पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) के पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन (Patliputra Railway Station) को सभी ओर से जोड़ने वाली सड़कों के निर्माण में होने वाले खर्च से संबंधित रिपोर्ट नहीं दिए जाने को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने इससे जुड़ी भरत प्रसाद सिंह की जनहित याचिका (Public Interest Litigation) पर सुनवाई की. कोर्ट ने अधिकारियों की टीम को सड़क निर्माण पर होने वाले खर्चों संबंधित रिपोर्ट देने के लिए एक हफ्ते की मोहलत दी है.
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इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने पाटलिपुत्र स्टेशन के चारों तरफ से सड़क निर्माण में होने वाले व्यय का ब्यौरा देने का जिम्मा अधिकारियों की टीम को सौंपा था. इस टीम में राज्य के नगर विकास (Urban Development) व सड़क निर्माण (Road Construction Department) विभाग के प्रधान सचिव व रेलवे के अधिकारी शामिल हैं. कोर्ट ने अधिकारियों की इस टीम को सड़क निर्माण में होने वाले व्यय का ब्यौरा आज प्रस्तुत करने को कहा था लेकिन अधिकारी रिपोर्ट कोर्ट में जमा नहीं दे पाये.
कोर्ट ने राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर (Advocate General Lalit Kishor) को इन सभी अधिकारियों के साथ बैठक कर इस मामले पर विचार-विमर्श करने को कहा. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के नगर विकास विभाग, सड़क निर्माण विभाग के प्रधान सचिव व रेलवे अधिकारी की टीम को सड़क निर्माण में होने वाले खर्च का आकलन कर दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था.
कोर्ट को याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि पाटलिपुत्र स्टेशन का निर्माण तो काफी पहले ही हो गया था लेकिन वहां तक सभी ओर से पहुंचने के लिए सड़कें नहीं होने के कारण यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं. कोर्ट को यह भी बताया गया कि पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का आवागमन काफी पहले शुरू हो गया था लेकिन नागरिकों के लिए बुनियादी सुविधाएं अब तक नहीं मिल पायी हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी.