पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यात्रा (Nitish Kumar on Bihar Visit) का हमेशा एक उद्देश्य रहा है. इस बार भी यात्रा का बड़ा मकसद है. अपनी यात्राओं के माध्यम से उन्होंने कई बड़ी योजनाओं की शुरुआत की है, जिसमें पंचायतों में 50% महिलाओं के लिए आरक्षण, बालिका साइकिल और पोशाक योजना शामिल हैं. अब जिस मकसद से सीएम यात्रा पर निकलने वाले हैं, उसमें कोशिश होगी शराबबंदी पर जागरूकता बढ़ाना.
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार साल 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी. वे अक्सर कहते हैं कि महिलाओं के कहने पर ही उन्होंने बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) को लागू किया था. अब 5 साल से अधिक हो चुके हैं और शराबबंदी को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. विपक्षी दल के साथ-साथ सहयोगी बीजेपी के नेता भी शराबबंदी पर सवाल खड़ा करते रहे हैं. बड़े पैमाने पर शराब की बरामदगी भी हो रही है. इन सबके बाद ही पिछले महीने मुख्यमंत्री ने 7 घंटे तक मैराथन समीक्षा बैठक की और उसके बाद पुलिसिया एक्शन बढ़ा दिए गए हैं.
समीक्षा बैठक में ही मुख्यमंत्री ने शराबबंदी को लेकर यात्रा करने का फैसला लिया था और अधिकारियों को तैयारी करने का निर्देश भी दिया था. अपनी इस यात्रा में मुख्यमंत्री का मुख्य उद्देश्य शराबबंदी को लेकर समीक्षा और जागरूकता अभियान है. इसमें महिलाओं के साथ संवाद प्रमुख है. दरअसल नीतीश कुमार की नजर आधी आबादी पर है. वे अपनी यात्रा के दौरान आधी आबादी से ही शराबबंदी पर फीडबैक (Feedback from Women on Prohibition) लेंगे.
नीतीश ने पहले भी जागरूकता अभियान में महिलाओं की मदद ली थी, क्योंकि शराबबंदी कानून को 5 साल से अधिक हो चुका है. सरकार पर लग रहे आरोपों से निजात दिलाने में आधी आबादी मददगार हो सकती है. इसलिए इस यात्रा में नीतीश कुमार महिलाओं के बीच जाएंगे.
बिहार सरकार की खाद्य आपूर्ति मंत्री लेसी सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री ने शराबबंदी का संकल्प लिया है. आधी आबादी के कहने पर ही बिहार में शराबबंदी हुई है. कड़े कानून भी मुख्यमंत्री ने बनाया है, लेकिन केवल कानून से शराबबंदी सफल नहीं हो सकती है, जागरूकता अभियान की भी जरूरत है. इसलिए यात्रा में मुख्यमंत्री महिलाओं को जागरूक करेंगे, क्योंकि शराब से सबसे ज्यादा नुकसान महिलाओं को ही उठाना पड़ता है.
"महिलाओं के कहने पर ही मुख्यमंत्री ने बिहार में शराबबंदी कानून को लागू किया था, लेकिन केवल कानून से शराबबंदी सफल नहीं हो सकती है, जागरूकता अभियान की भी जरूरत है. जागरूकता के लिए पहले से भी कार्यक्रम चल रहे हैं और इस बार मुख्यमंत्री की यात्रा में महिलाओं का भी कार्यक्रम होगा"- लेसी सिंह, मंत्री, खाद्य आपूर्ति विभाग
वहीं, जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा का भी कहना है कि यात्रा को आधी आबादी को साधने के नजरिए से नहीं देखना चाहिए, क्योंकि महिलाओं को ताकत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही दिया है. सीएम तो अपनी यात्रा के दौरान उनसे शराबबंदी पर फीडबैक लेंगे.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यात्रा को आधी आबादी को साधने के नजरिए से नहीं देखना चाहिए, क्योंकि महिलाओं को ताकत भी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही दिया है"- अभिषेक झा, प्रवक्ता, जेडीयू
उधर, कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा का कहना है 5 साल के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महिलाओं को जागरूक करने की जरूरत पड़ रही है. इसका मतलब है कि अब तक महिलाओं में जागरूकता नहीं लाई गई और शराबबंदी फेल होने का यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है. उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति बेहतर करने से संबंधित योजना बनाकर सीएम को यात्रा पर निकलना चाहिए
"5 साल के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महिलाओं को जागरूक करने की जरूरत पड़ रही है. इसका मतलब है कि अब तक महिलाओं में जागरूकता नहीं लाई गई. शराबबंदी फेल होने का यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है"- प्रेमचंद्र मिश्रा, विधान पार्षद, कांग्रेस
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अपनी इस प्रस्तावित यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोगों के बीच जाएंगे. खासकर महिलाओं के बीच जाकर उनसे बातचीत करेंगे और शराबबंदी पर फीडबैक हासिल करेंगे.
- महिलाओं के साथ अपनी यात्रा में मुख्यमंत्री संवाद करेंगे.
- महिलाओं का कार्यक्रम होगा शराब से होने वाले नुकसान और फायदे बताए जाएंगे.
- विपक्ष की ओर से लगाए जा रहे आरोप को लेकर भी महिलाओं को चेताया जाएगा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 1 दर्जन से अधिक यात्राओं का रिकॉर्ड बना चुके हैं. 2005 में न्याय यात्रा की शुरुआत की थी और उसके बाद विकास यात्रा, धन्यवाद यात्रा, प्रवास यात्रा, विश्वास यात्रा, सेवा यात्रा, अधिकार यात्रा, संकल्प यात्रा, संपर्क यात्रा, निश्चय यात्रा, विकास कार्यों की समीक्षा यात्रा, जल जीवन हरियाली यात्रा और अब शराबबंदी को लेकर समीक्षा यात्रा होगा.
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