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नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे: बिहार में 31.3% मां को बेटे की तम्मना, केवल 1.9% को ही चाहिए बेटी

हमारे समाज में बेटे की चाहत अभी भी कम नहीं हुई है और ये पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में है. बिहार में 31.3% महिलाएं बेटा ही चाहती हैं, जबकि ऐसे पुरुषों की संख्या 22% है. ये खुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (National Family Health Survey 5) के पांचवें राउंड के आंकड़ों से हुआ है. पढ़ें पूरी खबर..

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5
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Published : May 7, 2022, 9:46 PM IST

पटना: एक तरफ जहां केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (Beti Bachao Beti Padhao) का नारा बुलंद किया जाता है. वहीं, दूसरी तरफ बिहार में बेटे की चाह महिलाओं में ज्यादा है. 31.3% महिलाएं चाहती हैं कि उनकी संतान बेटा ही हो. मामले में बिहार में 31.3% महिलाएं बेटे की तम्मना (Desire For Son is More Among Women in Bihar) रखती हैं, जबकि 22% ऐसे पुरुष हैं जो ऐसी तमन्ना रखते हैं. दरअसल, यह खुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे फाइव के पांचवें राउंड के आंकड़ों में हुआ है, जिनका सर्वे जुलाई 2019 से फरवरी 2020 के बीच किया गया है.

ये भी पढ़ें- रिपोर्ट में खुलासा : ड्राई स्टेट बिहार में महिलाएं खूब गटक रहीं शराब


केवल 1.9% ही बेटी की चाह: सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह सामने आया है कि केवल 1.9% महिलाएं ऐसी हैं, जो बेटियां चाहती हैं. जबकि 2.8% पुरुष ऐसे हैं जो यह चाहते हैं कि उन्हें बेटियां हो. देश स्तर पर देखें तो 15.4% महिलाओं को बेटे की चाह है, जबकि 16% पुरुष चाहते हैं कि उन्हें बेटा हो.

दरअसल, इसका खुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 की दूसरी रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 40% लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती है और 19 साल तक की 11% लड़कियां मां बन रही हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) फाइल की दूसरी रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 40% लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है, जबकि 25% लड़कों की शादी है उम्र सीमा 21 साल से पहले की जा रही है.

ईटीवी भारत GFX
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67% कपड़े का यूज: आंकड़े में यह भी सामने आया है कि बिहार में 15 से 24 साल की 67.5% महिलाएं पीरियड्स में कपड़ों का उपयोग करती हैं. जबकि 17.3% महिलाएं 15.2% महिलाएं हाइजेनिक मेथड का इस्तेमाल करती हैं. आश्चर्य यह है कि केवल 0.8% महिलाओं का यह भी कहना है कि वह किसी भी प्रोटेक्शन का उपयोग नहीं करती हैं. गर्भनिरोधक के मामले में बिहार की 56% महिलाएं गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करती हैं. जबकि मेघालय में 27% मिजोरम में 31% यह आंकड़ा है.


कम उम्र में मां बनने में टॉप 5 में बिहार: कम उम्र में मां बनने वाले राज्यों में बिहार देश के टॉप 5 राज्यों में देश में सबसे अधिक त्रिपुरा में 22% महिलाएं कम उम्र में मां बनती है. जबकि पश्चिम बंगाल में 16%, आंध्र प्रदेश में 13%, असम में 12% और बिहार में 11% महिलाएं कम उम्र में मां बनी है या बनने वाली हैं. इसमें भी 6.8% लड़कियां ऐसी हैं, जिन्होंने पहले बच्चे को जन्म दे दिया है. आंकड़े में यह भी खुलासा हुआ है कि बिहार में 40% महिलाओं की शादी 18 साल से पहले हो जाती है. जबकि 25% पुरुष ऐसे हैं जिनकी शादी 21 साल से पहले हो जा रही है. शहरी क्षेत्र में 29.2% व ग्रामीण इलाकों में 42.4% महिलाओं की शादी 18 साल तक कर दी जा रही है.

''यह जो आंकड़े आए हैं. इसे अलग से बिहार के संदर्भ में देखा जाए यह चिंताजनक है. इन आंकड़ों के अनुसार नौकरीशुदा 37% महिलाएं भी हिंसा की शिकार हैं. आंकड़ों में 15 साल से कम उम्र में मां बनने वाली लड़कियां जो हैं. इनकी संख्या चिंताजनक है. हालांकि, सरकार ने शादी की उम्र सीमा को बढ़ाया है इसका फायदा भी अगले सर्वे में आ सकता है. बेटे की चाहत को लेकर यह मामला पर्सनल चॉइस का हो सकता है. अगर वह बेटे को ना चाह कर बेटी को चाहती तो काफी अप्रिशिएट किया जाता. अगर बेटे को चाह रही है तो कहा जाता है कि सोच अभी नहीं बदली.''- मोनिका आर्य, समाजसेवी

''हमारे देश मैया आम बात है कि लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती है. 15 से 19 साल की लड़कियों के बीच यह पाया गया है कि 46% लड़कियों का वजन सामान्य से कम होता है. 57% लड़कियां ऐसी है जो एनीमिया, रक्तहीनता से ग्रसित हैं. ऐसी लड़कियां जब मां बनती है तो उनमें प्रेगनेंसी से जुड़ी समस्याएं दोगुनी हो जाती हैं. ऐसी मां का वजन सही नहीं होता है. संक्रमण का दर भी काफी बढ़ जाता है और सबसे जरूरी, प्रेगनेंसी से रिलेटेड उच्च रक्तदाब भी बढ़ जाता है.''- डॉक्टर रश्मि श्रीवास्तव, स्त्री रोग विशेषज्ञ

''केंद्र सरकार द्वारा बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का जो नारा दिया गया है. वह सुखद है. इस नारे को देश के सामाजिक पहलुओं को देखते हुए ही शुरू किया गया था. किस तरह से महिलाओं बच्चों को पढ़ाया नहीं जाता था. यह जागरूकता के लिए किया गया. कोई अगर पढ़ेगा नहीं तो जागरूकता नहीं आएगी. इसके अलावा महिलाओं बच्चियों के लिए कई सारी योजनाएं केवल बच्चों और महिलाओं को सेव करने के लिए हैं.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार


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पटना: एक तरफ जहां केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (Beti Bachao Beti Padhao) का नारा बुलंद किया जाता है. वहीं, दूसरी तरफ बिहार में बेटे की चाह महिलाओं में ज्यादा है. 31.3% महिलाएं चाहती हैं कि उनकी संतान बेटा ही हो. मामले में बिहार में 31.3% महिलाएं बेटे की तम्मना (Desire For Son is More Among Women in Bihar) रखती हैं, जबकि 22% ऐसे पुरुष हैं जो ऐसी तमन्ना रखते हैं. दरअसल, यह खुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे फाइव के पांचवें राउंड के आंकड़ों में हुआ है, जिनका सर्वे जुलाई 2019 से फरवरी 2020 के बीच किया गया है.

ये भी पढ़ें- रिपोर्ट में खुलासा : ड्राई स्टेट बिहार में महिलाएं खूब गटक रहीं शराब


केवल 1.9% ही बेटी की चाह: सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह सामने आया है कि केवल 1.9% महिलाएं ऐसी हैं, जो बेटियां चाहती हैं. जबकि 2.8% पुरुष ऐसे हैं जो यह चाहते हैं कि उन्हें बेटियां हो. देश स्तर पर देखें तो 15.4% महिलाओं को बेटे की चाह है, जबकि 16% पुरुष चाहते हैं कि उन्हें बेटा हो.

दरअसल, इसका खुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 की दूसरी रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 40% लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती है और 19 साल तक की 11% लड़कियां मां बन रही हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) फाइल की दूसरी रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 40% लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है, जबकि 25% लड़कों की शादी है उम्र सीमा 21 साल से पहले की जा रही है.

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67% कपड़े का यूज: आंकड़े में यह भी सामने आया है कि बिहार में 15 से 24 साल की 67.5% महिलाएं पीरियड्स में कपड़ों का उपयोग करती हैं. जबकि 17.3% महिलाएं 15.2% महिलाएं हाइजेनिक मेथड का इस्तेमाल करती हैं. आश्चर्य यह है कि केवल 0.8% महिलाओं का यह भी कहना है कि वह किसी भी प्रोटेक्शन का उपयोग नहीं करती हैं. गर्भनिरोधक के मामले में बिहार की 56% महिलाएं गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करती हैं. जबकि मेघालय में 27% मिजोरम में 31% यह आंकड़ा है.


कम उम्र में मां बनने में टॉप 5 में बिहार: कम उम्र में मां बनने वाले राज्यों में बिहार देश के टॉप 5 राज्यों में देश में सबसे अधिक त्रिपुरा में 22% महिलाएं कम उम्र में मां बनती है. जबकि पश्चिम बंगाल में 16%, आंध्र प्रदेश में 13%, असम में 12% और बिहार में 11% महिलाएं कम उम्र में मां बनी है या बनने वाली हैं. इसमें भी 6.8% लड़कियां ऐसी हैं, जिन्होंने पहले बच्चे को जन्म दे दिया है. आंकड़े में यह भी खुलासा हुआ है कि बिहार में 40% महिलाओं की शादी 18 साल से पहले हो जाती है. जबकि 25% पुरुष ऐसे हैं जिनकी शादी 21 साल से पहले हो जा रही है. शहरी क्षेत्र में 29.2% व ग्रामीण इलाकों में 42.4% महिलाओं की शादी 18 साल तक कर दी जा रही है.

''यह जो आंकड़े आए हैं. इसे अलग से बिहार के संदर्भ में देखा जाए यह चिंताजनक है. इन आंकड़ों के अनुसार नौकरीशुदा 37% महिलाएं भी हिंसा की शिकार हैं. आंकड़ों में 15 साल से कम उम्र में मां बनने वाली लड़कियां जो हैं. इनकी संख्या चिंताजनक है. हालांकि, सरकार ने शादी की उम्र सीमा को बढ़ाया है इसका फायदा भी अगले सर्वे में आ सकता है. बेटे की चाहत को लेकर यह मामला पर्सनल चॉइस का हो सकता है. अगर वह बेटे को ना चाह कर बेटी को चाहती तो काफी अप्रिशिएट किया जाता. अगर बेटे को चाह रही है तो कहा जाता है कि सोच अभी नहीं बदली.''- मोनिका आर्य, समाजसेवी

''हमारे देश मैया आम बात है कि लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती है. 15 से 19 साल की लड़कियों के बीच यह पाया गया है कि 46% लड़कियों का वजन सामान्य से कम होता है. 57% लड़कियां ऐसी है जो एनीमिया, रक्तहीनता से ग्रसित हैं. ऐसी लड़कियां जब मां बनती है तो उनमें प्रेगनेंसी से जुड़ी समस्याएं दोगुनी हो जाती हैं. ऐसी मां का वजन सही नहीं होता है. संक्रमण का दर भी काफी बढ़ जाता है और सबसे जरूरी, प्रेगनेंसी से रिलेटेड उच्च रक्तदाब भी बढ़ जाता है.''- डॉक्टर रश्मि श्रीवास्तव, स्त्री रोग विशेषज्ञ

''केंद्र सरकार द्वारा बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का जो नारा दिया गया है. वह सुखद है. इस नारे को देश के सामाजिक पहलुओं को देखते हुए ही शुरू किया गया था. किस तरह से महिलाओं बच्चों को पढ़ाया नहीं जाता था. यह जागरूकता के लिए किया गया. कोई अगर पढ़ेगा नहीं तो जागरूकता नहीं आएगी. इसके अलावा महिलाओं बच्चियों के लिए कई सारी योजनाएं केवल बच्चों और महिलाओं को सेव करने के लिए हैं.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार


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