पटना: बिहार में देश का पहला शिल्प कला का म्यूजियम (Craft Art Museum) बनने जा रहा है और यह राजधानी पटना (Patna) में बनेगा. दरअसल, पटना के उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान को शिल्प कला का म्यूजियम बनाने की कवायद चल रही है. इसके लिए 6 क्राफ्ट सेंटर बनाए जा रहे हैं, जिसका 60 फीसदी काम पूरा हो चुका है. उपेंद्र महारथी संस्थान के प्रशासनिक भवन को पूरी तरह से संग्रहालय के लिए परिवर्तित किया जाएगा.
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म्यूजियम में शिल्प कला, लोक कला, पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाई जाएगी. उपेंद्र महारथी संस्थान के प्रशासनिक भवन को म्यूजियम का लुक देने के लिए इसे पूरी तरह हाईटेक किया जाएगा और इसके ऐसा लुक दिया जाएगा, जिससे यह काफी आकर्षित लग सकें. म्यूजियम बनाने का उद्देश्य है कि पर्यटकों को लोक कलाओं से जोड़ने और आकर्षित करने में मदद मिले और इसको लेकर म्यूजियम के संग्रहालय का इंटीरियर कैसा होगा, इसको लेकर इंटीरियर डिजाइनर और इंजीनियरों के साथ मिलकर प्लान तैयार किया जा रहा है.
शिल्प कला के लिए बन रहे देश के सबसे बड़े म्यूजियम को लेकर मॉडल तैयार हो गया है और इसमें गार्डन से लेकर सब कुछ है, जिससे यह खूबसूरत के साथ काफी आकर्षक लग सकें. उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान 3 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. ऐसे में इसके पूरे भू-भाग को डेवलप किया जा रहा है.
म्यूजियम को डेवलप करने के लिए प्रोजेक्ट में 30 करोड़ का फंड सिविल वर्क के लिए है और इसके तहत एक क्राफ्ट सेंटर के निर्माण के साथ अनुसंधान संस्थान के प्रशासनिक भवन का रिनोवेशन किया जाएगा. इसके साथ ही प्रशासनिक भवन को पूरी तरह से म्यूजियम के तौर पर परिवर्तित कर दिया जाएगा, उसके बाद 6.2 करोड़ की लागत से म्यूजियम के अंदर विभिन्न शिल्प कला, लोक कला, पेंटिंग इत्यादि की प्रदर्शनी लगाई जाएगी.
उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान से जुड़े एक अधिकारी ने जानकारी दी कि म्यूजियम जो बनेगा वह संस्थान के प्रशासनिक भवन में बनेगा और संस्थान में अभी काफी जमीन है. ऐसे में प्रशासनिक भवन को कहीं और शिफ्ट किया जाएगा और शिल्प अनुसंधान संस्थान चलता रहेगा. वर्तमान समय में यहां 14 विधाओं में सर्टिफिकेट कोर्स कराए जाते हैं और इसके लिए सभी विधाओं को मिलाकर कुल 98 सीटें हैं. शिल्प अनुसंधान संस्थान में जो 6 महीने के सर्टिफिकेट कोर्स कराए जाते हैं.
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''अपनी एक बैच में 5 अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण दे रहा हूं. वर्तमान सत्र में भी टेराकोटा आर्ट में काफी कुछ सिखा दिया है और अभी मिट्टी के दीये में डिजाइनिंग की आर्ट सिखा रहा हूं. टेराकोटा आर्ट में यक्षिणी बनाई है. इसके अलावा शंख और कई देवी-देवताओं की मूर्तियां भी बनाई हैं.''- शंकर कुमार, टेराकोटा आर्ट शिक्षक, शिल्प अनुसंधान संस्थान
''6 माह के कोर्स में उन्हें 16 प्रोजेक्ट बनाकर जमा करने होते हैं, जिसमें से 13 प्रोजेक्ट बनाकर जमा कर दिए हैं और अब मिट्टी के दीयों को जोड़कर डिजाइनिंग की आर्ट सीख रहीं हूं. हमारे बनाए उत्पाद उपेंद्र महारथी संस्थान द्वारा बाजार में बिक्री के लिए भेजे जाते हैं. कई बार जब कोई मेला लगता है तो उसमें उपेंद्र महारथी संस्थान के स्टॉल में हमें भी जाने का मौका मिलता है.''- पुष्पा, छात्रा, टेराकोटा आर्ट
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''सिक्की कला के बारीकियों के सभी डिजाइन सीख लिए हैं और कई प्रकार के उत्पाद भी बनाए हैं. जनवरी में 6 माह के कोर्स के लिए दाखिला लिया था, लेकिन कोरोना की वजह से बीच में कई दिनों तक संस्थान बंद रहा. ऐसे में संस्थान में जुलाई से दिसंबर के सेशन इस बार के लिए बंद रहा और अब बचे हुए कोर्स को पूरा कराया जा रहा है. मैं चाहती हूं कि जब यहां से कोर्स करके निकलूं तो कई और लोगों को इस कला में प्रशिक्षण दें सकूं और उसके बाद सिक्की कला के उत्पादों का एक छोटा उद्योग खोलूं और स्वरोजगार के साथ-साथ रोजगार सृजन का भी काम करूं.''- विजेता कुमारी, छात्रा, सिक्की कला