पटना: बिहार के बेरोजगारों के लिए नौकरी का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. अन्य राज्यों ने अपने स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने के लिए कई प्रावधान लागू किए हैं. इससे बिहार के लोगों को बाहर नौकरी मिलना काफी मुश्किल हो गया है. खासकर ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियों के लिए बिहार के लोगों की परेशानियां काफी बढ़ गई है.
वहीं, बिहार में बाहर के लोगों को नौकरी मिलने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है. बीपीएससी से असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली और वर्तमान में हुए शिक्षकों के नियोजन इसका बड़ा और ताजा उदाहरण है.
अन्य राज्यों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता
देश के सभी लोगों को किसी भी राज्य में नौकरी करने का समान अधिकार है. अब तो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी लोग किसी भी राज्य से जाकर नौकरी कर सकते हैं. लेकिन, हाल के दिनों में हालात कुछ बदल गए हैं. झारखंड और कई अन्य राज्यों ने स्थानीय नीति लागू करके राज्य के स्थानीय लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है. इस वजह से बिहार के युवकों के लिए अन्य राज्यों में खासकर ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियां मिलनी मुश्किल हो गई है.
बिहार में स्थानीय लोगों को नौकरी का संकट
बिहार में नौकरी की भारी कमी के कारण यहां के बेरोजगार युवा बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों की ओर रुख करते हैं. बिहार में स्थानीय लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इस कारण बड़ी संख्या में अन्य राज्यों से लोग यहां नौकरी करने आ रहे हैं. ऐसे में बिहार के बेरोजगारों के लिए अन्य राज्यों सहित अपने राज्य में भी नौकरी का संकट सामने आ गया है.
एक समान व्यवस्था की मांग
इस बाबत बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने एक समान व्यवस्था बनाने की मांग की है. उनका कहना है कि जब कोई एक राज्य इस तरह का प्रावधान लागू करेगा, तो फिर अन्य राज्यों को भी इसी तरह का प्रावधान अपना लेना चाहिए या यह व्यवस्था खत्म होनी चाहिए.
देश के संघीय ढांचे में इस तरह का भेदभाव गलत- शिक्षा मंत्री
वहीं, शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने इस मामले को चिंता का विषय बताया. उन्होंने कहा कि यदि बिहार के लड़कों को अन्य राज्यों में अनुमति नहीं मिल रही है तो यह चिंता का विषय है. हमारे देश के संघीय ढांचे में इस तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक करके इस विषय की समीक्षा कर इसपर निर्णय लेने का आश्वासन दिया है.