पटना: 23 अगस्त 2020 को राजधानी पटना का बेउर इलाका (Patna Property Dealer Shooting Case) रविवार की सुबह करीब पौने 11 बजे गोलियों की तड़तड़ाहट से दहल उठा. पटना के पूर्व डिप्टी मेयर अमरावती देवी के पति व पूर्व वार्ड पार्षद दीना गोप के चाचा सह प्रॉपर्टी डीलर टुनटुन यादव की हत्या करने में नाकाम बदमाशों ने उनके दफ्तर में घुसकर अंधाधुंध 25 राउंड फायरिंग की थी. 2 बाइक पर 6 की संख्या में बदमाशों ने दफ्तर में मौजूद परसा बाजार के रहीमपुर निवासी प्रापर्टी डीलर राजेश कुमार यादव को कार्बाइन से भून डाला था.
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पटना में प्रॉपर्टी डीलर पर हुई थी फायरिंग : फायरिंग में गोली लगने से तीन अन्य प्रॉपर्टी डीलर गंभीर रूप से घायल हो गए थे. आपको बता दे कि करीबन सवा 2 साल बीत जाने के बाद भी भी पुलिस के हाथ इस मामले में खाली हैं. बताया गया था कि 6 की संख्या में हथियारबंद अपराधी 2 बाइक पर सवार होकर आये थे. सभी असलहों से लैस थे. वह प्रॉपर्टी डीलर टुनटुन यादव की हत्या करने आये थे. सबसे बड़ी बात इस घटना को अंजाम अपराधियो ने कार्बाइन जैसे बड़े हथियार से दिया था. अपराधी प्रापर्टी डीलर टुनटुन यादव के दफ्तर में घुसे. वहां आठ दस प्रॉपर्टी डीलर बैठे थे, जबकि कुछ देर पहले ही टुनटुन दफ्तर से जा चुके थे.
प्रापर्टी डीलर पर हुआ था जानलेवा हमला : टुनटुन के दिखाई नहीं देने पर अपराधियों ने दनादन गोलियां चलानी शुरू कर दी. बदमाशों ने गोली मारकर जहां प्रॉपर्टी डीलर राजेश कुमार निवासी परसा की हत्या कर दी. वहीं गोली लगने से दो लोग और पिस्टल के बट से किये गये हमले में एक अन्य प्रॉपर्टी डीलर जख्मी हो गया. प्रारंभिक जांच में घटना के पीछे भूमि विवाद व पूर्व में दीना गोप हत्याकांड से उपजी रंजिश की बात सामने आ रही थी. इस मामले में सवा 2 वर्ष बीतने को है, लेकिन अबतक पुलिस के हाथ खाली हैं.
मामले में पुलिस के हाथ है खाली : हालांकि राजधानी पटना सहित बिहार में कोई यह पहला मामला नहीं है. जिसमें बड़ी घटना होने के बावजूद भी इस मामले में पुलिस को अब तक कोई सुराग नहीं मिला है. अपराधी तो छोड़िए इस मामले में पुलिस ने अब तक के अपराध की वजह और अपराधी की पहचान तक नहीं कर पाई है. यह घटना राजधानी पटना के बेउर थाने से महज चंद कदमों की दूरी पर घटित हुई थी. घटना घटित होने के आधे घंटे बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची थी.
किसी की नहीं हुई गिरफ्तारी : हालांकि तत्कालीन पटना के एसएसपी उपेंद्र शर्मा के द्वारा इस मामले को लेकर उस वक्त कई जगह पर छापेमारी की गई थी. परंतु फिर भी अपराधी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. हालांकि इस मामले में जब ईटीवी भारत की टीम केस की आईओ मनीष कुमार से बातचीत करना चाही तो उन्होंने ऑन कैमरा कुछ भी बोलने से मना कर दिया. उनका साफ तौर पर कहना है कि इस बारे में जानकारी सुरक्षा के दृष्टिकोण से नहीं दी जा सकती है. हालांकि उन्होंने कहा कि इस मामले का अनुसंधान किया जा रहा है, जल्दी मामले का खुलासा किया जाएगा. अपराधी की गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी की जा रही है.
'जिस वक्त इस घटना को अंजाम दिया गया था, उस वक्त पुलिस द्वारा कुछ संदिग्धों को गिरफ्तार कर पूछताछ भी की गई थी और छापेमारी भी की गई थी. हालांकि इस मामले में अभी अनुसंधान चल रहा है. सवाल यह उठ रहा है कि जिस वक्त प्रॉपर्टी डीलर के कार्यालय में गोलियों की बौछार की गई थी, उस वक्त कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए थे. पुलिस द्वारा उनके कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे के लगे डीवीआर को भी ले जाया गया था, उसके बावजूद भी डीवीआर के माध्यम से अपराधी की पहचान नहीं हो पाई है.' - जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
पुलिस कार्यशैली पर उठ रहे सवाल : दरअसल अपराधियों द्वारा 23 अगस्त 2020 को प्रॉपर्टी डीलर टुनटुन यादव को मौत के घाट उतारने के लिए हथियारबंद अपराधी घटना को अंजाम देने पहुंचे थे. हालांकि कुछ देर पहले ही वो कार्यालय से जा चुके थे. कार्यालय में मौजूद नहीं रहने की वजह से उनकी जान बच पाई थी. हालांकि उस वक्त कार्यालय में चार से पांच की संख्या में उनके साथ ही दूसरे अन्य प्रॉपर्टी डीलर पर गोलियों की बौछार की गई थी. जिसमें उनके एक साथी प्रॉपर्टी डीलर की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी और 3 अन्य प्रॉपर्टी डीलर साथी घायल हुए थे. प्रॉपर्टी डीलर टुनटुन यादव ने भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि सवा 2 साल बीत जाने के बाद भी अब तक इस मामले में पुलिस द्वारा अपराधी की गिरफ्तारी नहीं की गई है.
'हत्या करने की साजिश से उनके कार्यालय में गोलियों की बौछार की की गई थी जिसमें 50 से ज्यादा गोली चलाई गई थी. इस घटना के बाद उन्हें खुद की सुरक्षा का डर सता रहा है. इस घटना के बाद भी स्थानीय पुलिस से सुरक्षा की मांग की थी. फिर भी नहीं उन्हें हथियार का लाइसेंस मुहैया करवाया गया और ना ही सुरक्षा बल मुहैया करवाया गया. जिसके बाद मजबूरन अपनी सुरक्षा के लिए निजी गार्ड रखा है. जिस दिन घटना घटित हुई थी, उस दिन पूछताछ की गई थी. उसके बाद कुछ दिन बाद फुलवारी शरीफ के डीएसपी के द्वारा इस मामले में पूछताछ की गई. उसके बाद करीबन डेढ़ साल से इस मामले में उनसे किसी तरह की कोई भी जानकारी नहीं पूछताछ की गई और ना ही अपराधी की गिरफ्तारी हो पाई है.' - टुनटुन यादव, पीड़ित, प्रॉपर्टी डीलर
प्रॉपर्टी डीलर टुनटुन यादव की बाल-बाल बची थी जान : टुनटुन यादव का कहना है कि आज भी अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं. यह घटना दिन के 10:00 बजे हुई थी और चंद कदमों की दूरी पर थाना होने के बावजूद भी आधे घंटे के बाद पुलिस पहुंची था. कार्यालय में लगे डीवीआर को भी निकाल लिया गया था. अगर डीवीआर भी हमें मुहैया करवाई जाए तब हम भी अपने स्तर से अपराधी की पहचान कर सकेंगे. आखिर किस मकसद से अपराधियों के द्वारा उन्हें निशाना बनाया गया था. उनका साफ तौर पर कहना है कि वह 2003 से प्रॉपर्टी डीलर का काम इस इलाके में करते आ रहे हैं और आज तक के ना ही उनके खिलाफ फुलवारी थाने में और ना ही बेउर थाने में एक भी आवेदन है. वह साफ छवि के लोग हैं. उनके द्वारा प्रॉपर्टी डीलर का काम किया जाता है.
फायरिंग में कई प्रॉपर्टी डीलर हुए थे घायल : प्रॉपर्टी डीलर कार्यालय में गोलीबारी में घायल हुए प्रॉपर्टी डीलर लालबाबू सिंह ने बताया कि अपराधियों द्वारा गोलीबारी की गई थी. उस वक्त वह भी कार्यालय में मौजूद थे और उन्हें भी अपराधियों ने अपना शिकार बनाया था. हालांकि पैर में गोली लगने की वजह से वह घायल हुए थे और वह अभी ठीक हैं. उन्होंने बताया कि प्रॉपर्टी डीलर के कार्यालय में दो बाइक पर सवार हथियारबंद अपराधी घुसते ही गोलियों की बौछार करना शुरू कर दिए. वह पीछे के केबिन में बैठे हुए थे, जैसी गोलियों की आवाज सुनाई दी, वो बाहर निकले, वैसे ही उन पर भी गोलियां बरसाई गई. जिसमें उनके पैर में गोली लग गई. हालांकि उन्होंने कार्यालय में गोलियों के निशान को भी दिखलाया है कि किस तरह से उनके कार्यालय में अपराधियों ने गोलियों चलाई थी.
फायरिंग में एक प्रॉपर्टी डीलर की हुई थी मौत : उन्होंने साफ तौर पर बताया कि इस मामले में वो घायल हुए थे और उनसे पुलिस के द्वारा आज तक एक बारी पूछताछ नहीं की गई है और ना ही इस मामले में अपराधी की गिरफ्तारी की गई है. दूसरे प्रॉपर्टी डीलर चिंटू कुमार ने बताया कि जिस वक्त इस घटना को अंजाम दिया गया था, वह भी कार्यालय में मौजूद थे. उनके ऊपर भी गोली चलाई गई थी अपराधी आए थे. दो अपराधी अंधाधुंध गोली चला रहे थे, उनके ऊपर भी गोली चलाई गई थी. हालांकि वह बच गए थे, जिसके बाद गोली खत्म होने के बाद बंदूक के बट से उनके सिर पर प्रहार किया गया था. हालांकि इस मामले में उनका कहना है कि उनसे भी पूछताछ नहीं की गई है. जिस समय घटना घटित हुई थी, उसी समय पुलिस ने पूछताछ की है. उसके बाद नहीं अपराधी की गिरफ्तारी हो पाई है और ना ही अपराध किस वजह से हुई, इसका खुलासा हो पाया.
राजधानी पटना में अपराधियों के हौसले बुलंद : कुल मिलाकर बात करें तो राजधानी पटना में 23 अगस्त 2020 को जिस तरह से अपराधियों ने दिनदहाड़े प्रॉपर्टी डीलर के कार्यालय पर फायरिंग की थी वो बदमाशों के बुलंद हौसले को दिखाती है. घटना स्थल से महज थाने से चंद कदमों की दूरी पर स्थित है. और चंद कदमों की दूरी पर बेउर जेल है. जहां पर सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल रहते हैं, वैसी जगह पर अपराधी अपराध को अंजाम देकर रफूचक्कर हो जाते हैं. और पुलिस हाथ पर हाथ धरकर बैठी रह जाती है. ये कहीं ना कहीं पुलिस की नकामी को दिखाती है. इन घटनाओं से पुलिस की लचर और पुलिस की गस्ती पर बड़ा सवाल उठ रहा है. हालांकि जिस तरह से राजधानी पटना में दिनदहाड़े अपराधियों के द्वारा कार्बाइन जैसे बड़े हथियार से घटना को अंजाम दिया जाता है, ऐसे में अब तक के पुलिस के द्वारा इस मामले का खुलासा नहीं करा पाना, बड़ा सवाल खड़ा करता है. हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है, राजधानी पटना की बात करें तो कई ऐसे वारदात अपराधियों ने यहां अंजाम दिया है, जिसका खुलासा अब तक पटना पुलिस नहीं कर पाई है.