पटनाः बिहार में कोरोना के कारण बिगड़ते हालात को लेकर पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है. कोरोना महामारी के निपटने के लिए ठोस कार्य योजना पेश नहीं किए जाने पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई. साथ ही, मानवाधिकार आयोग को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है.
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जनहित याचिकाओं पर हुई सुनवाई
जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ ने कोरोना और राज्य के हालात संबंधी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार की ढिलाई को काफी गंभीरता से लिया. कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि इस बीमारी के लिए रेडेमसिविर इंजेक्शन कितना उपयोगी है. कोर्ट ने राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और एआईआईएमएस के डायरेक्टर को एनएमसीएच के हालात का जायजा लेने की जिम्मेदारी सौंपी है. साथ ही रिपोर्ट देने के लिए कहा है.
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21 अप्रैल को अगली सुनवाई
खंडपीठ ने कोविड के इलाज कर रहे अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं की जांच कर रिपोर्ट तलब किया. इसके बाद कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल, पटना हाईकोर्ट को जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया कि किन कारणों से असिस्टेंट रजिस्ट्रार की मौत हुई? कोर्ट ने राज्य सरकार को बेडों की संख्या, ऑक्सीजन सिलिंडर और अन्य मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. ताकि मरीजों का बेहतर ईलाज हो सके. इस मामले पर अगली सुनवाई 21 अप्रैल को फिर होगी.