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चुनाव में विपक्ष का सबसे बड़ा 'हथियार' बेरोजगारी.. लेकिन सदन में दूसरे मुद्दे पड़ते हैं भारी - बिहार में बेरोजगारी दर

बिहार में बेरोजगारी दर बढ़कर करीब 14 फीसदी तक पहुंच चुकी है. यही कारण है कि विपक्ष और सरकार विधानसभा चुनाव में रोजगार के मुद्दे को भुनाते से नहीं चूकते हैं. लेकिन, बिहार विधानमंडल सत्र में बेरोजगारी का मुद्दा (Unemployment issue in Bihar Legislature session) अन्य मुद्दों के आगे छोटा हो जाता है. पढ़ें रिपोर्ट..

बिहार में बेरोजगारी
बिहार में बेरोजगारी
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Published : Nov 29, 2021, 8:39 PM IST

पटना: बिहार में बेरोजगारी (Unemployment in Bihar) सबसे बड़े मुद्दों में से एक है. हालात कुछ ऐसे हैं कि चुनाव में जब विपक्ष बिहार में रोजगार का मुद्दा (Employment issue in Bihar) बनाता है तो सरकार बढ़-चढ़कर रोजगार देने का दावा करती है. विपक्ष और सरकार विधानसभा चुनाव में रोजगार का मुद्दा जरूर बनाते हैं, लेकिन बिहार विधानमंडल सत्र में बेरोजगारी का मुद्दा (Unemployment issue in Bihar Legislature session) छोटा हो जाता है और इस पर अन्य मुद्दे हावी हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें- 'मुख्यमंत्री जी..! शराबबंदी की कई बार हो गई समीक्षा, लेकिन रोजगार के लिए कब करेंगे बैठक?'

लाखों की संख्या में सालों से बिहार के विभागों में रिक्तियां भरी नहीं गई हैं. हजारों रिक्तियों को लेकर बहाली की प्रक्रिया पिछले कई सालों से लटकी हुई हैं. जिनमें बिहार कर्मचारी चयन आयोग (Bihar Staff Selection Commission) के इंटर लेवल प्रथम बहाली प्रक्रिया भी शामिल है, जिसके तहत वर्ष 2014 में 13 हजार से ज्यादा पदों पर बहाली निकाली गई थी और यह अब तक पूरी नहीं हो पाई है. पिछले 3 साल से सवा लाख से ज्यादा शिक्षकों के पद नहीं भरे जा चुके हैं. इनके अलावा डॉक्टर, पारा मेडिकल स्टाफ और सचिवालय के साथ कई अन्य विभागों में ग्रुप सी और ग्रुप डी के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं.

देखें रिपोर्ट

बेरोजगारी शब्द ने बिहार के लाखों युवाओं के भविष्य पर सवालिया निशान रखा रखा है. बिहार में उद्योगों की कमी (Lack of Industries in Bihar) और सरकारी नौकरियों पर लगी अघोषित रोक ने युवाओं को परेशान कर रखा है. पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान बेरोजगारी के मुद्दे पर ही विपक्ष ने चुनाव लड़ा और नंबर वन पार्टी का दर्जा प्राप्त कर लिया. एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) के नेता बेरोजगारी को लेकर बड़ी रैली करने वाले हैं. राजद नेता यह कह रहे हैं कि बेरोजगारी सबसे बड़ा अभिशाप है जिससे बिहार का हर युवा प्रभावित है लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है.

ये भी पढ़ें- शराबबंदी पर युवाओं की मिली जुली प्रतिक्रिया, CM से पूछा- 19 लाख रोजगार के मुद्दे पर कब होगी समीक्षा?

सदन में बेरोजगारी का मुद्दा विपक्ष क्यों नहीं उठाता जब ईटीवी भारत ने यह सवाल राजद नेता ऋषि कुमार सिंह से पूछा तो उन्होंने कहा कि ''बिहार के लाखों बेरोजगार युवकों की परेशानी हम समझते हैं. हम इसे लेकर लगातार सड़क और सदन में भी सरकार से सवाल पूछते रहे हैं. हम बिहार के युवाओं के साथ हैं और बेरोजगारी का दर्द समझते हैं. सिर्फ सड़क पर ही नहीं बल्कि सदन में भी हम इस मुद्दे पर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं, क्योंकि सरकार ने इस बार 19 लाख रोजगार का दावा किया है.''

वहीं, युवाओं को रोजगार देने के मुद्दे पर भाजपा नेता संजय कुमार मयूख ने कहा कि ''बिहार की नीतीश सरकार युवाओं के लिए लगातार काम कर रही है. चुनाव में जो वायदे हमने किए थे, उन पर लगातार काम हो रहा है और हम अपना वादा पूरा करके दिखाएंगे.''

ये भी पढ़ें- बंद पड़े उद्योगों के लिए सरकार के पास नहीं है नीति, 19 लाख लोगों को रोजगार देने का सपना कैसे होगा पूरा?

बता दें कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (Centre for Monitoring Indian Economy) के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में बेरोजगारी दर (Unemployment Rate in Bihar) बढ़कर करीब 14 फीसदी तक पहुंच चुकी है. जनवरी महीने में बेरोजगारी दर 10.5%, अप्रैल में 11.5%, जबकि मई में 13.8% थी. बिहार में एक तरफ 50 हजार से ज्यादा युवा बिहार कर्मचारी चयन आयोग में मुख्य परीक्षा पास करने के बावजूद काउंसलिंग के इंतजार में बैठे हैं और आंदोलन को मजबूर हैं. वहीं, दूसरी तरफ करीब सवा लाख पदों पर बहाली का इंतजार कर रहे शिक्षक अभ्यर्थी भी पटना में आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार के पास इस बात का कोई सही जवाब नहीं है कि इन्हें नियुक्ति पत्र कब मिलेगा.

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पटना: बिहार में बेरोजगारी (Unemployment in Bihar) सबसे बड़े मुद्दों में से एक है. हालात कुछ ऐसे हैं कि चुनाव में जब विपक्ष बिहार में रोजगार का मुद्दा (Employment issue in Bihar) बनाता है तो सरकार बढ़-चढ़कर रोजगार देने का दावा करती है. विपक्ष और सरकार विधानसभा चुनाव में रोजगार का मुद्दा जरूर बनाते हैं, लेकिन बिहार विधानमंडल सत्र में बेरोजगारी का मुद्दा (Unemployment issue in Bihar Legislature session) छोटा हो जाता है और इस पर अन्य मुद्दे हावी हो जाते हैं.

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लाखों की संख्या में सालों से बिहार के विभागों में रिक्तियां भरी नहीं गई हैं. हजारों रिक्तियों को लेकर बहाली की प्रक्रिया पिछले कई सालों से लटकी हुई हैं. जिनमें बिहार कर्मचारी चयन आयोग (Bihar Staff Selection Commission) के इंटर लेवल प्रथम बहाली प्रक्रिया भी शामिल है, जिसके तहत वर्ष 2014 में 13 हजार से ज्यादा पदों पर बहाली निकाली गई थी और यह अब तक पूरी नहीं हो पाई है. पिछले 3 साल से सवा लाख से ज्यादा शिक्षकों के पद नहीं भरे जा चुके हैं. इनके अलावा डॉक्टर, पारा मेडिकल स्टाफ और सचिवालय के साथ कई अन्य विभागों में ग्रुप सी और ग्रुप डी के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं.

देखें रिपोर्ट

बेरोजगारी शब्द ने बिहार के लाखों युवाओं के भविष्य पर सवालिया निशान रखा रखा है. बिहार में उद्योगों की कमी (Lack of Industries in Bihar) और सरकारी नौकरियों पर लगी अघोषित रोक ने युवाओं को परेशान कर रखा है. पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान बेरोजगारी के मुद्दे पर ही विपक्ष ने चुनाव लड़ा और नंबर वन पार्टी का दर्जा प्राप्त कर लिया. एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) के नेता बेरोजगारी को लेकर बड़ी रैली करने वाले हैं. राजद नेता यह कह रहे हैं कि बेरोजगारी सबसे बड़ा अभिशाप है जिससे बिहार का हर युवा प्रभावित है लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है.

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सदन में बेरोजगारी का मुद्दा विपक्ष क्यों नहीं उठाता जब ईटीवी भारत ने यह सवाल राजद नेता ऋषि कुमार सिंह से पूछा तो उन्होंने कहा कि ''बिहार के लाखों बेरोजगार युवकों की परेशानी हम समझते हैं. हम इसे लेकर लगातार सड़क और सदन में भी सरकार से सवाल पूछते रहे हैं. हम बिहार के युवाओं के साथ हैं और बेरोजगारी का दर्द समझते हैं. सिर्फ सड़क पर ही नहीं बल्कि सदन में भी हम इस मुद्दे पर सरकार से सवाल पूछ रहे हैं, क्योंकि सरकार ने इस बार 19 लाख रोजगार का दावा किया है.''

वहीं, युवाओं को रोजगार देने के मुद्दे पर भाजपा नेता संजय कुमार मयूख ने कहा कि ''बिहार की नीतीश सरकार युवाओं के लिए लगातार काम कर रही है. चुनाव में जो वायदे हमने किए थे, उन पर लगातार काम हो रहा है और हम अपना वादा पूरा करके दिखाएंगे.''

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बता दें कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (Centre for Monitoring Indian Economy) के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में बेरोजगारी दर (Unemployment Rate in Bihar) बढ़कर करीब 14 फीसदी तक पहुंच चुकी है. जनवरी महीने में बेरोजगारी दर 10.5%, अप्रैल में 11.5%, जबकि मई में 13.8% थी. बिहार में एक तरफ 50 हजार से ज्यादा युवा बिहार कर्मचारी चयन आयोग में मुख्य परीक्षा पास करने के बावजूद काउंसलिंग के इंतजार में बैठे हैं और आंदोलन को मजबूर हैं. वहीं, दूसरी तरफ करीब सवा लाख पदों पर बहाली का इंतजार कर रहे शिक्षक अभ्यर्थी भी पटना में आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार के पास इस बात का कोई सही जवाब नहीं है कि इन्हें नियुक्ति पत्र कब मिलेगा.

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