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बिहार के बेरोजगारों के लिए अपने राज्य में भी नौकरी का संकट!

झारखंड और कई अन्य राज्यों ने स्थानीय नीति लागू करके राज्य के स्थानीय लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है. इस वजह से बिहार के युवकों के लिए अन्य राज्यों में खासकर ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियां मिलनी मुश्किल हो गई हैं.

बेरोजगारी
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Published : Sep 9, 2019, 2:25 PM IST

Updated : Sep 9, 2019, 3:32 PM IST

पटना: बिहार के बेरोजगारों के लिए नौकरी का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. अन्य राज्यों ने अपने स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने के लिए कई प्रावधान लागू किए हैं. इससे बिहार के लोगों को बाहर नौकरी मिलना काफी मुश्किल हो गया है. खासकर ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियों के लिए बिहार के लोगों की परेशानियां काफी बढ़ गई है.

वहीं, बिहार में बाहर के लोगों को नौकरी मिलने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है. बीपीएससी से असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली और वर्तमान में हुए शिक्षकों के नियोजन इसका बड़ा और ताजा उदाहरण है.

अपने हीं राज्य में बेरोजगारी का संकट

अन्य राज्यों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता
देश के सभी लोगों को किसी भी राज्य में नौकरी करने का समान अधिकार है. अब तो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी लोग किसी भी राज्य से जाकर नौकरी कर सकते हैं. लेकिन, हाल के दिनों में हालात कुछ बदल गए हैं. झारखंड और कई अन्य राज्यों ने स्थानीय नीति लागू करके राज्य के स्थानीय लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है. इस वजह से बिहार के युवकों के लिए अन्य राज्यों में खासकर ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियां मिलनी मुश्किल हो गई है.

बिहार में स्थानीय लोगों को नौकरी का संकट
बिहार में नौकरी की भारी कमी के कारण यहां के बेरोजगार युवा बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों की ओर रुख करते हैं. बिहार में स्थानीय लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इस कारण बड़ी संख्या में अन्य राज्यों से लोग यहां नौकरी करने आ रहे हैं. ऐसे में बिहार के बेरोजगारों के लिए अन्य राज्यों सहित अपने राज्य में भी नौकरी का संकट सामने आ गया है.

पटना
बीजेपी नेता नवल किशोर यादव

एक समान व्यवस्था की मांग
इस बाबत बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने एक समान व्यवस्था बनाने की मांग की है. उनका कहना है कि जब कोई एक राज्य इस तरह का प्रावधान लागू करेगा, तो फिर अन्य राज्यों को भी इसी तरह का प्रावधान अपना लेना चाहिए या यह व्यवस्था खत्म होनी चाहिए.

पटना
शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा

देश के संघीय ढांचे में इस तरह का भेदभाव गलत- शिक्षा मंत्री
वहीं, शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने इस मामले को चिंता का विषय बताया. उन्होंने कहा कि यदि बिहार के लड़कों को अन्य राज्यों में अनुमति नहीं मिल रही है तो यह चिंता का विषय है. हमारे देश के संघीय ढांचे में इस तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक करके इस विषय की समीक्षा कर इसपर निर्णय लेने का आश्वासन दिया है.

पटना: बिहार के बेरोजगारों के लिए नौकरी का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. अन्य राज्यों ने अपने स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने के लिए कई प्रावधान लागू किए हैं. इससे बिहार के लोगों को बाहर नौकरी मिलना काफी मुश्किल हो गया है. खासकर ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियों के लिए बिहार के लोगों की परेशानियां काफी बढ़ गई है.

वहीं, बिहार में बाहर के लोगों को नौकरी मिलने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है. बीपीएससी से असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली और वर्तमान में हुए शिक्षकों के नियोजन इसका बड़ा और ताजा उदाहरण है.

अपने हीं राज्य में बेरोजगारी का संकट

अन्य राज्यों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता
देश के सभी लोगों को किसी भी राज्य में नौकरी करने का समान अधिकार है. अब तो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी लोग किसी भी राज्य से जाकर नौकरी कर सकते हैं. लेकिन, हाल के दिनों में हालात कुछ बदल गए हैं. झारखंड और कई अन्य राज्यों ने स्थानीय नीति लागू करके राज्य के स्थानीय लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है. इस वजह से बिहार के युवकों के लिए अन्य राज्यों में खासकर ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियां मिलनी मुश्किल हो गई है.

बिहार में स्थानीय लोगों को नौकरी का संकट
बिहार में नौकरी की भारी कमी के कारण यहां के बेरोजगार युवा बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों की ओर रुख करते हैं. बिहार में स्थानीय लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इस कारण बड़ी संख्या में अन्य राज्यों से लोग यहां नौकरी करने आ रहे हैं. ऐसे में बिहार के बेरोजगारों के लिए अन्य राज्यों सहित अपने राज्य में भी नौकरी का संकट सामने आ गया है.

पटना
बीजेपी नेता नवल किशोर यादव

एक समान व्यवस्था की मांग
इस बाबत बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने एक समान व्यवस्था बनाने की मांग की है. उनका कहना है कि जब कोई एक राज्य इस तरह का प्रावधान लागू करेगा, तो फिर अन्य राज्यों को भी इसी तरह का प्रावधान अपना लेना चाहिए या यह व्यवस्था खत्म होनी चाहिए.

पटना
शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा

देश के संघीय ढांचे में इस तरह का भेदभाव गलत- शिक्षा मंत्री
वहीं, शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने इस मामले को चिंता का विषय बताया. उन्होंने कहा कि यदि बिहार के लड़कों को अन्य राज्यों में अनुमति नहीं मिल रही है तो यह चिंता का विषय है. हमारे देश के संघीय ढांचे में इस तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक करके इस विषय की समीक्षा कर इसपर निर्णय लेने का आश्वासन दिया है.

Intro:बिहार के बेरोजगारों के लिए नौकरी का संकट लगातार गहराता जा रहा है। पहले तो झारखंड समेत कई राज्यों ने अपने यहां स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए कई प्रावधान लागू किया जिससे राज्य के बाहर के लोगों को ग्रुप सी और डी की नौकरियां मिलना मुश्किल हो गया। हालांकि बिहार में बड़ी संख्या में बाहर के लोगों को नौकरी मिल रही है इसका बड़ा उदाहरण बीपीएससी से असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली और वर्तमान में शिक्षकों के नियोजन का मामला भी है।


Body:देश में कहीं भी किसी भी युवक को किसी राज्य में नौकरी करने का एक समान अधिकार है अब तो जम्मू कश्मीर और लद्दाख में भी किसी भी राज्य के युवक जाकर नौकरी कर सकते हैं लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह झारखंड और कई अन्य राज्यों ने स्थानीय नीति के तहत राज्य के लोगों को नौकरी में प्राथमिकता देना शुरू किया उसके बाद से विशेष रूप से बिहार के युवकों के लिए अन्य राज्यों में ग्रुप सी और डी की नौकरियां मिलना मुश्किल हो गया है सूत्रों की माने तो कई अन्य राज्य भी इस बारे में प्रावधान कर रहे हैं जिससे उस राज्य के बाहर के लोगों को नौकरी मिलना मुश्किल हो जाएगा। इसका सबसे बड़ा खामियाजा भुगतेंगे के बिहार के युवक और युवतियां, जो बड़ी संख्या में रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख करते हैं। क्योंकि बिहार में नौकरियों की भारी कमी है। हालांकि बिहार में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे बिहार के लड़कों को कुछ खास नौकरियों में प्राथमिकता मिले। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बीपीएससी से सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति का मामला और ताजा तरीन शिक्षकों के नियोजन का मामला है जहां बाहर के लड़के भी बड़ी संख्या में अप्लाई करने वाले हैं।
इस बाबत बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने एक समान व्यवस्था बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि जब कोई एक राज्य इस तरह का प्रावधान लागू करेगा तो फिर अन्य राज्यों को भी इसी तरह का प्रावधान अपना लेना चाहिए नहीं तो यह व्यवस्था खत्म होनी चाहिए कि जिस राज्य का युवक हो उसी राज्य में नौकरी करें। इससे देश के संघीय ढांचे को खतरा होगा।

बीजेपी ने जहां इस मामले में एक समान प्रावधान की मांग की है वह शिक्षा मंत्री ने मामले की समीक्षा करने का आश्वासन दिया है।


Conclusion:नवल किशोर यादव बीजेपी नेता
कृष्ण नंदन वर्मा शिक्षा मंत्री
Last Updated : Sep 9, 2019, 3:32 PM IST
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