पटना: बिहार के पटना में बुधवार को पीएमसीएच में इंटर्न डॉक्टरों ने ओपीडी का रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद करा दिया (Intern doctors interrupt OPD service in PMCH) और एक भी पर्ची नहीं कटने दी. हालांकि इमरजेंसी में सेवाएं जारी है और इंटर्न चिकित्सक इमरजेंसी में काम कर रहे हैं, लेकिन ओपीडी सेवा पूरी तरह ठप कर दिया गया हैं. एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टर (MBBS Intern Doctor) की मांग है कि उन लोगों की स्टाइपेंड राशि बढ़ाकर कम से कम 30000 रुपये की जाए.
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मात्र 14700 रुपये मिलता है स्टाइपेंड: पीएमसीएच ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर के बाहर स्टाइपेंड बढ़ोतरी की मांग को लेकर धरने पर बैठी इंटर्न डॉ खुशबू ने बताया कि उन लोगों की स्टाइपेंड राशि बहुत कम है और बीते 5 वर्षों से इसका रिव्यू नहीं हुआ है, जबकि नियम कहता है कि प्रत्येक 3 वर्ष पर इसका रिव्यू किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि 14700 रुपये स्टाइपेंड के तौर पर उन लोगों को मिलता है जो बहुत कम है. उन्होंने कहा कि कम से कम उन्हें 12 घंटा इमरजेंसी में सेवाएं देनी पड़ती है. इसके अलावा वार्ड में राउंड भी उन लोगों को लगाना पड़ता है. इसके बाद भी जो स्टाइपेंड की राशि है वह दिहाड़ी मजदूर से भी कम है. उन्होंने कहा कि स्टाइपेंड राशि से कम ₹30000 होना चाहिए,क्योंकि महंगाई भी बीते 5 वर्षों में काफी बढ़ गई है और उन्हें गुजर-बसर करना मुश्किल हो रहा है.
स्टाइपेंड बढ़ाने को लेकर नहीं हुआ है रिव्यू: स्टाइपेंड राशि की बढ़ोतरी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टर प्रिंस ने बताया कि उनके सीनियर भी स्टाइपेंड बढ़ोतरी की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन किए और आश्वासन देकर छोड़ दिया गया. अब उनलोगों के साथ भी यही हो रहा है. इस बार उन लोगों ने निश्चय कर लिया है कि जब तक सरकार उन लोगों का स्टाइपेंड बढ़ाती नहीं है वह अपना प्रदर्शन इसी प्रकार जारी रखेंगे. डॉक्टर प्रिंस ने बताया कि प्रदेश में आईजीआईएमएस में इंटर्न को 26000 रुपये स्टाइपेंड मिलता है. वहीं पटना एम्स में 28000 हजार स्टाइपेंड मिलता है, जबकि उन लोगों को मात्र 15000 हजार के करीब मिलता है. उन्होंने कहा कि 2017 के बाद से अब तक स्टाइपेंड राशि बढ़ाने को लेकर रिव्यू नहीं हुआ है. उनलोगों को दैनिक मजदूर से भी उन लोगों को कम मेहनताना दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नई सरकार बनी है तेजस्वी यादव जैसे युवा नेता उप मुख्यमंत्री बने हैं जिनके पास स्वास्थ्य विभाग है ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि युवा स्वास्थ्य मंत्री युवा चिकित्सकों की भावनाओं को समझेंगे और उन लोगों के स्टाइपेंड बढ़ोतरी को लेकर निर्णय लेंगे.
''स्टाइपेंड राशि बहुत कम है और बीते 5 वर्षों से इसका रिव्यू नहीं हुआ है, जबकि नियम कहता है कि प्रत्येक 3 वर्ष पर इसका रिव्यू किया जाना चाहिए. 14700 रुपये स्टाइपेंड के तौर पर उन लोगों को मिलता है जो बहुत कम है'' -डॉ खुशबू, एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टर
विभाग के प्रधान सचिव तक ने सिर्फ आश्वासन दियाः एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टर सनी ने बताया कि स्टाइपेंड बढ़ोतरी की मांग को लेकर वह विभाग के प्रधान सचिव से लेकर सभी के पास जा चुके हैं, लेकिन सिर्फ आश्वासन दिया गया है और अब तक स्टाइपेंड राशि बढ़ी नहीं है. उन्होंने बताया कि अस्पताल के अधीक्षक से भी बात किए हैं और अधीक्षक ने आश्वासन दिया है कि वरीय अधिकारियों से वह बात कराएंगे. आइएमए और जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के भी वह सभी इंटर्न डॉक्टर संपर्क में हैं और सभी का उन्हें समर्थन प्राप्त हो रहा है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार उन लोगों की मांगे नहीं मानती है तो इसी प्रकार उन लोगों का प्रदर्शन जारी रहेगा और आने वाले दिनों में अस्पताल में सभी प्रकार की सेवाओं को ठप किया जाएगा. बुधवार के दिन अस्पताल में सभी प्रकार की ओपीडी सेवाएं बाधित है और सुबह से एक भी ओपीडी नहीं हुआ है और जब तक उन लोगों का स्टाइपेंड राशि बढ़ नहीं जाता है ओपीडी सेवा अस्पताल में शुरू नहीं होगी.
''स्टाइपेंड बढ़ोतरी की मांग को लेकर वह विभाग के प्रधान सचिव से लेकर सभी के पास जा चुके हैं, लेकिन सिर्फ आश्वासन दिया गया है और अब तक स्टाइपेंड राशि बढ़ी नहीं है. अस्पताल के अधीक्षक ने आश्वासन दिया है कि वरीय अधिकारियों से वह बात कराएंगे '' - डाॅ. सनी,एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टर
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