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'अपनों को बचाते हैं, गैरों को फंसाते हैं और शराब बेचवाते हैं मुख्यमंत्री'

मुख्यमंत्री शराबबंदी की विस्तृत समीक्षा बैठक कर रहे हैं. इस बैठक में सभी मंत्री और आला अधिकारी भी मौजूद हैं. लेकिन, उनके सचिवालय के सामने ही शराब की बोतलें फेंकी हुई मिली हैं. इसे लेकर विपक्ष बड़े सवाल खड़े कर रहा है. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना
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Published : Nov 16, 2021, 3:16 PM IST

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban) की समीक्षा कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के सामने एक और बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. उनके सचिवालय के सामने ही शराब की बोतलें फेंकी हुई मिली हैं. इसे लेकर विपक्ष बड़े सवाल खड़े कर रहा है और पूछ रहा है कि हम जो आरोप लगाते हैं उसे मुख्यमंत्री गलत साबित करें. हमारा आरोप है कि मुख्यमंत्री अपनों को बचाते हैं, गैरों को फंसाते हैं और शराब बेचवाते हैं.

ये भी पढ़ें- जहां हो रही है शराबबंदी की समीक्षा, वहीं बगल में बिखरी पड़ी हैं दारू की बोतलें, चखने का भी था इंतजाम

दरअसल, शराबबंदी की समीक्षा और वह भी उस दिन जब एनडीए सरकार के कार्यकाल का 1 साल पूरा हुआ है और इसी दिन मुख्यमंत्री सचिवालय के पास शराब की बोतलें मिलती हैं, जिनसे विपक्ष के आरोपों की पुष्टि होती है कि बिहार में शराब हर जगह उपलब्ध है. विपक्ष इसे लेकर बड़े सवाल खड़े कर रहा है. राजद के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि बिहार में जिस तरह से खुलेआम शराब मिल रही है और एक पैरेलल इकोनॉमी खड़ी हो गई है. उसमें मुख्यमंत्री की भी बड़ी भूमिका है. शक्ति सिंह यादव ने कहा कि बीजेपी और जदयू अपनी पार्टी के आर्थिक मदद के लिए इस पैरेलल इकोनॉमी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

''मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए कि वह समीक्षा किस बात की कर रहे हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री तो बीजेपी और जदयू नेताओं के शराब व्यापार में लिप्त होने की पुष्टि होने पर भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. मुख्यमंत्री खुद सारी बातें जानते हैं, लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए समीक्षा करते हैं, जिसका कोई अर्थ निकलने वाला नहीं है.''- शक्ति सिंह यादव, प्रदेश प्रवक्ता, राजद

ये भी पढ़ें- सत्ता में 16 साल: बदले-बदले नजर आए 'सरकार', पिछले एक बरस में टूट गया सुशासन बाबू का 'तिलिस्म'

विपक्ष के इन गंभीर आरोपों पर बीजेपी ने कहा कि विपक्ष भी शराबबंदी के फैसले में शामिल था, लेकिन जो शराब का अवैध व्यापार हो रहा है, उसमें कहीं न कहीं विपक्ष की भी भूमिका है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने बिहार के प्रशासन पर भी सवाल खड़े किए हैं.

''आखिर इतनी कड़ाई के बावजूद कैसे बिहार के शहरों में शराब की खेप पहुंच रही है. ऐसे जिम्मेदार पुलिस और पदाधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. शराबबंदी से बिहार में बहुत सारे फायदे हुए हैं, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है.''- प्रेम रंजन पटेल, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

ये भी पढ़ें- शराबबंदी पर समीक्षा बैठक कर रहे नीतीश, ले रहे जिलावार फीडबैक

इधर, इन सब के बीच राजद के प्रदेश कार्यालय में मतदाता सूची और बीएलए लिस्ट अपडेशन को लेकर दो दिवसीय बैठक चल रही है. पहले दिन दक्षिण बिहार के जिला अध्यक्ष और प्रधान महासचिव की बैठक हो रही है और 17 नवंबर को उत्तर बिहार के पार्टी पदाधिकारियों की बैठक होगी. हालांकि, इस बैठक में पहले तेजस्वी यादव शामिल होने वाले थे और विभिन्न प्रमंडल के विधायकों को भी शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन आखिरी वक्त में पार्टी का कार्यक्रम बदलना पड़ा क्योंकि लालू यादव की तबीयत खराब होने की वजह से तेजस्वी यादव को दिल्ली रवाना होना पड़ा.

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर समीक्षा बैठक कर रहे हैं. यह समीक्षा बैठक मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद में हो रही है. संवाद के बगल में ही जो कचरा प्वाइंट है, वहां पर शराब की बोतलें बिखरी पड़ी हैं. वहीं पर चने भी बिखरे पड़े रहे हैं. उसके निकट ही एक होर्डिंग लगा है जिस पर शराब नहीं पीने को लेकर स्लोगन लिखा हुआ है. बिहार में 2016 से ही पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है. इसके बावजूद शराब की लगातार तस्करी हो रही है.

पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban) की समीक्षा कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के सामने एक और बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. उनके सचिवालय के सामने ही शराब की बोतलें फेंकी हुई मिली हैं. इसे लेकर विपक्ष बड़े सवाल खड़े कर रहा है और पूछ रहा है कि हम जो आरोप लगाते हैं उसे मुख्यमंत्री गलत साबित करें. हमारा आरोप है कि मुख्यमंत्री अपनों को बचाते हैं, गैरों को फंसाते हैं और शराब बेचवाते हैं.

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दरअसल, शराबबंदी की समीक्षा और वह भी उस दिन जब एनडीए सरकार के कार्यकाल का 1 साल पूरा हुआ है और इसी दिन मुख्यमंत्री सचिवालय के पास शराब की बोतलें मिलती हैं, जिनसे विपक्ष के आरोपों की पुष्टि होती है कि बिहार में शराब हर जगह उपलब्ध है. विपक्ष इसे लेकर बड़े सवाल खड़े कर रहा है. राजद के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि बिहार में जिस तरह से खुलेआम शराब मिल रही है और एक पैरेलल इकोनॉमी खड़ी हो गई है. उसमें मुख्यमंत्री की भी बड़ी भूमिका है. शक्ति सिंह यादव ने कहा कि बीजेपी और जदयू अपनी पार्टी के आर्थिक मदद के लिए इस पैरेलल इकोनॉमी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

''मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए कि वह समीक्षा किस बात की कर रहे हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री तो बीजेपी और जदयू नेताओं के शराब व्यापार में लिप्त होने की पुष्टि होने पर भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. मुख्यमंत्री खुद सारी बातें जानते हैं, लेकिन सिर्फ दिखावे के लिए समीक्षा करते हैं, जिसका कोई अर्थ निकलने वाला नहीं है.''- शक्ति सिंह यादव, प्रदेश प्रवक्ता, राजद

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विपक्ष के इन गंभीर आरोपों पर बीजेपी ने कहा कि विपक्ष भी शराबबंदी के फैसले में शामिल था, लेकिन जो शराब का अवैध व्यापार हो रहा है, उसमें कहीं न कहीं विपक्ष की भी भूमिका है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने बिहार के प्रशासन पर भी सवाल खड़े किए हैं.

''आखिर इतनी कड़ाई के बावजूद कैसे बिहार के शहरों में शराब की खेप पहुंच रही है. ऐसे जिम्मेदार पुलिस और पदाधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. शराबबंदी से बिहार में बहुत सारे फायदे हुए हैं, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है.''- प्रेम रंजन पटेल, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

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इधर, इन सब के बीच राजद के प्रदेश कार्यालय में मतदाता सूची और बीएलए लिस्ट अपडेशन को लेकर दो दिवसीय बैठक चल रही है. पहले दिन दक्षिण बिहार के जिला अध्यक्ष और प्रधान महासचिव की बैठक हो रही है और 17 नवंबर को उत्तर बिहार के पार्टी पदाधिकारियों की बैठक होगी. हालांकि, इस बैठक में पहले तेजस्वी यादव शामिल होने वाले थे और विभिन्न प्रमंडल के विधायकों को भी शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन आखिरी वक्त में पार्टी का कार्यक्रम बदलना पड़ा क्योंकि लालू यादव की तबीयत खराब होने की वजह से तेजस्वी यादव को दिल्ली रवाना होना पड़ा.

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर समीक्षा बैठक कर रहे हैं. यह समीक्षा बैठक मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद में हो रही है. संवाद के बगल में ही जो कचरा प्वाइंट है, वहां पर शराब की बोतलें बिखरी पड़ी हैं. वहीं पर चने भी बिखरे पड़े रहे हैं. उसके निकट ही एक होर्डिंग लगा है जिस पर शराब नहीं पीने को लेकर स्लोगन लिखा हुआ है. बिहार में 2016 से ही पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है. इसके बावजूद शराब की लगातार तस्करी हो रही है.

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