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मंत्री जीवेश मिश्रा ने किया वार, कहा- 'RJD मतलब रेल जलाओ दल'

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Published : Jun 27, 2022, 5:21 PM IST

बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र चल रहा है. इस दौरान सोमवार को विपक्ष ने अग्निपथ योजना को लेकर जमकर हंगामा किया. सदन के अंदर से लेकर बाहर तक विरोध प्रदर्शन हुआ. इसपर बिहार सरकार के मंत्री जीवेश मिश्रा ने निशाना साधा. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Minister Jivesh Mishra
Minister Jivesh Mishra

पटना : बिहार विधानसभा का मानसून सत्र आज हंगामे की भेंट चढ़ गया. अग्निपथ योजना को लेकर विपक्षी सदस्यों ने सदन के अंदर वेल में पहुंचकर जबरदस्त हंगामा किया. इसके कारण सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी. विपक्ष के रवैए पर बीजेपी कोटे से मंत्री जीवेश मिश्रा (Minister Jivesh Mishra) ने निशाना साधा. उन्होंने कहा कि छोटा सत्र है और जनता के सवाल का उत्तर होना है. विपक्ष के साथियों का भी प्रश्न था लेकिन सदन भंग करके विपक्ष के लोग जनता की अदालत के कटघरे में खड़े हो गए हैं.

ये भी पढ़ें - 'युवा भ्रम से बाहर निकल चुके हैं, आंदोलन फेल हो गया है', RJD के राजभवन मार्च पर बोले जीवेश मिश्रा


आरजेडी की मंशा उपद्रवियों को बचाने की : आरजेडी के कार्य स्थगन प्रस्ताव को लेकर श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि आरजेडी की मंशा उपद्रवियों को बचाने की थी जो उनके हैं. छात्र, आंदोलन में कहीं नहीं थे. छात्रों ने अग्निपथ योजना का स्वागत किया है. देश में अब तक की सबसे अनूठी स्किलिंग योजना लाई गई है. छात्र तैयारी में जुट गए हैं और कई वीडियो आया है जिसमें छात्र कह रहे हैं 4 साल क्या 4 दिन भी सेना की वर्दी पहने का मौका मिले तो वह अद्भुत होगा.

''आरजेडी का नया नाम रेल जलाओ दल है. रेल जलाओ दल को जब पता चला कि छात्रों को आंदोलन में कोई रुचि नहीं है, तो ये लोग भाग खड़े हुए हैं. अब सदन में आकर हंगामा खड़ा करना चाहते हैं. बिहार के लोग उसमें फंसने वाले नहीं हैं.''- जीवेश मिश्रा, श्रम संसाधन मंत्री, बिहार

अग्निपथ पर हंगामा : बता दें कि अग्निपथ योजना को लेकर सोमवार को बिहार विधानसभा और विधान परिषद में जमकर हंगामा (Agnipath Scheme Protest) हुआ. आखिरकार दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी. विपक्षी सदस्यों ने सदन के अंदर के साथ-साथ बाहर भी प्रदर्शन किया. उनकी मांग है कि इस योजना को वापस लिया जाए. इसपर सर्वदलीय बैठक बुलायी जाए.

क्या है अग्निपथ योजना: भारत सरकार द्वारा जिस अग्निपथ योजना की शुरुआत की गई है. उसमें बहाली के प्रथम वर्ष में 21 हजार रुपये वेतन के रूप में भारत सरकार के द्वारा प्रत्येक महीने भुगतान किया जाएगा. दूसरे वर्ष वेतन में वृद्धि कर 23 हजार 100 रुपये प्रत्येक महीने दिया जाएगा और तीसरे महीने 25 हजार 580 एवं चौथे वर्ष में 28 हजार रुपये वेतन के रूप में भुगतान करने के साथ ही उन युवाओं को रिटायर्ड कर दिया जाएगा. लेकिन इस योजना को लेकर बिहार में चारों तरफ हंगामा बरपा है. वहीं, गुरुवार को केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना के विरोध के बीच अभ्यर्थियों की आयु सीमा को 21 से बढ़ाकर 23 साल कर दी है. ये स्पष्ट किया गया है कि ये छूट सिर्फ इस साल सेना में भर्ती के लिए किया गया है. बता दें कि अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती के लिए सरकार ने साढ़े 17 साल से लेकर 21 साल की आयु निर्धारित की थी.


'अंग्निपथ स्कीम' से क्यों नाराज हैं छात्र : दरअसल, 2020 से आर्मी अभ्यर्थियों की कई परीक्षाएं हुई थी. किसी का मेडिकल बाकी था तो किसी का रिटेन. ऐसे सभी अभ्यर्थियों की योग्यता एक झटके में रद्द कर दी गई. पहले ये नौकरी स्थाई हुआ करती थी. मतलब सरकारी नौकरी का ख्वाब इससे नौजवान पूरा करते थे. नई स्कीम की तहत बताया गया कि अब चार साल की नौकरी होगी. इसमें सिर्फ 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थाई किया जाएगा. 75 प्रतिशत चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे. उनको पेंशन समेत बाकी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. बिहार जैसे राज्य में जहां ज्यादातर युवाओं का एक ही लक्ष्य कह लीजिए या सपना सरकारी नौकरी होता है, ऐसे में सपना टूटता देख छात्र सड़कों पर उतर गए.


पटना : बिहार विधानसभा का मानसून सत्र आज हंगामे की भेंट चढ़ गया. अग्निपथ योजना को लेकर विपक्षी सदस्यों ने सदन के अंदर वेल में पहुंचकर जबरदस्त हंगामा किया. इसके कारण सदन की कार्यवाही नहीं चल सकी. विपक्ष के रवैए पर बीजेपी कोटे से मंत्री जीवेश मिश्रा (Minister Jivesh Mishra) ने निशाना साधा. उन्होंने कहा कि छोटा सत्र है और जनता के सवाल का उत्तर होना है. विपक्ष के साथियों का भी प्रश्न था लेकिन सदन भंग करके विपक्ष के लोग जनता की अदालत के कटघरे में खड़े हो गए हैं.

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आरजेडी की मंशा उपद्रवियों को बचाने की : आरजेडी के कार्य स्थगन प्रस्ताव को लेकर श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि आरजेडी की मंशा उपद्रवियों को बचाने की थी जो उनके हैं. छात्र, आंदोलन में कहीं नहीं थे. छात्रों ने अग्निपथ योजना का स्वागत किया है. देश में अब तक की सबसे अनूठी स्किलिंग योजना लाई गई है. छात्र तैयारी में जुट गए हैं और कई वीडियो आया है जिसमें छात्र कह रहे हैं 4 साल क्या 4 दिन भी सेना की वर्दी पहने का मौका मिले तो वह अद्भुत होगा.

''आरजेडी का नया नाम रेल जलाओ दल है. रेल जलाओ दल को जब पता चला कि छात्रों को आंदोलन में कोई रुचि नहीं है, तो ये लोग भाग खड़े हुए हैं. अब सदन में आकर हंगामा खड़ा करना चाहते हैं. बिहार के लोग उसमें फंसने वाले नहीं हैं.''- जीवेश मिश्रा, श्रम संसाधन मंत्री, बिहार

अग्निपथ पर हंगामा : बता दें कि अग्निपथ योजना को लेकर सोमवार को बिहार विधानसभा और विधान परिषद में जमकर हंगामा (Agnipath Scheme Protest) हुआ. आखिरकार दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी. विपक्षी सदस्यों ने सदन के अंदर के साथ-साथ बाहर भी प्रदर्शन किया. उनकी मांग है कि इस योजना को वापस लिया जाए. इसपर सर्वदलीय बैठक बुलायी जाए.

क्या है अग्निपथ योजना: भारत सरकार द्वारा जिस अग्निपथ योजना की शुरुआत की गई है. उसमें बहाली के प्रथम वर्ष में 21 हजार रुपये वेतन के रूप में भारत सरकार के द्वारा प्रत्येक महीने भुगतान किया जाएगा. दूसरे वर्ष वेतन में वृद्धि कर 23 हजार 100 रुपये प्रत्येक महीने दिया जाएगा और तीसरे महीने 25 हजार 580 एवं चौथे वर्ष में 28 हजार रुपये वेतन के रूप में भुगतान करने के साथ ही उन युवाओं को रिटायर्ड कर दिया जाएगा. लेकिन इस योजना को लेकर बिहार में चारों तरफ हंगामा बरपा है. वहीं, गुरुवार को केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना के विरोध के बीच अभ्यर्थियों की आयु सीमा को 21 से बढ़ाकर 23 साल कर दी है. ये स्पष्ट किया गया है कि ये छूट सिर्फ इस साल सेना में भर्ती के लिए किया गया है. बता दें कि अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती के लिए सरकार ने साढ़े 17 साल से लेकर 21 साल की आयु निर्धारित की थी.


'अंग्निपथ स्कीम' से क्यों नाराज हैं छात्र : दरअसल, 2020 से आर्मी अभ्यर्थियों की कई परीक्षाएं हुई थी. किसी का मेडिकल बाकी था तो किसी का रिटेन. ऐसे सभी अभ्यर्थियों की योग्यता एक झटके में रद्द कर दी गई. पहले ये नौकरी स्थाई हुआ करती थी. मतलब सरकारी नौकरी का ख्वाब इससे नौजवान पूरा करते थे. नई स्कीम की तहत बताया गया कि अब चार साल की नौकरी होगी. इसमें सिर्फ 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थाई किया जाएगा. 75 प्रतिशत चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे. उनको पेंशन समेत बाकी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. बिहार जैसे राज्य में जहां ज्यादातर युवाओं का एक ही लक्ष्य कह लीजिए या सपना सरकारी नौकरी होता है, ऐसे में सपना टूटता देख छात्र सड़कों पर उतर गए.


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