पटना: झारखंड के चुनावी अखाड़े में कई राजनीतिक दल भाग्य आजमा रहे हैं. बिहार में एक-दूसरे के सहयोगी बीजेपी और जेडीयू झारखंड में अलग-अलग राहों पर है. झारखंड चुनाव में सीएम नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले नेताओं को स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर रखा गया है.
झारखंड में आमने-सामने हैं बीजेपी और जेडीयू
बिहार में एनडीए के दो बड़े घटक दल बीजेपी और जेडीयू झारखंड में आमने-सामने हैं बीजेपी अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए जोर आजमाइश कर रही है, तो जेडीयू भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश में है. पहले चरण के लिए जिन स्टार प्रचारकों की सूची जारी की गई है, इनमें केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और नित्यानंद राय के अलावा नंदकिशोर यादव और मंगल पांडे स्टार प्रचारक हैं. बिहार के बाकी बड़े नेताओं को स्टार प्रचारकों की सूची में जगह नहीं मिली है.
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नीतीश के करीबी नहीं है स्टार प्रचारक
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी बिहार में नीतीश कुमार के बाद नंबर दो के नेता माने जाते हैं. सुशील मोदी पर नीतीश कुमार के करीबी होने का आरोप भी लगता आया है. इसके अलावा कृषि मंत्री प्रेम कुमार सरीखे नेताओं को भी स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया गया. उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने इस मुद्दे पर अब तक कुछ नहीं कहा है. लेकिन प्रेम कुमार ने अपनी बात रखी है.
केंद्रीय नेतृत्व तय करता है स्टार प्रचारक
कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में मैंने झारखंड के 27 जिलों का दौरा किया था. अभी भी कई जिलों से नेता मुझे चुनाव प्रचार के लिए बुला रहे हैं. मैं उनके बुलावे पर चुनाव प्रचार में जरूर जाऊंगा. जहां तक स्टार प्रचारक बनाने का सवाल है तो यह केंद्रीय नेतृत्व तय करता है.
विपक्ष ने खड़े किए सवाल
विपक्ष ने बीजेपी के बड़े नेताओं को सूची में नहीं शामिल किए जाने पर सवाल खड़े किए हैं. हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि जो लोग नीतीश कुमार के नजदीकी हैं, उन्हें तवज्जो नहीं दी गई. सरयू राय ने अपनी पुस्तक का लोकार्पण नीतीश कुमार से कराया तो उनका टिकट कट गया और नीतीश कुमार के जो लोग करीबी हैं उन्हें स्टार प्रचारक नहीं बनाया गया. इससे साफ होता है कि बीजेपी और जेडीयू यानि पीएम मोदी और सीएम नीतीश के बीच कोई बड़े स्तर का मतभेद है.
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बीजेपी ने पेश की सफाई
पूरे मामले पर बीजेपी ने सफाई दी है. पार्टी प्रवक्ता नवल किशोर यादव ने कहा कि पार्टी जिस की उपयोगिता जहां समझती है उसे वहां लगाया जाता है. यह सब केंद्रीय नेतृत्व के जिम्मे है. वैसे कुछ लोगों को बिहार चलाने के लिए छोड़ दिया गया है.सभी नेता अगर दूसरे राज्य चले जाएंगे तो फिर बिहार का क्या होगा.