पटना: इन दिनों राज्य की सियासत दलितों के इर्द-गिर्द घूम रही है. बिहार विधानसभा चुनाव में दलितों का मसीहा कौन है, इस बात के लिए आरजेडी और जेडीयू में होड़ लगी है. आरजेडी के दलित नेताओं के आरोपों पर एनडीए ने भी अपने दलित नेताओं को मैदान में उतारा.
नीतीश कुमार ने दलितों को सबसे अधिक सम्मान दिया
आरजेडी से दलित विधायकों ने सरकार पर चौतरफा हमला बोला. इससे जेडीयू खेमे में बेचैनी बढ़ गई. पार्टी की ओर से दलित कोटे के मंत्रियों को मैदान में उतारा गया. जेडीयू की ओर से भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, योजना एवं विकास मंत्री महेश्वर हजारी, परिवहन मंत्री संतोष निराला और अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री रमेश ऋषि देव ने आरजेडी के आरोपों पर पलटवार किया.
'दलितों के लिए 1700 करोड़ से ज्यादा का बजट'
भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलितों को पंचायतों में आरक्षण दिया. आज की तारीख में दलितों के लिए 1700 करोड़ से ज्यादा का बजट है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही दलितों के सबसे बड़े हिमायती हैं.
'सीएम नीतीश से बड़ा दलित का हिमायती नहीं'
योजना एवं विकास मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि सीएम नीतीश ने ही उदय नारायण चौधरी और जीतन राम मांझी को सम्मान दिया. उदय नारायण चौधरी को 10 सालों तक विधानसभा अध्यक्ष बनाया. जीतन राम मांझी के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी. सीएम नीतीश से बड़ा दलित का हिमायती हो नहीं सकता.
उदय नारायण चौधरी और श्याम रजक पर हमला
अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री रमेश ऋषि देव ने उदय नारायण चौधरी और श्याम रजक पर हमला बोला. मंत्री ने कहा कि उदय नारायण चौधरी मंत्री पद चाहते थे लेकिन नहीं मिला तो छोड़ कर चले गए. श्याम रजक भी सत्ता के खातिर अलग हो गए.
'गरीबों को मिला उनका वाजिब हक'
परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला ने कहा कि 15 साल के लालू यादव के शासनकाल में गरीब और दलितों के साथ जिस तरीके से अन्याय हुए उसे नीतीश कुमार के शासन ने खत्म किया. नीतीश शासनकाल में ही गरीबों को उनका वाजिब हक मिला और आज लोग सुकून से रह रहे हैं.