पटना: ईटीवी भारत ने पटना के कई अस्पतालों का पड़ताल किया. इस दौरान शहर के कई निजी अस्पतालों में ‘बेड नॉट अवेलेबल’ का बोर्ड अस्पतालों के गेटों पर टंगा हुआ पाया. ऑक्सीजन की कमी और बेड फुल होने के कारण अस्पतालों के गेट पर ही नो एंट्री का बैनर टांग दिया गया. कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर में पूरे राज्य में चीत्कार मचा हुआ है. अस्पताल से श्मशान तक लाशों का ढ़ेर लगा हुआ है. लेकिन फिर भी स्वास्थ्य विभाग अपनी नाकामी छिपाने से बाज नहीं आ रहा है.
दिवा स्वप्न देख रहा स्वास्थ्य विभाग
अस्पतालों में बेड की कमी और ऑक्सीजन के उपलब्ध नहीं होने पर जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने पटना सिविल सर्जन विभा कुमारी सिंह से बात की तो उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया. उन्होंने बेड की किल्लत और ऑक्सीजन की कमी को लेकर कहा कि ऑक्सीजन की कमी थोड़ी बहुत थी. लेकिन अब परेशानी नहीं है. प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है.
कमियां मानने को तैयार नहीं
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए विभाग ने काफी गंभीरता से कार्य किया है. अब ऑक्सीजन की कमी की समस्या काफी कम हो चुकी है. जिन लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत कोरोना के इलाज के दौरान पड़ रही है, उनके लिए पटना का होटल पाटलिपुत्र अशोक में ऑक्सीजन देने की व्यवस्था की गई है.
‘लोग किसी भी तरह से परेशान ना हो इसको देखते हुए विभागीय कार्य चल रहा है. लोगों में भी यह डर बैठ गया है. जिस कारण वह बार-बार ऑक्सीजन को लेकर चेक करवाते रहते हैं. अगर समय रहते अगर लोग सरकार द्वारा निर्धारित पाटलिपुत्र अशोका होटल में पहुंचेंगे तो वहां ऑक्सीजन की पूरी व्यवस्था है’.- विभा कुमारी सिंह, सिविल सर्जन , पटना
वहीं, उन्होंने कहा कि कम ऑक्सीजन में स्वस्थ भी हो सकते हैं, लेकिन तब मामला बिगड़ जाता है जब लोग घबरा जाते हैं. सिविल सर्जन ने कहा कि जहां तक बेड की सवाल है. निजी हॉस्पिटल वाले भी मिलकर बात कर रहे हैं. जो लोग कोरोनावायरस मरीज को रखना चाहते हैं. उनको इजाजत दिया जा रहा है. जिससे कि बेड की किल्लत ना हो.
हालत बेकाबू होते जा रहे
अगर बिहार में स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था ऐसे ही रही तो बिहार का मालिक ऊपर वाला ही है. जिस तरह से चारों तरफ लोग डरे हुए हैं. लोगों को बेड नहीं मिल रहा है. ऑक्सीजन के लिए मारा-मारी मची हुई है. ऐसे में सिविल सर्जन का यह कहना है कि लोगों को जब ऑक्सीजन की कमी उनके शरीर में हो तो वे तुरंत आकर डेडिकेटेड ऑक्सीजन सेंटर से ऑक्सीजन लें, ये साफ जाहिर करता है कि बिहार का स्वास्थ्य विभाग राज्य को किस हाल में छोड़ने पर उतारू हो चुका है.