पटना: सम्राट अशोक की जयंती को लेकर बिहार में खूब सियासत देखने को मिल रही है. बीजेपी के जयंती मनाने के बाद जेडीयू ने भी शनिवार को पटना में सम्राट अशोक की जयंती मनाई. वहीं आरजेडी के जयंती (Birth Anniversary of Emperor Ashoka) नहीं मनाने पर भी निशाना साधा गया. जेडीयू विधान पार्षद नीरज कुमार (JDU MLC Neeraj Kumar) ने सम्राट अशोक के बहाने हमलावर होते हुए पूछा कि आरजेडी सम्राट अशोक की जयंती मनाने से परहेज क्यों करती है, यह एक सवाल है.
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जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि तेजस्वी जवाब दें कि क्या सम्राट अशोक के इतिहास को आरजेडी गौरवशाली नहीं मानती या उनके वंशज के प्रति उनका स्नेह नहीं है, क्या वो उनके वंशज से घृणा करते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में सभी पार्टियां सम्राट अशोक को याद करती है, उन्हें सम्मान देती है, लेकिन आरजेडी बताए कि उसकी क्या मंशा है.
नीरज कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सम्राट अशोक के गौरवशाली इतिहास में वर्णित नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से बनाया, सब कुछ किया और विपक्ष के लोग सम्राट अशोक को चाहने वालों की कोई सुध नहीं लेते, पता नहीं उनका क्या विचार है. उन्होंने पूछा कि क्या आरजेडी अतीत की बातों पर विश्वास नहीं करती, या सम्राट अशोक के गौरवशाली इतिहास को भुलाने में लगी है. जेडीयू विधान पार्षद ने सम्राट अशोक के बहाने आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा कि कुशवाहा समाज के आदर्श सम्राट अशोक को आरजेडी नहीं मानती है, ये एक विडंबना है.
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अशोक की जाति से सियासी लाभ: बता दें कि बिहार की सियासत सालों से ऐसे ही समीकरणों से चलती रही है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि जल्द ही अशोक कुशवाहा समाज के एक बड़े हिस्से के नायक हो जाएंगे और बीजेपी ऐसा कर इस चुनाव में कुछ न कुछ तो फायदा उठा ही लेगी, लेकिन इतिहास का क्या कबाड़ा होगा और आगे का इतिहास कैसा बनेगा, इसकी चिंता फिलहाल किसी को नहीं है. सम्राट अशोक जैसे महान शासक को जाति के दायरे में लाकर खड़ा करना, उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने जैसा है, वह भी तब जब इतिहास में उनकी जाति को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं है.
कौन थे सम्राट अशोक: चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे. उनका पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य था. उन्होंने 269 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक राज किया था. 304 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र (पटना) में आखिरी सांस ली. उन्होंने अखंड भारत पर अपना शासन स्थापित किया था. हिंदू कुश की श्रेणी से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी और मैसूर तक उनका राज्य फैला हुआ था. आज के बांग्लादेश, अफगानिस्तान, ईरान तक अशोक का शासन था. सम्राट अशोक ने अपने जीवन में बहुत लड़ाईयां लड़ी और विजय हासिल की, लेकिन कलिंग युद्ध के बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ. फिर शांति, सामाजिक, प्रगति और धार्मिक राह पर चल निकले. बाद में बौद्ध धर्म को अपना लिया. किसी भी साहित्यिक और ऐतिहासिक स्रोतों में सम्राट अशोक की जाति के बारे में स्पष्ट उल्लेख नहीं है कि वह कुशवाहा जाति से थे.
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