पटना/रांची: बहुचर्चित चारा घोटाले के डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व सीएम राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सीबीआई की विशेष अदालत में सजा सुनाई है. बता दें कि चारा घोटाले (Fodder Scam) से जुड़े पांचवें मामले में भी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद अध्यक्ष लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) दोषी करार दिए गए हैं. मामले में सजा का ऐलान 21 फरवरी (सोमवार) को होगा.
कोर्ट ने इस मामले में कई लोगों को बरी कर दिया है, जबकि लालू के करीबी नेता जगदीश शर्मा और ध्रुव भगत को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है. फिलहाल कोर्ट ने लालू यादव को सजा का ऐलान नहीं किया है. बता दें कि लालू यादव जमानत पर जेल से बाहर हैं. अगर लालू यादव को भी तीन साल या उससे कम सजा मिलती है तो उन्हें कोर्ट से ही जमानत मिल जाएगी, नहीं तो उन्हें कस्टडी में लिया जाएगा.
करोड़ों रुपये की अवैध निकासी का है मामला
झारखंड में चारा घोटाले के कुल पांच मुकदमों में लालू प्रसाद यादव अभियुक्त बनाये गये थे. चार मुकदमों में पहले ही फैसला आ चुका है और इन सभी मामलों में अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी. वहीं, रांची के डोरंडा स्थित ट्रेजरी से 139.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित है.
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99 आरोपियों पर फैसला
वर्ष 1996 में दर्ज हुए इस मामले में शुरुआत में कुल 170 आरोपी थे. इनमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि सात आरोपियों को सीबीआई ने सरकारी गवाह बना लिया. दो आरोपियों ने अदालत का फैसला आने के पहले ही अपना दोष स्वीकार कर लिया. छह आरोपी आज तक फरार हैं. बाकी 99 आरोपियों पर फैसला आना है.
केस में 575 लोगों की गवाही
इस मामले के अन्य प्रमुख अभियुक्तों में पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, डॉ आर.के. राणा, बिहार के तत्कालीन पशुपालन सचिव बेक जूलियस और पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक के.एम. प्रसाद शामिल हैं. इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में अभियोजन की ओर से कुल 575 लोगों की गवाही कराई गई, जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 25 गवाह पेश किये गये.
लालू को चार मामलों में 27 साल की सजा
इसके पहले चारा घोटाले के चार मामलों में लालू प्रसाद यादव को कुल मिलाकर साढ़े 27 साल की सजा हुई, जबकि एक करोड़ रुपए का जुमार्ना भी उन्हें भरना पड़ा. इन मामलों में सजा होने के चलते राजद सुप्रीमो को आधा दर्जन से भी ज्यादा बार जेल जाना पड़ा. इन सभी मामलों में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली है.
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लालू से जुड़ा पांचवां केस
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से जुड़ा यह पांचवां केस है. इससे पहले चाईबासा ट्रेजरी से जुड़े 2 केस और देवघर- दुमका के एक-एक केस में लालू को सजा मिल चुकी है. सीबीआई की विभिन्न अदालतों ने लालू प्रसाद एवं अन्य आरोपियों को दोषी माना है.
डोरंडा ट्रेजरी केस भी है अहम
डोरंडा ट्रेजरी से चारा खरीद के नाम पर हुए 139.35 करोड़ के अवैध निकासी मामले में 170 आरोपियों में से लालू प्रसाद, आरके राणा, ध्रुव भगत, जगदीश शर्मा सहित 99 आरोपी वर्तमान समय में ट्रायल फेस कर रहे हैं.
पहला केस : चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ का घोटाला
चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा ट्रेजरी मामले में साल 2013 में लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने सजा सुनाई थी. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 30 सितंबर 2013 को सभी 45 आरोपियों को दोषी ठहराया था. लालू समेत इन आरोपियों को चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपये अवैध तरीके से निकालने का दोषी पाया गया था. इस मामले में 3 अक्टूबर 2013 को कोर्ट ने सजा सुनाई थी. लालू प्रसाद को 5 साल की सजा हुई थी.
दूसरा केस : देवघर कोषागार से 84.5 लाख का घोटाला
देवघर ट्रेजरी से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी. साथ ही उनपर 5 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया था.
तीसरा केस : चाईबासा कोषागार से 33.67 करोड़ का घोटाला
चाईबासा ट्रेजरी से 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की गई थी. इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था. जिसमें कुल 76 आरोपी थे. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 24 जनवरी 2018 को लालू को दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई. सजा के साथ-साथ 10 लाख का जुर्माना भी लगा.
चौथा केस: दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ का घोटाला
ये मामला दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये फर्जी तरीके से निकालने का है. सीबीआई कोर्ट ने 24 मार्च 2018 को लालू प्रसाद यादव को इस मामले में अलग अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई थी.
कब-कब जेल जाना पड़ा लालू यादव को-
- 30 जुलाई 1997 को पहली बार लालू प्रसाद 135 दिन जेल में रहे.
- 28 अक्टूबर, 1998 को दूसरी बार 73 दिन जेल.
- 5 अप्रैल 2000 तीसरी बार 11 दिन जेल.
- 28 नवंबर 2000 को आय से अधिक संपत्ति मामले में एक दिन जेल.
- 3 अक्टूबर 2013 चारा घोटाले के दूसरे मामले दोषी करार दिए जाने पर 70 दिन जेल.
- 23 दिसंबर 2017 को चारा घोटाले से तीसरे मामले में सजा हुई.
- 24मार्च 2018 को दुमका कोषागार से जुड़े चौथे मामले में सजा हुई, जिसके बाद करीब तीन साल बाद पिछले साल अप्रैल में जेल से रिहा हुए लालू.
चारा घोटाला केस सुनवाई के लिए बनी थी स्पेशल कोर्ट
1996 में कांड दर्ज होने के बाद सीबीआई की विशेष अदालत इस केस की सुनवाई के लिए गठित की गई थी. रांची सिविल कोर्ट कैंपस में सेवेन (7) कोर्ट बिल्डिंग के नाम से मशहूर इस अदालत परिसर में चारा घोटाला केस की सुनवाई एक के बाद एक होती रही. डोरंडा ट्रेजरी से जुड़े मामले में अभियुक्तों और गवाहों की लंबी चौड़ी संख्या के कारण सुनवाई पूरी होने में 26 वर्ष लग गए. इस दौरान अन्य केस में फैसले आते चले गए. समय के साथ अदालत भी हाईटेक होती गई. अब कम्प्यूटर से युक्त सभी न्यायालय में कामकाज तेजी से हो रहा है. अधिवक्ता अविनाश पांडेय मानते हैं कि डोरंडा ट्रेजरी केस में आने वाला फैसला चारा घोटाले के अन्य केसों से अलग होगा. वहीं लालू समर्थकों का कहना है कि अदालत का जो भी फैसला आएगा उसका वे सम्मान करेंगे.
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