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सरकार के निर्देश का है इंतजार, पटना में मां सरस्वती की प्रतिमा की नहीं हो रही बुकिंग

कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि (increase in cases of corona infection) के चलते हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. सरकार ने कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कई तरह की पाबंदियां लगायी हैं. शिक्षण संस्थान, धार्मिक स्थल आदि को बंद कर दिया है. इधर, इस महामारी के बढ़ते प्रकोप का असर मुर्तिकारों पर पड़ा है. सरस्वती पूजा को लेकर सरकार की ओर से कोई गाइडलाइन नहीं मिलने से मूर्तिकार परेशान हैं. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Jan 19, 2022, 5:41 PM IST

Updated : Jan 19, 2022, 5:53 PM IST

पटना: विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja 2022) विद्यार्थी बड़ी धूम-धाम से करते हैं. हालांकि कोरोना संक्रमण के बीच मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में मूर्तिकार पिछले 1 महीने से अपने काम में जुटे हुए हैं. अब वे प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे हैं. एक तरफ कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देख राज्य सरकार ने नाइट कर्फ्यू (night curfew in bihar) लगाया है. धार्मिक स्थल, कोचिंग संस्थान, कॉलेज, स्कूल, पार्क, सिनेमा हॉल बंद कर दिये हैं. कोरोना संक्रमण के कारण मूर्तिकारों को पिछले साल भारी नुकसान उठाना पड़ा था.

त्योहारों पर मूर्तियों की बिक्री नहीं होने से मूर्तिकार कर्जे में डूबे हुए हैं. इस साल भी मूर्तिकारों को कोरोना ने चिंतित कर दिया है. कोरोना वायरस के कारण मूर्तिकारों ने पिछले साल की अपेक्षा इस साल कम मूर्तियां ही बनाई हैं पर बुकिंग नहीं होने से उनके सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न होने लगी है. मूर्तिकार पाई-पाई जोड़कर मूर्ति बनाने में लगा देते हैं. इस साल उनको उम्मीद थी कि मां सरस्वती की प्रतिमा को बेचकर स्थिति सुधार लेंगे लेकिन सरकार द्वारा अभी तक सरस्वती पूजा के आयोजन को लेकर के कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है. इस कारण पटना के मूर्तिकार मायूस (Maa Saraswati statue Booking in Patna) नजर आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: बीजेपी ने मुकेश सहनी पर हमला बोला, कहा- 'उल्टा-पुल्टा ही बोलना हो तो मंत्री पद से इस्तीफा दे दें'

बता दें कि राजधानी पटना के विभिन्न चौक चौराहों पर मूर्तिकार मां शारदे की प्रतिमा बनाने का काम करते हैं. इस बार राजधानी पटना में बहुत कम जगह ही मूर्ति बनाने का काम हो रहा है. मूर्तिकारों को पहले से ही यह लग रहा था कि इस साल कोरोना के कारण मूर्ति की बिक्री कम होगी. इसके चलते उन्होंने कम मूर्तियां बनाने का निर्णय लिया. इस बार कोरोना के कारण अधिकतर छोटी प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है.

देखें विशेष रिपोर्ट

कुर्जी मोड़ के पास मां प्रतिमा बना रहे ललित पासवान ने बताया कि वह बचपन से यह काम करते आ रहे हैं. कभी ऐसा दौर नहीं आया जब ऐसी स्थिति हुई हो. उनका साफ तौर पर कहना है कि जो पूंजी इस बार लगाया है, वह भी निकलने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है. पिछले साल की तुलना में इस साल कम संख्या में मूर्तियां बनाई हैं. मूर्ति के दामों में भी कमी की गई है. इसके बावजूद मूर्ति की बुकिंग नहीं हो रही है.

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कोचिंग संस्थान, स्कूल, कॉलेज बंद कर दिये गये हैं, इस कारण से मूर्ति की बुकिंग नहीं हो रही है. घरों पर तो कम लोग ही प्रतिमा स्थापित करते हैं. उनका कहना है कि मां सरस्वती की पूजा अधिकांश विद्यार्थी वर्ग ही करते हैं. ऐसे में सरकार का अभी तक कोई आदेश भी जारी नहीं हुआ है.

वहीं, गांधी मैदान के पास में मां सरस्वती की प्रतिमा बना रहे मनोज कुमार ने बताया यहां पर हमारे पूर्वजों के समय से ही मूर्ति बनाने का काम होता आ रहा है. आज मनोज बनाते हैं. मूर्ति बनाकर परिवार के 5 सदस्यों का भरण पोषण करते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण का मामला प्रदेश में बढ़ना शुरू हुआ तो सरकार के आदेश के अनुसार कोचिंग संस्थान, कॉलेज, स्कूल, बन्द कर पाबंदियां बढ़ा दी गईं. इस कारण से लोग मूर्ति की बुकिंग नहीं कर रहे हैं. लोगों में भी अभी तक असमंजस की स्थिति है कि वह मां सरस्वती की पूजा कैसे करेंगे.

ये भी पढ़ें: मुख्य सचिव हाजिर हों! बिहार के CS को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- कोरोना से मौत पर मुआवजा कम कैसे?

मनोज का कहना है कि सरकार जिस तरह से नवरात्र, छठ पूजा में गाइडलाइन जारी करती है, उसी तरह सरस्वती पूजा में भी गाइडलाइन जारी कर दे ताकि मूर्ति की बुकिंग हो सके और पूंजी निकल जाए. उन्होंने कहा कि लाखों रुपए पूंजी लगाकर मूर्ति बनाने का काम तो किया है लेकिन अभी तक मात्र 15 मूर्तियों की ही बुकिंग हुई है.

पिछले साल की तुलना में इस साल मूर्ति के रेट में भी कमी कर दी गई है. पिछले साल जो मूर्ति 3 हजार में बेचा गया था, उसको इस बार 2 हजार में बुक कर रहे है. इसके बावजूद मूर्तियों की बुकिंग नहीं हो रही है. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि हम गरीब मूर्तिकारों के बारे में सोचें और निर्देश जारी करें.

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पटना: विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja 2022) विद्यार्थी बड़ी धूम-धाम से करते हैं. हालांकि कोरोना संक्रमण के बीच मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में मूर्तिकार पिछले 1 महीने से अपने काम में जुटे हुए हैं. अब वे प्रतिमा को अंतिम रूप दे रहे हैं. एक तरफ कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देख राज्य सरकार ने नाइट कर्फ्यू (night curfew in bihar) लगाया है. धार्मिक स्थल, कोचिंग संस्थान, कॉलेज, स्कूल, पार्क, सिनेमा हॉल बंद कर दिये हैं. कोरोना संक्रमण के कारण मूर्तिकारों को पिछले साल भारी नुकसान उठाना पड़ा था.

त्योहारों पर मूर्तियों की बिक्री नहीं होने से मूर्तिकार कर्जे में डूबे हुए हैं. इस साल भी मूर्तिकारों को कोरोना ने चिंतित कर दिया है. कोरोना वायरस के कारण मूर्तिकारों ने पिछले साल की अपेक्षा इस साल कम मूर्तियां ही बनाई हैं पर बुकिंग नहीं होने से उनके सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न होने लगी है. मूर्तिकार पाई-पाई जोड़कर मूर्ति बनाने में लगा देते हैं. इस साल उनको उम्मीद थी कि मां सरस्वती की प्रतिमा को बेचकर स्थिति सुधार लेंगे लेकिन सरकार द्वारा अभी तक सरस्वती पूजा के आयोजन को लेकर के कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है. इस कारण पटना के मूर्तिकार मायूस (Maa Saraswati statue Booking in Patna) नजर आ रहे हैं.

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बता दें कि राजधानी पटना के विभिन्न चौक चौराहों पर मूर्तिकार मां शारदे की प्रतिमा बनाने का काम करते हैं. इस बार राजधानी पटना में बहुत कम जगह ही मूर्ति बनाने का काम हो रहा है. मूर्तिकारों को पहले से ही यह लग रहा था कि इस साल कोरोना के कारण मूर्ति की बिक्री कम होगी. इसके चलते उन्होंने कम मूर्तियां बनाने का निर्णय लिया. इस बार कोरोना के कारण अधिकतर छोटी प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है.

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कुर्जी मोड़ के पास मां प्रतिमा बना रहे ललित पासवान ने बताया कि वह बचपन से यह काम करते आ रहे हैं. कभी ऐसा दौर नहीं आया जब ऐसी स्थिति हुई हो. उनका साफ तौर पर कहना है कि जो पूंजी इस बार लगाया है, वह भी निकलने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है. पिछले साल की तुलना में इस साल कम संख्या में मूर्तियां बनाई हैं. मूर्ति के दामों में भी कमी की गई है. इसके बावजूद मूर्ति की बुकिंग नहीं हो रही है.

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कोचिंग संस्थान, स्कूल, कॉलेज बंद कर दिये गये हैं, इस कारण से मूर्ति की बुकिंग नहीं हो रही है. घरों पर तो कम लोग ही प्रतिमा स्थापित करते हैं. उनका कहना है कि मां सरस्वती की पूजा अधिकांश विद्यार्थी वर्ग ही करते हैं. ऐसे में सरकार का अभी तक कोई आदेश भी जारी नहीं हुआ है.

वहीं, गांधी मैदान के पास में मां सरस्वती की प्रतिमा बना रहे मनोज कुमार ने बताया यहां पर हमारे पूर्वजों के समय से ही मूर्ति बनाने का काम होता आ रहा है. आज मनोज बनाते हैं. मूर्ति बनाकर परिवार के 5 सदस्यों का भरण पोषण करते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण का मामला प्रदेश में बढ़ना शुरू हुआ तो सरकार के आदेश के अनुसार कोचिंग संस्थान, कॉलेज, स्कूल, बन्द कर पाबंदियां बढ़ा दी गईं. इस कारण से लोग मूर्ति की बुकिंग नहीं कर रहे हैं. लोगों में भी अभी तक असमंजस की स्थिति है कि वह मां सरस्वती की पूजा कैसे करेंगे.

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मनोज का कहना है कि सरकार जिस तरह से नवरात्र, छठ पूजा में गाइडलाइन जारी करती है, उसी तरह सरस्वती पूजा में भी गाइडलाइन जारी कर दे ताकि मूर्ति की बुकिंग हो सके और पूंजी निकल जाए. उन्होंने कहा कि लाखों रुपए पूंजी लगाकर मूर्ति बनाने का काम तो किया है लेकिन अभी तक मात्र 15 मूर्तियों की ही बुकिंग हुई है.

पिछले साल की तुलना में इस साल मूर्ति के रेट में भी कमी कर दी गई है. पिछले साल जो मूर्ति 3 हजार में बेचा गया था, उसको इस बार 2 हजार में बुक कर रहे है. इसके बावजूद मूर्तियों की बुकिंग नहीं हो रही है. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि हम गरीब मूर्तिकारों के बारे में सोचें और निर्देश जारी करें.

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Last Updated : Jan 19, 2022, 5:53 PM IST
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