पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज होने लगी है. एक ओर चुनाव आयोग लगातार तैयारियों में जुटा है. तो वहीं राजनीतिक दल भी वर्चुअल बैठक और सभाओं के जरिए अपनी चुनावी जमीन तय कर रहे हैं. सभी गठबंधनों के दल अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के दावे भी कर रहे हैं. इसी कड़ी में लोक जनशक्ति पार्टी का भी अपना रोचक इतिहास रहा है.
2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना
जनता दल से अलग होकर 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना हुई थी. तब से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान थे. हालांकि अब वो पार्टी की कमान अपने बेटे और सांसद चिराग पासवान को सौंप चुके हैं. लोजपा के प्रदेश महासचिव उपेंद्र यादव कहते हैं की पार्टी में चिराग पासवान के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से काफी जोश है.
'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' लोजपा का मिशन
लोजपा 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' की बात करती है. उपेंद्र यादव का भी कहना है, कि बिहार के विकास में राज्य की जनता जो भी सुझाव देना चाहे, वह लोजपा के प्लेटफार्म को दे सकती है. उनका मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के नेतृत्व में पार्टी बेहतर ही नहीं बेहतरीन प्रदर्शन करेगी.
लोजपा के प्रदर्शन पर कांग्रेस का तंज
वहीं विधानसभा चुनाव में लोजपा के प्रदर्शन पर कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने तंज कसा है. उनका मानना है कि अगर एनडीए के सभी दल अकेले चुनाव लड़े तो वे दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएंगे. बकौल राठौर एक बार को तो शायद लोजपा दहाई का आंकड़ा पार भी कर जाए, लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी खाता भी नहीं खोल सकेगी.
'सहयोगियों के सम्मान का पूरा ख्याल रखती है बीजेपी'
वहीं लोजपा की सहयोगी बीजेपी का मानना है कि चिराग पासवान ने स्वीकार कर लिया है कि लोजपा परिवार की पार्टी है. बीजेपी प्रवक्ता अजीत चौधरी कहते हैं कि पार्टी हमेशा अपने सहयोगियों के सम्मान का पूरा ख्याल रखती है. हमारा तो स्लोगन ही है सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास.
लोजपा में देखे जा रहे कई बदलाव
हालांकि माना जा रहा है कि लोजपा अब इस स्लोगन में विश्वास नहीं रखती. रामविलास पासवान के नेतृत्व और चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा में कई बदलाव देखे जा रहे हैं. बीजेपी नेता का मानना है गरीबों के बीच वर्तमान लोजपा की भागीदारी नहीं है.
स्थापना काल से लोजपा का प्रदर्शन
- 2000 में जनता दल से अलग होकर रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया था.
- 2005 के फरवरी महीने में 178 सीटों पर लोजपा चुनाव लड़ी थी, जिसमें 29 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
- किसी भी दल के बहुमत साबित नहीं किए जाने पर बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ.
- 2005 के अक्टूबर में 203 सीटों पर लोजपा चुनाव लड़ी और 10 सीटों पर ही जीत हासिल की थी.
- 2010 में कांग्रेस और आरजेडी के साथ मिलकर लोजपा 75 सीटों पर चुनाव लड़ी और सिर्फ 3 सीटें जीत पाई थी.
- इस दौरान रघुवंश प्रसाद सिंह ने लोजपा से पहलवान दिखाने की बात कही थी, उनका वो बयान भी काफी चर्चित रहा था.
- 2015 में एक बार फिर एनडीए गठबंधन में लोजपा 42 सीटों पर चुनाव लड़ी और मात्र 2 सीटों पर ही सिमट कर रह गई.
- 2017 में कांग्रेस और आरजेडी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को अपने कैबिनेट का सदस्य बनाया था.
- वर्तमान में लोकसभा में लोजपा के 6 सदस्य, राज्यसभा में 1 सदस्य, बिहार विधानसभा में 2 सदस्य और बिहार विधान परिषद में 1 सदस्य हैं.