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उत्सव मनाएं या मातम? जिस मुद्दे पर '360 डिग्री' घूम जाती है बिहार की सियासत, आज उसके 5 साल हो गए पूरे

आप लाख कानून बना दीजिए, तरीका वे खुद खोज लेते हैं. एक पूरा नेटवर्क तैयार हो गया है जो डिमांड पूरी कर देगा. यूं कहे तो बिहार एक सिंडिकेट काम कर रहा है, जो घर-घर शराब पहुंचा रहा है.

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Published : Apr 1, 2021, 4:31 PM IST

पटना: आज ही के दिन, यानी एक अप्रैल 2016 को नीतीश सरकार ( तबकी महागठबंधन की सरकार ) ने बिहार में शराबबंदी की घोषणा की थी. 5 अप्रैल 2016 में इस कानून को पूरे बिहार में लागू कर दिया गया था. ऐसे में सवाल उठता है कि 5 साल बाद क्या हालात बदले? क्या बिहार में शराबबंदी लागू है?

सालगिरह पर बिहार में मातम
दरअसल, बिहार में 1 अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू की गई थी. अगर इस हिसाब से देखा जाए तो आज शराबबंदी की 5वीं सालगिरह है. आज के दिन बिहार में जलसा होना चाहिए था, लेकिन बिहार में मातम है. 4 जिलों में शराब पीने से 20 लोगों की जान चली गई. कई लोग अंधे हो गए, तो कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं. सरकार के हाथ- पांव फूले हुए हैं. सब चुप हैं. कोई भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

सबको सब मालूम है फिर भी सब चुप?
ऐसा नहीं है कि किसी को कुछ भी पता नहीं है. सबको सब मालूम है. सरकार से लेकर अधिकारी तक सबकुछ जानते हैं. फिर भी सब खामोश हैं. यूं कहे तो सबकुछ होने दिया जा रहा है, ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों?

पटना से पंचायत तक 'शराब माफिया'
बिहार में राजधानी पटना से लेकर पंचायत तक शराब माफिया है. शराब की अवैध भट्ठियां हैं. देसी-विदेशी शराब की होम डिलेवरी हो रही है. तंत्र को सब पता है. फिर भी सब खामोश हैं. मद्य निषेझ मंत्री सुनील कुमार चुप है. सुनील कुमार आईपीएस अधिकारी रहे हैं. आरोप लगाया जाता है कि कानून लागू करने वाले ही माफिया से मिले हुए हैं. बिहार में शराब माफिया अब सिंडिकेट का रूप ले लिया है.

सिंडिकेट लगाता है कानून की बोली?
बिहार के मुखिया नीतीश कुमार कहते हैं कि बिहार में कानून का राज है. अगर कानून का राज होता है पटना से पंचायत तक शराब के लिए सिंडिकेट काम नहीं करता. कानून की बोली नहीं लगती. बॉर्डर क्रॉस कर शराब गांव-गांव नहीं पहुंचता. साफ है सबकुछ होते हुए भी बिहार में शराबबंदी फेल है. कानून फेल है.

शराबबंदी पर '360 डिग्री' पर घुमती है बिहार की सियासत
बिहार में शराबबंदी सब बड़ा सियासी मुद्दा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है राज्य की सियासत शराबबंदी कानून के आसपास ही घुमती है. सड़क से लेकर सदन तक इस मुद्दे पर बवाल हुआ, आगे भी जारी रहेगा. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि बजट सत्र के दौरान विपक्ष ने विधानसभा में शराबबंदी पर ही बवाल की शुरुआत की और अंत भी इसी पर हुआ.

ये भी पढ़े- बिहार में जहरीली शराब पीने से एक ही दिन में 8 की मौत! तेजस्वी बोले- सच बोलने पर आगबबूला हो जाते हैं CM

दरअसल, नवंबर 2020 में मुजफ्फरपुर से आनेवाले मंत्री रामसूरत राय के भाई से जुड़े स्कूल में शराब की बड़ी खेप पकड़ी गई थी. लेकिन इस मामले में मार्च 2021 तक कोई कार्रवाई नहीं हुई तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सदन में मामले को उठाया. फिर क्या था पूरी सियासत '360 डिग्री' पर घुमती रही. लेकिन अब तक इस मामले में किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार में शराबबंदी कानून का कितना पालन हो रहा है.

नवादा, रोहतास, बेगूसराय और मुजफ्फरपुर में भी बिछी लाशें!
नवादा, रोहतास, बेगूसराय और मुजफ्फरपुर में भी शराब से मातम है. जानकारी के अनुसार, इन चारो जिले में जहरीली शराब पीने से अब तक 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. कइयों का इलाज अस्पताल में चल रहा है, लेकिन प्रशासन खामोश है. प्रशासन ये भी बताने में सक्षम नहीं है कि इन लोगों की मौत कैसे हुई है? लेकिन परिजन कह रहे हैं, साहब सभी की मौत शराब पीने से हुई है. सच्चाई क्या है ये तो सरकार और अधिकारी ही बता सकते हैं.

शराबबंदी के 5 साल

अगस्त 2016 : गोपालगंज जहरीली शराब कांड

गोपालगंज के खजुर्बानी में जहरीली शराब पीने की वजह से 19 लोगों की मौत हो गई थी और 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी.

29 जुलाई 2017 : मुंगेर जिले में जहरीली शराब से आठ लोगों की मौत

मुंगेर के असरगंज थाना क्षेत्र के रहमतपुर बासा के मुसहरी टोला में जहरीली शराब के सेवन से आठ लोगों की मौत हुई. घटना के बाद टोले के अधिकतर लोग घर छोड़कर पलायन कर गए. ग्रामीणों की मानें तो पहले दो लोगों की मौत हुई थी लेकिन घटना को छिपाने के चलते मरने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई थी. हालांकि पुलिस-प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने शराब से मौत की किसी घटना से इनकार करते हुए दो लोगों की मौत बीमारी से होने की बात कही थी.

06 फरवरी 2021 : कैमूर में जहरीली शराब पीने से दो लोगों की मौत
कैमूर जिले में संदिग्ध जहरीली शराब पीने से दो व्यक्तियों की मौत हो गई थी. साथ ही, भभुआ पुलिस थाने के अंतर्गत कुरसन गांव में संदिग्ध जहरील शराब पीने के बाद चार लोग बीमार पड़ गए थे.

19 फरवरी 2021 : गोपालगंज में शराब पीने से मजदूरों की मौत
गोपालगंज जिले के विजयीपुर थाना क्षेत्र में कथित जहरीली शराब पीने से दो मजदूरों की मौत हो गई थी. इस मामले में हथुआ के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नरेश कुमार के जांच प्रतिवेदन के आधार पर पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने विजयीपुर थानाध्यक्ष मनोज कुमार और चौकीदार अमरेश यादव को निलंबित कर दिया था.

20 फरवरी 2021 : मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की गई जान
मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड के दरगाह टोला से शराब पीने के कारण मौत होने की खबर आई थी. यहां जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद एसएसपी ने कटरा पुलिस स्टेशन के थानाधिकारी सिकंदर कुमार को निलंबित कर दिया है.

23 मार्च 2021: मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब पीने से अधेड़ की मौत
मुजफ्फरपुर में एक अधेड़ की संदिग्ध स्थितियों में मौत हो गई थी. अधेड़ की मौत होने के बाद आसपास के गांव में जहरीली शराब पीने से मौत होने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी थी. घटना सरैया थाने के रेवा सहिलापट्टी गांव में घटी. ग्रामीणों में इस बात की चर्चा जोरों से हो रही थी कि किशोर सहनी पास के गांव स्थित एक शराब भट्ठी पर नशा पान करने गया था। वहां से लौटने के दौरान किशोर सहनी की मौत हो गई.

शराबबंदी का सफर

  • 01अप्रैल 2016 : राज्य में देसी शराब बंद, केवल निगम क्षेत्र में विदेशी शराब.
  • 05 अप्रैल 2016 : पूरे राज्य में पूर्ण शराबबंदी होते ही शहरों में भी विदेशी शराब बंद.
  • 02 अक्टूबर 2016 : 1915 के आधार पर लागू शराबबंदी के बदले नया कानून.
  • 23 जुलाई 2018 : शराबबंदी कानून में सरकार ने पहली बार किए अहम बदलाव.

अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू
बता दें कि अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अब तक बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां, मुकदमे और शराब जब्ती की कार्रवाई हुई. इस क़ानून के तहत शुरुआत में घर में शराब पाये जाने पर सभी वयस्कों की गिरफ्तारी और घर को सील करने और वाहन में शराब मिलने पर वाहन जजब्ती और गिरफ्तारी के कड़े प्रावधान थे. सख्त प्रावधानों की आलोचना और कानून के दुरुपयोग के बाद 2018 में इसमें कुछ बदलाव किये गये थे...

  • पहली बार पीते हुए पकड़े गए तो तीन महीने की सजा या 50 हजार का जुर्माना.
  • दूसरी बार पकड़े गए तो एक से पांच साल तक की सजा और एक लाख तक जुर्माना.
  • घर में शराब पकड़े जाने पर अब सभी बालिग के बजाए जिम्मेवार ही पकड़े जाएंगे.
  • परिसर जब्ती व सामूहिक जुर्माना हटा, वाहन जब्ती के नए नियम.

फिलहाल, सच्चाई ये है कि मदिरा प्रेमियों को तो बस पीने से मतलब होता है. आप लाख कानून बना दीजिए. तरीका वे खुद खोज लेते हैं. बिहार में खुलेआम शराब बिकनी बंद हो गई तो क्या, पड़ोसी देश नेपाल और फिर दूसरे राज्यों जैसे यूपी और झारखंड से इनकी पूर्ति होने लगी है. पड़ोस के राज्यों से सटे लोग केवल पीने के लिए दो-तीन घंटे के सफर से नहीं हिचकते. यही नहीं, चोरी-छिपे शराब को राज्य में लाने का खेल भी खूब हो रहा है. एक पूरा नेटवर्क तैयार हो गया है जो आपकी डिमांड पूरी कर देगा. आपको बस अपनी जेब ढिली करने की जरूरत है. पीने-पिलाने वाले शौकिन लोगों के घरों में स्टॉक भी जमा है. खत्म हुआ तो दूसरी खेप आ जाएगी.

ये भी पढ़ें- जहरीली शराब से हो रही मौतों के बाद सरकार में खलबली, संजय जायसवाल बोले-बड़े अधिकारियों पर हो कार्रवाई

ये भी पढ़ें- जहरीली शराब से मौत पर गरमाई सियासत, बोले श्याम रजक- शराब तस्करों को है सरकार का संरक्षण

ये भी पढ़ें- बिहार में फ्लॉप है शराबबंदी, की जाती है होम डिलिवरी: भाकपा माले

पटना: आज ही के दिन, यानी एक अप्रैल 2016 को नीतीश सरकार ( तबकी महागठबंधन की सरकार ) ने बिहार में शराबबंदी की घोषणा की थी. 5 अप्रैल 2016 में इस कानून को पूरे बिहार में लागू कर दिया गया था. ऐसे में सवाल उठता है कि 5 साल बाद क्या हालात बदले? क्या बिहार में शराबबंदी लागू है?

सालगिरह पर बिहार में मातम
दरअसल, बिहार में 1 अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू की गई थी. अगर इस हिसाब से देखा जाए तो आज शराबबंदी की 5वीं सालगिरह है. आज के दिन बिहार में जलसा होना चाहिए था, लेकिन बिहार में मातम है. 4 जिलों में शराब पीने से 20 लोगों की जान चली गई. कई लोग अंधे हो गए, तो कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं. सरकार के हाथ- पांव फूले हुए हैं. सब चुप हैं. कोई भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

सबको सब मालूम है फिर भी सब चुप?
ऐसा नहीं है कि किसी को कुछ भी पता नहीं है. सबको सब मालूम है. सरकार से लेकर अधिकारी तक सबकुछ जानते हैं. फिर भी सब खामोश हैं. यूं कहे तो सबकुछ होने दिया जा रहा है, ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों?

पटना से पंचायत तक 'शराब माफिया'
बिहार में राजधानी पटना से लेकर पंचायत तक शराब माफिया है. शराब की अवैध भट्ठियां हैं. देसी-विदेशी शराब की होम डिलेवरी हो रही है. तंत्र को सब पता है. फिर भी सब खामोश हैं. मद्य निषेझ मंत्री सुनील कुमार चुप है. सुनील कुमार आईपीएस अधिकारी रहे हैं. आरोप लगाया जाता है कि कानून लागू करने वाले ही माफिया से मिले हुए हैं. बिहार में शराब माफिया अब सिंडिकेट का रूप ले लिया है.

सिंडिकेट लगाता है कानून की बोली?
बिहार के मुखिया नीतीश कुमार कहते हैं कि बिहार में कानून का राज है. अगर कानून का राज होता है पटना से पंचायत तक शराब के लिए सिंडिकेट काम नहीं करता. कानून की बोली नहीं लगती. बॉर्डर क्रॉस कर शराब गांव-गांव नहीं पहुंचता. साफ है सबकुछ होते हुए भी बिहार में शराबबंदी फेल है. कानून फेल है.

शराबबंदी पर '360 डिग्री' पर घुमती है बिहार की सियासत
बिहार में शराबबंदी सब बड़ा सियासी मुद्दा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है राज्य की सियासत शराबबंदी कानून के आसपास ही घुमती है. सड़क से लेकर सदन तक इस मुद्दे पर बवाल हुआ, आगे भी जारी रहेगा. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि बजट सत्र के दौरान विपक्ष ने विधानसभा में शराबबंदी पर ही बवाल की शुरुआत की और अंत भी इसी पर हुआ.

ये भी पढ़े- बिहार में जहरीली शराब पीने से एक ही दिन में 8 की मौत! तेजस्वी बोले- सच बोलने पर आगबबूला हो जाते हैं CM

दरअसल, नवंबर 2020 में मुजफ्फरपुर से आनेवाले मंत्री रामसूरत राय के भाई से जुड़े स्कूल में शराब की बड़ी खेप पकड़ी गई थी. लेकिन इस मामले में मार्च 2021 तक कोई कार्रवाई नहीं हुई तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सदन में मामले को उठाया. फिर क्या था पूरी सियासत '360 डिग्री' पर घुमती रही. लेकिन अब तक इस मामले में किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार में शराबबंदी कानून का कितना पालन हो रहा है.

नवादा, रोहतास, बेगूसराय और मुजफ्फरपुर में भी बिछी लाशें!
नवादा, रोहतास, बेगूसराय और मुजफ्फरपुर में भी शराब से मातम है. जानकारी के अनुसार, इन चारो जिले में जहरीली शराब पीने से अब तक 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. कइयों का इलाज अस्पताल में चल रहा है, लेकिन प्रशासन खामोश है. प्रशासन ये भी बताने में सक्षम नहीं है कि इन लोगों की मौत कैसे हुई है? लेकिन परिजन कह रहे हैं, साहब सभी की मौत शराब पीने से हुई है. सच्चाई क्या है ये तो सरकार और अधिकारी ही बता सकते हैं.

शराबबंदी के 5 साल

अगस्त 2016 : गोपालगंज जहरीली शराब कांड

गोपालगंज के खजुर्बानी में जहरीली शराब पीने की वजह से 19 लोगों की मौत हो गई थी और 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी.

29 जुलाई 2017 : मुंगेर जिले में जहरीली शराब से आठ लोगों की मौत

मुंगेर के असरगंज थाना क्षेत्र के रहमतपुर बासा के मुसहरी टोला में जहरीली शराब के सेवन से आठ लोगों की मौत हुई. घटना के बाद टोले के अधिकतर लोग घर छोड़कर पलायन कर गए. ग्रामीणों की मानें तो पहले दो लोगों की मौत हुई थी लेकिन घटना को छिपाने के चलते मरने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई थी. हालांकि पुलिस-प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने शराब से मौत की किसी घटना से इनकार करते हुए दो लोगों की मौत बीमारी से होने की बात कही थी.

06 फरवरी 2021 : कैमूर में जहरीली शराब पीने से दो लोगों की मौत
कैमूर जिले में संदिग्ध जहरीली शराब पीने से दो व्यक्तियों की मौत हो गई थी. साथ ही, भभुआ पुलिस थाने के अंतर्गत कुरसन गांव में संदिग्ध जहरील शराब पीने के बाद चार लोग बीमार पड़ गए थे.

19 फरवरी 2021 : गोपालगंज में शराब पीने से मजदूरों की मौत
गोपालगंज जिले के विजयीपुर थाना क्षेत्र में कथित जहरीली शराब पीने से दो मजदूरों की मौत हो गई थी. इस मामले में हथुआ के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नरेश कुमार के जांच प्रतिवेदन के आधार पर पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने विजयीपुर थानाध्यक्ष मनोज कुमार और चौकीदार अमरेश यादव को निलंबित कर दिया था.

20 फरवरी 2021 : मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की गई जान
मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड के दरगाह टोला से शराब पीने के कारण मौत होने की खबर आई थी. यहां जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद एसएसपी ने कटरा पुलिस स्टेशन के थानाधिकारी सिकंदर कुमार को निलंबित कर दिया है.

23 मार्च 2021: मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब पीने से अधेड़ की मौत
मुजफ्फरपुर में एक अधेड़ की संदिग्ध स्थितियों में मौत हो गई थी. अधेड़ की मौत होने के बाद आसपास के गांव में जहरीली शराब पीने से मौत होने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी थी. घटना सरैया थाने के रेवा सहिलापट्टी गांव में घटी. ग्रामीणों में इस बात की चर्चा जोरों से हो रही थी कि किशोर सहनी पास के गांव स्थित एक शराब भट्ठी पर नशा पान करने गया था। वहां से लौटने के दौरान किशोर सहनी की मौत हो गई.

शराबबंदी का सफर

  • 01अप्रैल 2016 : राज्य में देसी शराब बंद, केवल निगम क्षेत्र में विदेशी शराब.
  • 05 अप्रैल 2016 : पूरे राज्य में पूर्ण शराबबंदी होते ही शहरों में भी विदेशी शराब बंद.
  • 02 अक्टूबर 2016 : 1915 के आधार पर लागू शराबबंदी के बदले नया कानून.
  • 23 जुलाई 2018 : शराबबंदी कानून में सरकार ने पहली बार किए अहम बदलाव.

अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू
बता दें कि अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अब तक बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां, मुकदमे और शराब जब्ती की कार्रवाई हुई. इस क़ानून के तहत शुरुआत में घर में शराब पाये जाने पर सभी वयस्कों की गिरफ्तारी और घर को सील करने और वाहन में शराब मिलने पर वाहन जजब्ती और गिरफ्तारी के कड़े प्रावधान थे. सख्त प्रावधानों की आलोचना और कानून के दुरुपयोग के बाद 2018 में इसमें कुछ बदलाव किये गये थे...

  • पहली बार पीते हुए पकड़े गए तो तीन महीने की सजा या 50 हजार का जुर्माना.
  • दूसरी बार पकड़े गए तो एक से पांच साल तक की सजा और एक लाख तक जुर्माना.
  • घर में शराब पकड़े जाने पर अब सभी बालिग के बजाए जिम्मेवार ही पकड़े जाएंगे.
  • परिसर जब्ती व सामूहिक जुर्माना हटा, वाहन जब्ती के नए नियम.

फिलहाल, सच्चाई ये है कि मदिरा प्रेमियों को तो बस पीने से मतलब होता है. आप लाख कानून बना दीजिए. तरीका वे खुद खोज लेते हैं. बिहार में खुलेआम शराब बिकनी बंद हो गई तो क्या, पड़ोसी देश नेपाल और फिर दूसरे राज्यों जैसे यूपी और झारखंड से इनकी पूर्ति होने लगी है. पड़ोस के राज्यों से सटे लोग केवल पीने के लिए दो-तीन घंटे के सफर से नहीं हिचकते. यही नहीं, चोरी-छिपे शराब को राज्य में लाने का खेल भी खूब हो रहा है. एक पूरा नेटवर्क तैयार हो गया है जो आपकी डिमांड पूरी कर देगा. आपको बस अपनी जेब ढिली करने की जरूरत है. पीने-पिलाने वाले शौकिन लोगों के घरों में स्टॉक भी जमा है. खत्म हुआ तो दूसरी खेप आ जाएगी.

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