पटना: तीन तलाक बिल पर जेडीयू के वॉकआउट करने पर लगातार सवाल उठ रहे है. विरोधी खेमे से कहा जा रहा है कि बीजेपी को फायदा पहुंचाने और मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए जेडीयू ने सदन से वॉकआउट किया.
'विरोध के लिए करनी चाहिए थी वोटिंग'
वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार का मानना है कि तीन तलाक बिल पर जेडीयू का विरोध सिर्फ एक दिखावा है. यह पार्टी की मजबूरी है कि वह बीजेपी के साथ सरकार में है और इन सभी विवादित मुद्दों पर वह विरोध कर रहे हैं. अगर नीतीश कुमार तीन तलाक बिल का वाकई विरोध करना चाहते थे तो सदन में बिल के विरोध में अपना वोट करते, जैसा उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान किया था.
'मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश'
बकौल संतोष कुमार जेडीयू ने मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए विरोध का दिखावा किया. नीतीश कुमार अगर भविष्य में बीजेपी के साथ छोड़ते हैं तो उस दौरान अपने मुस्लिम वोट के लिए वह इस बिल का विरोध कर रहे हैं. पहले भी तीन तलाक बिल पर लोकसभा राज्यसभा में बहस हुई है, लेकिन बिल पास नहीं हो पाया. इस बार भी जेडीयू और दूसरे दल जिन्होंने सदन से वॉक आउट किया उसके बजाए अगर वे बिल के विरोध में अपना वोट करते तो इस बार भी यह बिल पास नहीं हो पाता.
'समुदाय विशेष को पक्ष में करने की कोशिश'
वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ संजय कुमार का मानना है कि जेडीयू एक समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए बिल का विरोध किया. नीतीश कुमार सारे विवादित मुद्दों पर बीजेपी के खिलाफ हैं. पार्टी ने लोकसभा में बिल का विरोध किया. उनका यह कदम जताता हैं कि वे तीन तलाक बिल पर बीजेपी के खिलाफ हैं. लेकिन, राज्यसभा में बिल को लेकर वोटिंग की बारी आती है तो वे सदन से वॉकआउट कर जाते हैं जो कि प्रमुख कदम था.
'सदन से वॉकआउट दिखावा'
संजय कुमार ने कहा कि बिल का विरोध कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अल्पसंख्यक समुदाय को संदेश देना चाहते हैं कि हम आपके साथ हैं. जो भी विवादित मुद्दे हैं, जो आपके धर्म समुदाय से जुड़ा है वह हमारे साथ भी जुड़ा है. लेकिन, बिल का विरोध करके सदन से वॉकआउट कर जाना जेडीयू और सीएम नीतीश कुमार का सिर्फ एक दिखावा है.