पटना: 28 फरवरी को बिहार का बजट 2022 (Bihar budget 2022) पेश होने वाला है और उस पर सबकी नजर है. सरकार तैयारी भी कर रही है, सभी क्षेत्रों से फीडबैक भी ली है. अभी नीति आयोग की रिपोर्ट भी पिछले दिनों आई थी, जिसमें बिहार को कई क्षेत्रों में फिसड्डी बताया गया था, उसकी भी चुनौती है. ऐसे में सरकार सात निश्चय पार्ट 2 की कई योजना को इस साल शुरू करने वाली है, जिसमें हर खेत को पानी पहुंचाने की योजना है. जिस पर बड़ी राशि खर्च होना है. शिक्षा, स्वास्थ्य और 20 लाख रोजगार देने के लिए खर्च की राशि बढ़ाना चुनौती बनी हुई है. इन सबको लेकर सरकार के लिए बजट आकार बढ़ाना मजबूरी (Increasing Budget Size is Big Challenge for Bihar Government) है.
ये भी पढ़ें- कोरोना से तबाह मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को 'बजट बूस्टर' की दरकार.. प्रदेश के डॉक्टर्स को बड़ी उम्मीदें
''बजट का आकार बढ़ाना बड़ी चुनौती है, क्योंकि सरकार नई टैक्सेस नहीं लगाने वाली है और कोरोना काल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार का खर्च बढ़ा है साथ ही जीएसटी में केंद्र सरकार को राजस्व वसूली अधिक हुई है. बावजूद राज्यों को जो राशि मिलना है उसमें काफी विलंब हो रहा है. डेफिसिट फाइनेंशियल जो स्थिति है उसमें सरकार के लिए बहुत ज्यादा स्कोप भी नहीं है, इसलिए बजट का आकार बढ़ाना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण तो होगा.''- प्रोफेसर एन के चौधरी, अर्थशास्त्री
''सरकार को बजट का आकार बढ़ाने के लिए मार्केट पर भरोसा करना होगा. मार्केट से कर्ज लेना होगा. वहीं, अपनी योजनाओं के लिए वर्ल्ड बैंक से भी सरकार कर्ज लेने का प्रयास कर सकती है. इसके अलावा 10 सालों के लिए केंद्र से भी विशेष मदद सरकार मांग सकती है.''- डॉक्टर विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट
सरकार की तैयारी लगातार हो रही है. जदयू मुख्य प्रवक्ता नीरज का कहना है कि कोरोना काल में सरकार पर वित्तीय खर्च बढ़ा है. कई तरह की योजनाओं में सरकार को राशि खर्च करनी पड़ी है. लोगों की मदद करनी पड़ी है और केंद्र से भी राजस्व में कमी आई है, लेकिन इसके बाद भी सरकार सभी चुनौतियों का सामना करेगी.
वित्त विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 31 दिसंबर को समाप्त हुए तीसरी तिमाही तक 1 लाख 9 हजार 131 करोड़ राजस्व सरकारी खजाने में जमा हो चुका है. पिछले वित्तीय वर्ष से इसकी तुलना करें तो इसी अवधि में पिछले साल 96722 करोड़ के करीब राजस्व संग्रह हुआ था. उस हिसाब से वर्तमान वित्तीय वर्ष में 13000 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हो चुका है. हालांकि दिसंबर तक बात करें तो राजस्व वसूली का जो लक्ष्य है वह 52 फीसदी के आसपास ही है. इसमें मार्च तक जरूर अच्छी खासी बढ़ोतरी की उम्मीद है. कोरोना की तीसरी लहर की समाप्ति के बाद पेट्रोल डीजल से होने वाली राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी. साथ ही स्टांप और निबंधन शुल्क और अन्य राजस्व में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है और यह सरकार के लिए अच्छे संकेत हैं.
सरकार ने जो जनता से वादा किया है उस पर भी काम करना है. वहीं नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद सरकार के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा साथ ही गरीबी उन्मूलन के कार्यों पर बड़ी राशि खर्च करना एक मजबूरी भी है. ऐसे में इन सब सेक्टर में बजट का आकार बढ़ाना होगा और यह सरकार के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि एक तरफ सरकार को आधारभूत संरचनाओं पर बड़ी राशि खर्च करनी है तो दूसरी तरफ लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करने के लिए भी राशि की जरूरत पड़ेगी.
ये भी पढ़ें- Bihar Budget में व्यापारियों की मांग- 'बैंक से लोन लेना हो आसान.. पेंशन और सुरक्षा पर भी ध्यान दे सरकार'
विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP