पटना : पिछले वर्ष बजट सत्र में विधानसभा में हुए भारी हंगामे और विपक्षी विधायकों द्वारा तत्कालीन स्पीकर व नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा के साथ किये गये दुर्व्यवहार मामले में विधानसभा की आचार समिति की सिफारिश पर बीजेपी ने नीतीश-तेजस्वी सरकार पर निशाना साधा (Vijay Sinha attack on Nitish Government) है. बीजेपी ने कहा कि ''जनादेश का अपमान किया जा रहा है. आचार समिति की रिपोर्ट आ गई है, जिसे सदन के पटल पर रखने की जरूरत है.''
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नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा (Leader of Opposition Vijay Sinha) ने कहा है कि, रिपोर्ट में डीप्टी सीएम और मंत्री पर कार्रवाई की अनुशंसा है. ऐसे में हम रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग करते है. ''कल के कार्यसूची में इसे जोड़ा जाए, क्योंकि ये मामला विधानसभा के अंदर आया था. इसके लिए स्पेशल कमिटी बनी थी. इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा जाना चाहिए. आप जीरो टोलरेंस की बात करते हैं तो सभा के पटल पर रखने में क्या परेशानी है.
''शालीनता के साथ भी अपनी बात कही जा सकती है. मेरे मन के अंदर भी कई चोट लगे. सदन के अंदर संविधान के ज्ञाताओं ने पाठ पढ़ाने का काम किया गया. हमने भी सब्र रखा. बिहार के माननीय मुख्यमंत्री जी थे उनके सम्मान में कमी नहीं रखा. यह व्यवस्था चलनी चाहिए. चाहे नेता प्रतिपक्ष हो या नेता सदन या हमारे मंत्री या विधायक हो हर किसी का सम्मान मर्यादा के तहत हो. सदन में सब बराबर हैं. अगर कोई भेद करेगा तो आप समझ सकते है वे कितने ज्ञानवान है. आप जीरो टोलरेंस की बात करते है तो इस रिपोर्ट पर कल सभा के पटल पर रखें.'' - विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष
विजय सिन्हा ने कहा कि 24 अगस्त 2022 को सप्तदश विधानसभा के षष्टम सत्र में निर्धारित कार्यसूची में बदलाव निर्धारित नियम एवं प्रावधानों के विरुद्ध अलोकतांत्रिक तरीके से किया गया, जो खेदजनक है. मेरे द्वारा सदन संचालन हेतु कार्य सूची निर्धारित की गई थी, जिसमें अध्यक्ष के प्रारंभिक संबोधन के पश्चात् बिहार विधानसभा की समितियों के प्रतिवेदन को सभा के समक्ष रखा जाना था, परंतु सभा सचिवालय द्वारा रात्रि में इस क्रम को बिना किसी आदेश के बदलकर नियमों को गलत तरीके से स्व- व्याख्या करते हुए गैर सरकारी कार्य को भी सरकारी बताकर कार्य सूची में फेरबदल कर दिया गया. यह सदन के स्थापित परंपरा के साथ-साथ नियम विरुद्ध कार्रवाई थी एवं आसन का अपमान भी था.
क्या है पूरा मामला : पिछले वर्ष 23 मार्च को बजट सत्र के दौरान सदन में बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस अधिनियम को पारित कराने के दौरान विपक्ष के विधायकों ने सदन में जमकर हंगामा किया था. मारपीट के आरोप भी लगाए गए थे. हंगामे को देखते हुए सदन में मार्शल को बुलाना पड़ा था. सदन के बाहर सुरक्षा कर्मियों द्वारा विधायकों की पिटाई की बात आई थी. जिसके बाद मामले को जांच के लिए आचार समिति को सौंपा गया था. आचार समिति के सभापति भाजपा विधायक राम नारायण मंडल हैं. समिति में ज्ञानेंद्र ज्ञानू, अरुण सिन्हा, रामविशुन सिंह व अचमित ऋषिदेव सदस्य के रूप में शामिल हैं.
सूत्रों की मानें तो इस मामले को लेकर आरजेडी के कुछ विधायकों पर तलवार लटकी हुई है. हालांकि, इस मामले में आचार समिति की सिफारिश अभी स्पीकर के स्तर पर विचाराधीन है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या क्या उस रिपोर्ट में कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. यह तब पता चलेगा जब सदन में रिपोर्ट पेश होगी. विजय सिन्हा इसी मामले में आचार समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं.
विधान परिषद में नेता विरोधी दल सम्राट चौधरी ने कहा, ''इनके मंत्रिमंडल में 72 प्रतिशत से ज्यादा मंत्री दागी हैं, परंतु इनकी बोली बंद है. मुख्यमंत्री की तो जीरो टॉलरेंस की नीति का हवा निकल गई है. हम सरकार को बख्शने के मूड में नहीं हैं. एक-एक पैसे का हिसाब लिया जाएगा. सदन की कार्यवाही में जो एजेंडा था उस पर बहस होनी चाहिए.''