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Inside Story : बिहार में आसान नहीं होगी प्रशांत किशोर की राह, मुंह बाए खड़ी हैं ये चुनौतियां

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने सोमवार ट्विट कर नई घोषणा की और ये संकेत दिया कि वो दोबारा अपने गृह राज्य बिहार की जनता से (prashant kishor path will not be easy in) मुखातिब होंगे. जहां उनका सियासी आधार हो सकता है. आखिर क्या है प्रशांत किशोर का सियासी प्लान, पढ़ें

प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर
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Published : May 2, 2022, 5:26 PM IST

Updated : May 2, 2022, 5:44 PM IST

पटना: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prasahant Kishore Politics) ने सोमवार की शुरुआत एक ट्वीट के साथ की है, जिसमें ये संकेत दे दिया कि अब उनका अगला कदम क्या होगा? पीके ने इशारों ही इशारों में नई पार्टी बनाने के संकेत (pk hint about his politics) दिए हैं. हालांकि उन्होंने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि वह नए कदम को किस रूप में आगे लेकर बढ़ेंगे. लेकिन इतना तय है कि प्रशांत किशोर ने अपनी नई पार्टी का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है.

ये भी पढ़ें : राजनीति में एंट्री लेंगे PK! ट्वीट कर बोले- बिहार से होगी शुरुआत

सियासी पिच पर pk की एंट्री : दरअसल, सोमवार को एक ट्वीट से यह चर्चा शुरू हो गई कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके फिर से करेंगे बिहार से नई राजनीति की शुरूआत करने जा रहे है. उन्होंने कहा ''पिछले 10 साल के अनुभव के बाद 'रियल मास्टर' यानी जनता के पास जाने का समय आ गया है. शुरूआत बिहार से.'' मूल रूप से बिहार के रहने वाले प्रशांत किशोर भाजपा, फिर कांग्रेस, जेडीयू, टीएमसी समेत अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के चुनावी रणनीतिकार रह चुके हैं. किशोर अब दूसरों के लिए रणनीति नहीं बनाएंगे बल्कि राजनीति की नई शुरूआत करेंगे.

ये भी पढ़ें : pk की नई सियासी पिच नीतीश की मुश्किल बढ़ाएगी या तेजस्वी की राह में रोड़ा बनेगी?

PK के इस ट्वीट ने मचाई हलचल : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सोमवार को ट्वीट में कहा, ''लोकतंत्र में प्रभावशाली योगदान देने की उनकी भूख और लोगों के प्रति कार्य नीति तैयार करने में मदद करने का सफर काफी उतार चढ़ाव वाला रहा है. अब मुद्दों और जन सुराज के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए 'रियल मास्टर' यानी जनता के पास जाने का समय आ गया है. शुरूआत बिहार से.''

क्या होगा पार्टी का नाम? : प्रशांत किशोर के ट्वीट को देखें तो एक तरह से उनकी पार्टी का नाम जन सुराज हो सकता हैं. हालांकि इस ट्वीट के बाद ये कयास भर ही है. पार्टी किस रुप में होगी. उसका नाम क्या होगा. यह सब तो पीके के दिमाग में होगा. लेकिन यह सवाल जरुर है कि अभी बिहार में कोई चुनाव होने वाला नहीं है. बिहार विधान सभा का चुनाव 2025 में और लोकसभा का चुनाव 2024 में होना है. तो फिर प्रशांत किशोर ने ऐसा क्यों लिखा, 'शुरुआत बिहार से'? हालांकि हो सकता है कि बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. प्रशांत किशोर तीन साल पहले ही राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर एक या दो साल में अपनी पॉलिटिकल पार्टी लांच कर सकते हैं.

2024 की बिसात.. क्या होगी pk के सामने चुनौती? : बिहार की सियासत में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के सामने कई चुनौतियां हैं. सबसे पहले, अकेले कब तक चुनावी अखाड़े में टिक पाएंगे. क्योंकी बिना गठबंधन के पीके के लिए बिहार में पांव जमाना मुश्किल होगा. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी को बिहार की जनता ने नकार दिया. ऐसे में पीके के सामने बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी, मांझी की हम पार्टी और लोजपा रामविलास जैसी दिग्गज पार्टियां हैं, जो बिहार की सियासत में मजबूत पकड़ रखती हैं.

.. तो अब खुद के लिए बनाएंगे रणनीति: सवाल ये भी है कि पार्टी नेता के तौर पर काम करते हुए पीके सामने चुनौतियों की लंबी फेहरिस्त है. प्रशांत किशोर ने चुनावों में कई पार्टियों के लिए काम किया है. उनके गैर-बीजेपी दलों के साथ भी रिश्ते अच्छे हैं. कांग्रेस गठबंधन बनाने में भी उनका कांग्रेस के अंदर एक अहम रोल हो सकता था. हालांकि बात नहीं बन पाई ऐसे में माना जा रहा हैं कि दूसरों के लिए रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर अब खुद के लिए रणनीति बनाएंगे. कहा तो यह भी जा रहा है कि पीके बहुत जल्द बिहार का दौरा कर युवाओं और गैर राजनीतिक लोगों से मुलाकात करेंगे और नई राजनीतिक व्यवस्था तैयार करेंगे. लेकिन यह उनके लिए आसान नहीं होगा. क्योंकी लंबे समय के बाद बिहार लौटना और बिहार के लोगों से खुद को कनेक्ट करना मुश्किल होगा.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट? : ''एक वक्त था जब बिहार में लोग नेताओं के लिए बूथ लूटने का काम करते थे. लेकिन बाद में उन्हें लगा कि जब वह दूसरों के लिए ऐसा कर सकते हैं तो खुद राजनीति में क्यों नहीं आ जाएं और तब से बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की एंट्री हुईं. प्रशांत किसोर दूसरे के लिए रणनीति बनाते थे उन्हें लगा कि दूसरे दलों में आजादी नहीं है, लिहाजा उन्होंने पार्टी गठन का फैसला लिया. अब वह अपने लिए रणनीति बनाएंगे, कितना सफल होंगे इसके लिए वक्त का इंतजार करना होगा.'' - डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

पार्टी पूरी तरह आधुनिक और डिजिटल होगी : सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत किशोर की पार्टी पूरी तरह आधुनिक और डिजिटल होगी और जनसंपर्क करने के नए उन्नत तकनीक के साथ लॉन्च होगी. पार्टी का नाम क्या होगा फिलहाल इसको लेकर अब तक उन्होंने कुछ साफ नहीं किया है. लेकिन सूत्र बताते है कि पीके जल्द ही अपनी पॉलिटिकल पार्टी लांच करेंगे. सूत्रों के अनुसार पीके ने राज्य का दौरा करने की योजना बनाई है और सत्तारूढ़ भाजपा-जनता दल यूनाइटेड गठबंधन से दूर ही रहेंगे, क्योंकि उन्होंने नीतीश कुमार से मिलने से परहेज किया है.

प्रशांत किशोर के ट्वीट के बाद बिहार में सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है. आरजेडी (RJD)प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि प्रशांत किशोर (RJD on Prashant Kishor New Inning) बिहार के हैं, चुनावी रणनीतिकार हैं. कई राज्यों में उन्होंने कई दलों के लिए चुनाव की रणनीति बनाई है. कभी सफल हुए तो कभी आसफल भी हुए हैं. सुनने में आ रहा है कि वह पार्टी बनाएंगे, ठीक हैं.

''चुनाव में 32-32 हेलीकॉप्टर सत्ता पक्ष के लोगों ने उतार दिया था, तेजस्वी यादव अकेले ही चुनावी मैदान में थे. जिस तरह से सभी धर्म, जाति और वर्ग के लोगों ने तेजस्वी यादव का साथ दिया. इससे स्पष्ट हो गया कि बिहार में सभी वर्ग, धर्म और जाति के लोग तेजस्वी यादव को पसंद करते हैं. हालांकि, निश्चित तौर पर सबको अपनी पार्टी बनाने का अधिकार है. लेकिन बिहार में आरजेडी के सर्वमान्य नेता तेजस्वी यादव हैं. आरजेडी पर इसका कोई असर नहीं होगा. '' - मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता आरजेडी

बीजेपी ने कहा- 'Welcome' : बीजेपी (BJP) नेता और बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन (Bihar minister Nitin Naveen) ने कहा कि पहले भी प्रशांत किशोर बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल (BJP on Prashant Kishor New Inning) करते रहे हैं. लेकिन उससे उनका कोई सरोकार रहा नहीं है. चुनाव के लिए रणनीति बनाना अलग बात है, लेकिन उस पर अमल करने में बहुत मेहनत करनी होती है. राजनीति में उनका स्वागत है. नई पटकथा लिखना चाहते हैं लेकिन बात बनाने से नहीं होगा. उन्होंने 'बिहार बात की' (Baat Bihar ki) श्रृंखला शुरू करने की घोषणा की थी लेकिन वे बात बंगाल की करने लगे, कांग्रेस की बात करने लगे.

''कांग्रेस का दरवाजा बंद हो गया तो फिर से जन सुराज के माध्यम से बिहार की बात करने लगे. जनता के सामने क्लियर ही नहीं है कि प्रशांत किशोर करना क्या चाहते हैं. कभी बंगाल जाते हैं तो कभी कांग्रेस के दरवाजे पर जाते हैं. उसके बाद बिहार आते हैं और कहते हैं कि बिहार की बात करेंगे. बिहार की बात तो हम लोग कर रहे हैं. बिहार में तो हम लोग काम कर रहे हैं. नीतीश कुमार और तारकिशोर प्रसाद के नेतृत्व में बिहार मे काम हो रहा है. विकास योजनाओं को गति दी है. जन सुराज कहने से नहीं होगा, जनता से सरोकार करना होगा.'' - नितिन नवीन, मंत्री, बिहार सरकार

ये भी पढ़ें : दूसरों को सत्ता के शिखर पर स्थापित करने की 'अचूक' रणनीति बनाने वाले pk खुद राजनीति में क्यों हुए फेल, वजह ये तो नहीं?

5 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं pk : फिलहाल, तमाम सियासी बयानबाजी के बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर दो दिवसीय पटना दौरे पर हैं. पटना में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से मुलाकात करेंगे और अन्य दलों के भी कुछ प्रमुख नेताओं से मुलाकात करेंगे. सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पीके के बीच भविष्य की राजनीति को लेकर मंथन होगा. दूसरी तरफ, सूत्रों की माने तो प्रशांत किशोर 5 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखेंगे. उसी दिन वे अपने नए अभियान के बारे में जानकारी देंगे. हालांकि, तब तक वे राज्य में गैर राजनीतिक लोगों से मुलाकात करेंगे.

ये भी पढ़ें : ..तो क्या प्रशांत किशोर के जरिए नीतीश राजनीति की नई पटकथा लिख रहे हैं?

बड़ा धमाल करने की तैयारी में pk : कांग्रेस में बात न बनने के बाद प्रशांत किशोर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर राजनीति में बड़ा धमाल करने की तैयारी में हैं. चार साल पहले बिहार में उनका संक्षिप्त राजनीतिक कार्यकाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल के साथ शुरू हुआ था. तब उन्हें जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था लेकिन 16 महीने बाद ही उन्होंने मतभेद के बाद पार्टी छोड़ दी थी.

कौन हैं प्रशांत किशोर? : प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में बिहार के बक्सर जिले में हुआ था. उनकी मां उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की हैं, वहीं पिता बिहार सरकार में डॉक्टर हैं. उनकी पत्नी का नाम जाह्न्वी दास है, जो असम के गुवाहाटी में डॉक्टर हैं. प्रशांत किशोर और जाह्न्वी का एक बेटा है. प्रशांत किशोर के राजनीतिक जीवन की बात करें, तो वे 2014 में मोदी सरकार को सत्ता में लाने की वजह से चर्चा में आए थे. उन्हें एक बेहतरीन चुनावी रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता है. हमेशा से वह पर्दे के पीछे रहकर अपनी चुनावी रणनीति को अंजाम देते आए हैं लेकिन इस बार कांग्रेस में शामिल होकर उनकी नई राजनीतिक शुरूआत करने के संकेत लगाए जा रहे थे जिसे पीके ने स्वयं ही खारिज कर दिया.

ये भी पढ़ें : 'PK के नयी पार्टी बनाने से आरजेडी पर असर नहीं, बिहार की जनता ने तेजस्वी को मान लिया नेता'

ये भी पढ़ें : पीके पर बीजेपी के मंत्री का तंज- 'बात बिहार की' घोषणा करके बंगाल में काम करने लगे थे @pk'

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पटना: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prasahant Kishore Politics) ने सोमवार की शुरुआत एक ट्वीट के साथ की है, जिसमें ये संकेत दे दिया कि अब उनका अगला कदम क्या होगा? पीके ने इशारों ही इशारों में नई पार्टी बनाने के संकेत (pk hint about his politics) दिए हैं. हालांकि उन्होंने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि वह नए कदम को किस रूप में आगे लेकर बढ़ेंगे. लेकिन इतना तय है कि प्रशांत किशोर ने अपनी नई पार्टी का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है.

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सियासी पिच पर pk की एंट्री : दरअसल, सोमवार को एक ट्वीट से यह चर्चा शुरू हो गई कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके फिर से करेंगे बिहार से नई राजनीति की शुरूआत करने जा रहे है. उन्होंने कहा ''पिछले 10 साल के अनुभव के बाद 'रियल मास्टर' यानी जनता के पास जाने का समय आ गया है. शुरूआत बिहार से.'' मूल रूप से बिहार के रहने वाले प्रशांत किशोर भाजपा, फिर कांग्रेस, जेडीयू, टीएमसी समेत अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के चुनावी रणनीतिकार रह चुके हैं. किशोर अब दूसरों के लिए रणनीति नहीं बनाएंगे बल्कि राजनीति की नई शुरूआत करेंगे.

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PK के इस ट्वीट ने मचाई हलचल : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सोमवार को ट्वीट में कहा, ''लोकतंत्र में प्रभावशाली योगदान देने की उनकी भूख और लोगों के प्रति कार्य नीति तैयार करने में मदद करने का सफर काफी उतार चढ़ाव वाला रहा है. अब मुद्दों और जन सुराज के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए 'रियल मास्टर' यानी जनता के पास जाने का समय आ गया है. शुरूआत बिहार से.''

क्या होगा पार्टी का नाम? : प्रशांत किशोर के ट्वीट को देखें तो एक तरह से उनकी पार्टी का नाम जन सुराज हो सकता हैं. हालांकि इस ट्वीट के बाद ये कयास भर ही है. पार्टी किस रुप में होगी. उसका नाम क्या होगा. यह सब तो पीके के दिमाग में होगा. लेकिन यह सवाल जरुर है कि अभी बिहार में कोई चुनाव होने वाला नहीं है. बिहार विधान सभा का चुनाव 2025 में और लोकसभा का चुनाव 2024 में होना है. तो फिर प्रशांत किशोर ने ऐसा क्यों लिखा, 'शुरुआत बिहार से'? हालांकि हो सकता है कि बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. प्रशांत किशोर तीन साल पहले ही राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर एक या दो साल में अपनी पॉलिटिकल पार्टी लांच कर सकते हैं.

2024 की बिसात.. क्या होगी pk के सामने चुनौती? : बिहार की सियासत में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के सामने कई चुनौतियां हैं. सबसे पहले, अकेले कब तक चुनावी अखाड़े में टिक पाएंगे. क्योंकी बिना गठबंधन के पीके के लिए बिहार में पांव जमाना मुश्किल होगा. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी को बिहार की जनता ने नकार दिया. ऐसे में पीके के सामने बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी, मांझी की हम पार्टी और लोजपा रामविलास जैसी दिग्गज पार्टियां हैं, जो बिहार की सियासत में मजबूत पकड़ रखती हैं.

.. तो अब खुद के लिए बनाएंगे रणनीति: सवाल ये भी है कि पार्टी नेता के तौर पर काम करते हुए पीके सामने चुनौतियों की लंबी फेहरिस्त है. प्रशांत किशोर ने चुनावों में कई पार्टियों के लिए काम किया है. उनके गैर-बीजेपी दलों के साथ भी रिश्ते अच्छे हैं. कांग्रेस गठबंधन बनाने में भी उनका कांग्रेस के अंदर एक अहम रोल हो सकता था. हालांकि बात नहीं बन पाई ऐसे में माना जा रहा हैं कि दूसरों के लिए रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर अब खुद के लिए रणनीति बनाएंगे. कहा तो यह भी जा रहा है कि पीके बहुत जल्द बिहार का दौरा कर युवाओं और गैर राजनीतिक लोगों से मुलाकात करेंगे और नई राजनीतिक व्यवस्था तैयार करेंगे. लेकिन यह उनके लिए आसान नहीं होगा. क्योंकी लंबे समय के बाद बिहार लौटना और बिहार के लोगों से खुद को कनेक्ट करना मुश्किल होगा.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट? : ''एक वक्त था जब बिहार में लोग नेताओं के लिए बूथ लूटने का काम करते थे. लेकिन बाद में उन्हें लगा कि जब वह दूसरों के लिए ऐसा कर सकते हैं तो खुद राजनीति में क्यों नहीं आ जाएं और तब से बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की एंट्री हुईं. प्रशांत किसोर दूसरे के लिए रणनीति बनाते थे उन्हें लगा कि दूसरे दलों में आजादी नहीं है, लिहाजा उन्होंने पार्टी गठन का फैसला लिया. अब वह अपने लिए रणनीति बनाएंगे, कितना सफल होंगे इसके लिए वक्त का इंतजार करना होगा.'' - डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

पार्टी पूरी तरह आधुनिक और डिजिटल होगी : सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत किशोर की पार्टी पूरी तरह आधुनिक और डिजिटल होगी और जनसंपर्क करने के नए उन्नत तकनीक के साथ लॉन्च होगी. पार्टी का नाम क्या होगा फिलहाल इसको लेकर अब तक उन्होंने कुछ साफ नहीं किया है. लेकिन सूत्र बताते है कि पीके जल्द ही अपनी पॉलिटिकल पार्टी लांच करेंगे. सूत्रों के अनुसार पीके ने राज्य का दौरा करने की योजना बनाई है और सत्तारूढ़ भाजपा-जनता दल यूनाइटेड गठबंधन से दूर ही रहेंगे, क्योंकि उन्होंने नीतीश कुमार से मिलने से परहेज किया है.

प्रशांत किशोर के ट्वीट के बाद बिहार में सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है. आरजेडी (RJD)प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि प्रशांत किशोर (RJD on Prashant Kishor New Inning) बिहार के हैं, चुनावी रणनीतिकार हैं. कई राज्यों में उन्होंने कई दलों के लिए चुनाव की रणनीति बनाई है. कभी सफल हुए तो कभी आसफल भी हुए हैं. सुनने में आ रहा है कि वह पार्टी बनाएंगे, ठीक हैं.

''चुनाव में 32-32 हेलीकॉप्टर सत्ता पक्ष के लोगों ने उतार दिया था, तेजस्वी यादव अकेले ही चुनावी मैदान में थे. जिस तरह से सभी धर्म, जाति और वर्ग के लोगों ने तेजस्वी यादव का साथ दिया. इससे स्पष्ट हो गया कि बिहार में सभी वर्ग, धर्म और जाति के लोग तेजस्वी यादव को पसंद करते हैं. हालांकि, निश्चित तौर पर सबको अपनी पार्टी बनाने का अधिकार है. लेकिन बिहार में आरजेडी के सर्वमान्य नेता तेजस्वी यादव हैं. आरजेडी पर इसका कोई असर नहीं होगा. '' - मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता आरजेडी

बीजेपी ने कहा- 'Welcome' : बीजेपी (BJP) नेता और बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन (Bihar minister Nitin Naveen) ने कहा कि पहले भी प्रशांत किशोर बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल (BJP on Prashant Kishor New Inning) करते रहे हैं. लेकिन उससे उनका कोई सरोकार रहा नहीं है. चुनाव के लिए रणनीति बनाना अलग बात है, लेकिन उस पर अमल करने में बहुत मेहनत करनी होती है. राजनीति में उनका स्वागत है. नई पटकथा लिखना चाहते हैं लेकिन बात बनाने से नहीं होगा. उन्होंने 'बिहार बात की' (Baat Bihar ki) श्रृंखला शुरू करने की घोषणा की थी लेकिन वे बात बंगाल की करने लगे, कांग्रेस की बात करने लगे.

''कांग्रेस का दरवाजा बंद हो गया तो फिर से जन सुराज के माध्यम से बिहार की बात करने लगे. जनता के सामने क्लियर ही नहीं है कि प्रशांत किशोर करना क्या चाहते हैं. कभी बंगाल जाते हैं तो कभी कांग्रेस के दरवाजे पर जाते हैं. उसके बाद बिहार आते हैं और कहते हैं कि बिहार की बात करेंगे. बिहार की बात तो हम लोग कर रहे हैं. बिहार में तो हम लोग काम कर रहे हैं. नीतीश कुमार और तारकिशोर प्रसाद के नेतृत्व में बिहार मे काम हो रहा है. विकास योजनाओं को गति दी है. जन सुराज कहने से नहीं होगा, जनता से सरोकार करना होगा.'' - नितिन नवीन, मंत्री, बिहार सरकार

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5 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं pk : फिलहाल, तमाम सियासी बयानबाजी के बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर दो दिवसीय पटना दौरे पर हैं. पटना में प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से मुलाकात करेंगे और अन्य दलों के भी कुछ प्रमुख नेताओं से मुलाकात करेंगे. सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पीके के बीच भविष्य की राजनीति को लेकर मंथन होगा. दूसरी तरफ, सूत्रों की माने तो प्रशांत किशोर 5 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखेंगे. उसी दिन वे अपने नए अभियान के बारे में जानकारी देंगे. हालांकि, तब तक वे राज्य में गैर राजनीतिक लोगों से मुलाकात करेंगे.

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बड़ा धमाल करने की तैयारी में pk : कांग्रेस में बात न बनने के बाद प्रशांत किशोर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर राजनीति में बड़ा धमाल करने की तैयारी में हैं. चार साल पहले बिहार में उनका संक्षिप्त राजनीतिक कार्यकाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल के साथ शुरू हुआ था. तब उन्हें जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था लेकिन 16 महीने बाद ही उन्होंने मतभेद के बाद पार्टी छोड़ दी थी.

कौन हैं प्रशांत किशोर? : प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में बिहार के बक्सर जिले में हुआ था. उनकी मां उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की हैं, वहीं पिता बिहार सरकार में डॉक्टर हैं. उनकी पत्नी का नाम जाह्न्वी दास है, जो असम के गुवाहाटी में डॉक्टर हैं. प्रशांत किशोर और जाह्न्वी का एक बेटा है. प्रशांत किशोर के राजनीतिक जीवन की बात करें, तो वे 2014 में मोदी सरकार को सत्ता में लाने की वजह से चर्चा में आए थे. उन्हें एक बेहतरीन चुनावी रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता है. हमेशा से वह पर्दे के पीछे रहकर अपनी चुनावी रणनीति को अंजाम देते आए हैं लेकिन इस बार कांग्रेस में शामिल होकर उनकी नई राजनीतिक शुरूआत करने के संकेत लगाए जा रहे थे जिसे पीके ने स्वयं ही खारिज कर दिया.

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Last Updated : May 2, 2022, 5:44 PM IST
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