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झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज मामले पर पटना हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

मधुबनी में एडीजे अविनाश कुमार से मारपीट मामले (ADJ Avinash Kumar Assault Case) में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सरकार की ओर से बताया गया कि दर्ज एफआईआर के सम्बंधित क्लोजर रिपोर्ट को सम्बंधित कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Sep 13, 2022, 11:15 AM IST

पटना: झंझारपुर के एडिशनल जज अविनाश कुमार पर किये गए कथित आक्रमण और मारपीट की घटना के मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court Hearing On Madhubani Judge Case) ने सुनवाई की. जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि दर्ज एफआईआर के सम्बंधित क्लोजर रिपोर्ट को सम्बंधित कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि दर्ज एफआईआर का क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत किया जा चुका हैं. हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए 5 सितम्बर,2022 तक सम्बंधित कोर्ट को अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया था.

यह भी पढ़ें- बिहार में जज के चैंबर में घुसकर थानेदार और एएसआई ने किया जानलेवा हमला

जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करने के बाद मामलें को निष्पादित कर दिया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने निचली अदालतों में जजों की सुरक्षा पर विचार करने के लिए चीफ जस्टिस से एक कमिटी गठित करने का आग्रह किया गया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि डी जी पी, बिहार ने ए डी जे अविनाश कुमार के विरुद्ध दायर प्राथमिकी के कार्रवाई पर रोक लगा दिया था और राज्य सरकार को अविनाश कुमार के विरुद्ध दायर एफ आई आर वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किसी न्यायिक पदाधिकारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के पहले चीफ जस्टिस की अनुमति जरूरी होती हैं. इस मामले में इस प्रक्रिया का पालन गलतफहमी में नहीं किया जा सका.

मधुबनी के प्रभारी डिस्ट्रिक्ट और सेशंस जज द्वारा अभूतपूर्व और चौंका देने वाली इस घटना के संबंध में भेजे गए रिपोर्ट के मद्देनजर राजन गुप्ता की खंडपीठ ने 18 नवंबर, 2021 को सुनवाई की थी. ज़िला जज, मधुबनी के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट के मुताबिक घटना के दिन तकरीबन 2 बजे दिन में एस एच ओ गोपाल कृष्ण और घोघरडीहा के पुलिस सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने जज अविनाश के चैम्बर में जबरन घुसकर गाली दिया था.

उनके द्वारा विरोध किये जाने पर दोनों पुलिस अधिकारियों ने दुर्व्यवहार करने और हाथापाई किया था. इतना ही नहीं, दोनों पुलिस अधिकारियों ने उनपर हमला किया और मारपीट किया है. साथ ही अपना सर्विस रिवॉल्वर भी निकाल लिया था. कोर्ट ने इस मामले पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के मामले को समाप्त करते हुए निष्पादित कर दिया.

ये भी पढ़ें: मधुबनी जज-पुलिस मारपीट कांड: आरोपी थानाध्यक्ष और ASI डीएमसीएच में भर्ती, पुलिस एसोसिएशन ने की निष्पक्ष जांच की मांग

पटना: झंझारपुर के एडिशनल जज अविनाश कुमार पर किये गए कथित आक्रमण और मारपीट की घटना के मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court Hearing On Madhubani Judge Case) ने सुनवाई की. जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि दर्ज एफआईआर के सम्बंधित क्लोजर रिपोर्ट को सम्बंधित कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि दर्ज एफआईआर का क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत किया जा चुका हैं. हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए 5 सितम्बर,2022 तक सम्बंधित कोर्ट को अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया था.

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जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करने के बाद मामलें को निष्पादित कर दिया. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने निचली अदालतों में जजों की सुरक्षा पर विचार करने के लिए चीफ जस्टिस से एक कमिटी गठित करने का आग्रह किया गया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि डी जी पी, बिहार ने ए डी जे अविनाश कुमार के विरुद्ध दायर प्राथमिकी के कार्रवाई पर रोक लगा दिया था और राज्य सरकार को अविनाश कुमार के विरुद्ध दायर एफ आई आर वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किसी न्यायिक पदाधिकारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के पहले चीफ जस्टिस की अनुमति जरूरी होती हैं. इस मामले में इस प्रक्रिया का पालन गलतफहमी में नहीं किया जा सका.

मधुबनी के प्रभारी डिस्ट्रिक्ट और सेशंस जज द्वारा अभूतपूर्व और चौंका देने वाली इस घटना के संबंध में भेजे गए रिपोर्ट के मद्देनजर राजन गुप्ता की खंडपीठ ने 18 नवंबर, 2021 को सुनवाई की थी. ज़िला जज, मधुबनी के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट के मुताबिक घटना के दिन तकरीबन 2 बजे दिन में एस एच ओ गोपाल कृष्ण और घोघरडीहा के पुलिस सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने जज अविनाश के चैम्बर में जबरन घुसकर गाली दिया था.

उनके द्वारा विरोध किये जाने पर दोनों पुलिस अधिकारियों ने दुर्व्यवहार करने और हाथापाई किया था. इतना ही नहीं, दोनों पुलिस अधिकारियों ने उनपर हमला किया और मारपीट किया है. साथ ही अपना सर्विस रिवॉल्वर भी निकाल लिया था. कोर्ट ने इस मामले पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के मामले को समाप्त करते हुए निष्पादित कर दिया.

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