रहे हैं. बच्चे खाने के लिए बिलखते नजर आ रहे हैं. हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार बाढ़ का जायजा ले रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि हर साल ऐसी स्थिति आती क्यों है?

बच्चों को बिलखते देख किसी का भी दिल पिघल सकता है. किसी भी नेता और मंत्री का ध्यान इस तरफ क्यों नहीं जाता है. लोगों का साफ कहना है कि चुनाव के समय सभी नेता आते हैं लेकिन समस्या के समय कोई नहीं आता. आखिर क्यों? आखिर कब तक बाढ़ की समस्या झेलेगा बिहार ये कह पाना मुश्किल है.

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बाढ़ पीड़ित लोगों का साफ तौर पर कहना है कि पानी इतना हो चुका है कि घर टूट चुका है. हमलोग बिना खाये-पीये, आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. बच्चे, बुजुर्ग अब खाने के लिए बिलखने लगे हैं.

दियरा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के रोजी का एक मात्र साधन गाय और भैंस होती हैं जिनका दूध बेचकर और खेती कर, ग्रामीण अपना जीवन यापन करते हैं. अब वो सब भी बर्बाद हो चुका है. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि अब हमलोग कहां से जीवन यापन करेंगे. ये सबसे बड़ी चुनौती बन गई है.

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सीएम नीतीश कुमार के आदेश के बावजूद राहत सिर्फ कागजों पर ही सिमट गई है. लोग भूख और प्यास से परेशान हैं. एक बड़ी आबादी बाढ़ग्रस्त है. सरकार को जल्द से जल्द इस इलाके में कम से कम शुद्ध पानी और खाने का इंतजाम करना होगा. ऐसी यहां के स्थानीय लोगों की मांग है.

आपको बता दें कि बिहार में गंगा की बाढ़ से 12 जिले प्रभावित हैं. गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. अगर इसी तरह से गंगा का जलस्तर बढ़ता रहा तो साल 2016 की बाढ़ का रिकॉर्ड टूट जाएगा. लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित होंगे.

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