पटना: बिहार चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन में बड़ा सियासी बम फूटा. बीते शनिवार को मौका था सीटों के ऐलान का, तभी विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी के मुकेश सहनी ने माइक हाथ में आते ही बागी तेवर दिखा दिए. मुकेश सहनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में महागठबंधन छोड़ने का एलान कर दिया है.
महागठबंधन से अलग कर चुके हैं रास्ता
बता दें कि मुकेश साहनी का राजनीतिक इतिहास बहुत लंबा नहीं है. लेकिन राजनीतिक गठजोड़ की उनकी फेहरिस्त बहुत ही कम समय में काफी लंबी हो चुकी है. मुकेश 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ थे. 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी का चुनाव प्रचार किया. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वो यूपीए में शामिल हो गए और महागठबंधन के लिए प्रचार किया. अब 2020 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर अपना रास्ता महागठबंधन से अलग कर चुके हैं.
बॉलीवुड के सेट डिजाइनर रहे हैं मुकेश
फिलहाल सहनी भले ही राजनीति कर रहे हों, पर वे असल में सियासत के आदमी नहीं हैं. पेशे से वह बॉलीवुड के सेट डिजाइनर रहे हैं और जाने-माने सुपरस्टार शाहरुख खान की फिल्म देवदास का सेट की डिजाइनिंग कर चुके हैं. मुकेश मूलत दरभंगा जिले के सुपौल बाजार के रहने वाले हैं. बताया जाता है कि वह जब 18 साल के थे, तब घर छोड़ दिया और मुंबई चले गए.
बॉलीवुड में काम करते-करते बनाई कंपनी
मुंबई में तस्वीरों पर कांच की फ्रेम चढ़ाने वाले की दुकान में काम करने लगे. सहनी, फोटो-फ्रेम की दुकान में काम करते हुए अक्सर फिल्मसिटी स्टूडियो के चक्कर लगाया करते थे. इसके बाद बॉलीवुड में कदम रखा, सेट डिजाइनर का काम किया और देखते ही देखते, उन्होंने अपने नाम से एक कंपनी बना ली.
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महागठबंधन और कांग्रेस दोनों के साथ सियासी पारी
इन सब के बीच, मुकेश मुंबई में जरूर थे, लेकिन राजनीति उन्हें बिहार बुला रही थी. साल 2010 में उन्होंने बिहार में सहनी समाज कल्याण समाज की स्थापना की. 2015 में उन्होंने निशाद विकास संघ बनाया. 2014 में सहनी ने बीजेपी को समर्थन दिया और प्रचार भी किया. हालांकि, समर्थन देने के बाद भी वे बीजेपी से अलग हो गए, क्योंकि पार्टी ने उनके वादे को पूरा नहीं किया.
2018 में बनाई विकासशील इंसान पार्टी
साल 2018 में उन्होंने खुद की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआईपी बनाई. 2019 के आम चुनाव उनकी पार्टी महागठबंधन के हिस्से के तौर पर लड़ी, लेकिन वो जीत हासिल करने में नाकामयाब रहे.
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ओबीसी के बड़े प्रतिनिधि के तौर पर उभरे सहनी
बता दें कि प्रदेश में मछुआरों और नाविकों में मल्लाह, सहनी, निषाद, बिंद सरीखी ओबीसी की आबादी लगभग पांच फीसदी है. चूंकि, बिहार में मुख्य रूप से पहले इनका कोई बड़ा नेता नहीं था, इसलिए अब मुकेश सहनी इनके बड़े प्रतिनिधि के तौर पर देखे जाते हैं.