पटना: राज्य में डबल इंजन की सरकार के लाख दावों के बावजूद फिसड्डी रिकॉर्ड बिहार का पीछा नहीं छोड़ रहा है. पहले नीति आयोग की रिपोर्ट और अब पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट (PM Economic Advisory Council Report) में भी बिहार सबसे निचले पायदान पर है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद एक बार फिर नीतीश सरकार की किरकिरी हो रही है. वहीं, जदयू ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि किस तरीके के सूबे की शिक्षा को नीचा दिखाया गया है, वह समझ से परे है.
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साक्षरता दर के मामले में बिहार एक बार फिर बिछड़ गया है. प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार समिति के रिपोर्ट में बिहार निचले पायदान पर आया है. रिपोर्ट पर जदयू ने सरकार का बचाव किया है. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद (JDU spokesperson Arvind Nishad) ने कहा है कि नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में राज्य के 5 जिले शिक्षा के मामले में टॉप चुने गये हैं. शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बेहतर काम कर रहा है.
'राज्य में पिछले 16 सालों में शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है. वह अद्भुत है. बच्चियां जो स्कूल नहीं जाती थीं, वे अब लड़कों के सामान स्कूल जा रही हैं. स्कूल ड्रॉप आउट में भारी गिरावट आयी है. इस रिपोर्ट में किस तरीके से बिहार को नीचे दिखाया गया है. किस आधार नीति आयोग और पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद रिपोर्ट तैयार करती है, वह समझ से परे है.' :- अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता
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सबसे पहले आपको बताते हैं कि प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद की यह रिपोर्ट आखिर है क्या? दरअसल ये रिपोर्ट बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक सूचकांक के बारे में बताती है. इसका मतलब है एक बच्चे की बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक योग्यता कितनी है. रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि 10 साल से कम उम्र के बच्चों में बुनियादी शिक्षा और संख्यात्मक कौशल कितना है. 41 संकेतकों वाले पांच आधार इसमें शामिल हैं. ये पांच आधार हैं- शैक्षणिक बुनियादी ढांचा, शिक्षा तक पहुंच, बुनियादी स्वास्थ्य, सीखने के परिणाम और शासन.
पूरे भारत में राज्यों के विकास के विभिन्न स्तर और उनके बच्चों के अलग-अलग जनसंख्या के आकार को देखते हुए बेहतर विश्लेषण प्राप्त करने में सहायता के लिए राज्यों को विभिन्न स्तरों में वर्गीकृत किया गया है. पूरे देश में विभिन्न राज्यों को उनकी बाल जनसंख्या यानी 10 वर्ष और उससे कम आयु के बच्चे के आधार पर वर्गीकृत किया गया है. इस रिपोर्ट को इंस्टिट्यूट फॉर कॉम्पिटेटिवनेस ने तैयार किया है. इस रिपोर्ट में बड़े राज्यों की श्रेणी (Category of Large States) में पश्चिम बंगाल जहां सबसे ऊपर है, वहीं बिहार 18.23 अंक के साथ औसत से भी काफी नीचे है.
आधारभूत साक्षरता सूचकांक में बिहार निचले स्तर पर (Baseline Literacy Index Bihar on Lower) है. जाहिर है अब इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कहीं ना कहीं बिहार की सरकार और विशेष रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि नीति आयोग की रिपोर्ट में भी कई मायनों में बिहार की स्थिति बेहद खराब रही है. जिसे लेकर मुख्यमंत्री ने सवाल खड़े किए थे. अब विपक्ष का सवाल है कि क्या प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट को भी मुख्यमंत्री झूठलाएंगे. क्या इस रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े करेंगे.
सूबे की मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी के प्रवक्ता और पूर्व विधायक शक्ति सिंह यादव ने कहा कि बिहार में डबल इंजन नहीं, बल्कि ट्रबल इंजन की सरकार चल रही है. प्रदेश में लगातार शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य विभागों की स्थिति दिनों-दिन बदतर हो रही है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा देने की मांग की है.
"बिहार में डबल इंजन नहीं, बल्कि ट्रबल इंजन की सरकार चल रही है. लगातार बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य विभागों की स्थिति बदतर होती जा रही है. सरकार सिर्फ दावे करती है. मुख्यमंत्री को फौरन पद से इस्तीफा दे देना चाहिए."- शक्ति सिंह यादव, पूर्व विधायक, आरजेडी
हालांकि सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सरकार का बचाव किया है. बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि वर्ष 2005 से पहले जो बिहार की स्थिति थी, उससे कई गुना बेहतर स्थिति में बिहार है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को हम नहीं झूठला रहे हैं, लेकिन यह भी सच्चाई है कि हम बदतर स्थिति से बिहार को निकालकर लाए हैं और लगातार बेहतरी के प्रयास जारी हैं.
"रिपोर्ट को हम नहीं झूठला नहीं रहे हैं लेकिन यह भी सच्चाई है वर्ष 2005 से पहले जो बिहार की स्थिति थी, उससे कई गुना बेहतर स्थिति में बिहार है. एनडीए की सरकार प्रदेश को बदतर स्थिति से बाहर निकालने में कामयाब रही है. हम लोग लगातार बेहतरी के प्रयास कर रहे हैं. आने वाले दिनों में स्थिति और बेहतर होगी"- प्रेम रंजन पटेल, पूर्व विधायक, बीजेपी
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