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गर्मी में बढ़ जाते हैं चक्कर आने के मामले, जानिए क्यों होता है ऐसा.. और क्या हैं इससे बचने के उपाय - बिहार न्यूज

सूबे में गर्मी का सितम जारी (Heat Wave continues in Bihar) है. अप्रैल महीने में ही मई जैसी गर्मी पड़ रही है. लोगों के शरीर से पसीना खूब निकल रहा है. ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि धूप में बाहर निकलने से परहेज करें. ज्यादा जरूरी हो तभी घरों से बाहर निकलें. थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें. सीजनल फलों का सेवन करें और डॉक्टरों ने गर्मी से बचने के लिए (Health Care in Summer Season) क्या-क्या उपाय बताए हैं. जाननें के लिए पढ़ें पूरी खबर..

सूबे में गर्मी का सितम जारी
सूबे में गर्मी का सितम जारी
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Published : Apr 6, 2022, 4:47 PM IST

पटना: बिहार में अप्रैल के महीने में ही मई जैसे (Heat Wave Increase in Bihar) हालात हो गए हैं. तापमान 40 डिग्री से ऊपर (Bihar Weather Update) रह रहा है. इस महीने की शुरुआत में ही दक्षिणी बिहार में लू की गर्म हवाएं चलनी शुरू हो गई हैं. इस मौसम में लोगों में चक्कर आने के मामले भी बढ़ जाते हैं, और जो लोग पहले से मिर्गी की बीमारी से ग्रसित हैं, उनमें मिर्गी का दौरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर क्या वजह है कि गर्मी के दिनों में चक्कर आने की घटनाएं बढ़ जाती है और उनसे बचाव के क्या उपाय हैं.

ये भी पढ़ें- Bihar Weather Update: बिहार में मार्च में सामान्य से 5 डिग्री अधिक चढ़ा पारा, गर्मी से हुए लोग परेशान

अप्रैल के महीने में ही मई जैसी गर्मी: पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल (Manish Mandal Superintendent of IGIMS Hospital) ने बताया कि (Doctors Tips for Summer) गर्मी के मौसम में वातावरण गर्म रहता है, और इसका प्रभाव शरीर पर पड़ता है. शरीर से पसीना काफी अधिक मात्रा में निकलता है, और पसीना के साथ-साथ शरीर में नमक और चीनी की भी कमी होती है. चीनी की अधिक कमी नहीं होती, लेकिन नमक की अधिक कमी हो जाती है. इसका असर ब्रेन पर पड़ता है. साल्ट की कमी की वजह से शरीर में लोगों को थकान महसूस होने लगता है.

गर्मी में शरीर से खूब निकलता है पसीना: शरीर में नमक की अधिक कमी हो तो शरीर में दर्द महसूस होने लगता है. इससे भी अधिक कमी हो तो शरीर में दर्द के साथ-साथ सर दर्द भी शुरू हो जाता है, और इससे भी अधिक कमी हो जाए, तब चक्कर आने लगता है. जब नमक की शरीर में काफी कमी हो जाती है और सोडियम लेवल ब्लड का 122 से 128 तक पहुंच जाता है, तब लोग बेहोशी की तरफ बढ़ते हैं. इसका मूल कारण है कि गर्मी से शरीर पर जो दबाव पड़ता है, तो शरीर में नमक की कमी हो जाती है. ऐसे में इस मौसम में शरीर का सोडियम लेवल मेंटेन रखने के लिए अधिक से अधिक सीजनल फलों का सेवन करना चाहिए.

'गर्मी में सीजनल फलों का सेवन करें, पानी वाले फल खासकर, खीरा, ककड़ी, तरबूज इत्यादि फलों का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए. सोडियम लेवल मेंटेन रखने के लिए घर में नमक और नींबू वाला पानी जिसे शिकंजी कहते हैं, वह बनाकर पी सकते हैं. कच्चे आम का शरबत पीना, इस मौसम में फायदेमंद होता है. नारियल का पानी और अन्य फलों के रस भी इस मौसम में लाभदायक होते हैं. डायबिटीज वालों को छोड़कर बाकी लोगों को इस मौसम में गन्ना का जूस पीना चाहिए. इससे शरीर में काफी एनर्जी मिलती है. शरीर में नेचुरल फॉर्म में इलेक्ट्रोलाइट जा सकता है.' - डॉ मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस

थोड़ा-थोड़ा पानी बार-बार पीते रहें: आईजीआईएमएस के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ ऋषभ कुमार (Rishabh Kumar Senior Physician at IGIMS) ने बताया अभी के समय अप्रैल का महीना ही शुरू हुआ है, और स्प्रिंग सीजन है, लेकिन गर्मी प्रचंड रूप से पड़नी शुरू हो गई है. ऐसे में लू से बचने के लिए जरूरी है कि समय-समय पर थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें, जिससे कि शरीर हाइड्रेटेड रहे. शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए ऐसे फलों का सेवन करें, जिसमें पानी की मात्रा प्रचुर मात्रा में होती है. इसके अलावा अभी के मौसम में दिन के समय कोशिश करें, कि जब सूर्य का तापमान अपने पिक पर होता है, उस समय घर से कम से कम ही निकलें. जब भी निकलें तो शरीर को पूरी तरह सूती कपड़े से ढ़ककर निकलें, और बाहर निकलने से पहले पानी पीकर निकले.

'मिर्गी की बीमारी में शरीर में एक झटका महसूस होता है, और व्यक्ति बेहोश हो जाता है. इस बीमारी में एक एग्रिवेटिंग फैक्टर होता है, और गर्मी इसका एक बड़ा कारण है. गर्मी अधिक पड़ती है, तब मिर्गी के मरीजों को विशेष सावधान रहना चाहिए. उन्हें धूप में बाहर निकलने से बचना चाहिए. मिर्गी के मरीजों को गर्मी के दिनों में शरीर का सोडियम लेवल मेंटेन रखने की कोशिश करनी चाहिए, और ठंडे कमरे में रहना चाहिए. मिर्गी के मरीजों को यदि समस्याएं बढ़ती है, तो अपने कंसलटेंट चिकित्सक से अविलंब संपर्क करना चाहिए. इस मौसम में सभी के लिए चाहे वह मिर्गी के मरीज हैं या नहीं, लेकिन उनके लिए जरूरी है कि धूप में बाहर निकलने से परहेज करें. नियमित पानी पीते रहें, फल खाते रहें, और तेल मसाले वाले भोजन या फिर अधिक मात्रा में मांस-मछली खाने से बचें.' - डॉ ऋषभ कुमार, आईजीआईएमएस के वरिष्ठ चिकित्सक

ये भी पढ़ें- Bihar Weather Update : लगातार बढ़ती जा रही सूरज की तपिश, गर्मी ने कई वर्षों का तोड़ा रिकॉर्ड

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पटना: बिहार में अप्रैल के महीने में ही मई जैसे (Heat Wave Increase in Bihar) हालात हो गए हैं. तापमान 40 डिग्री से ऊपर (Bihar Weather Update) रह रहा है. इस महीने की शुरुआत में ही दक्षिणी बिहार में लू की गर्म हवाएं चलनी शुरू हो गई हैं. इस मौसम में लोगों में चक्कर आने के मामले भी बढ़ जाते हैं, और जो लोग पहले से मिर्गी की बीमारी से ग्रसित हैं, उनमें मिर्गी का दौरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर क्या वजह है कि गर्मी के दिनों में चक्कर आने की घटनाएं बढ़ जाती है और उनसे बचाव के क्या उपाय हैं.

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अप्रैल के महीने में ही मई जैसी गर्मी: पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल (Manish Mandal Superintendent of IGIMS Hospital) ने बताया कि (Doctors Tips for Summer) गर्मी के मौसम में वातावरण गर्म रहता है, और इसका प्रभाव शरीर पर पड़ता है. शरीर से पसीना काफी अधिक मात्रा में निकलता है, और पसीना के साथ-साथ शरीर में नमक और चीनी की भी कमी होती है. चीनी की अधिक कमी नहीं होती, लेकिन नमक की अधिक कमी हो जाती है. इसका असर ब्रेन पर पड़ता है. साल्ट की कमी की वजह से शरीर में लोगों को थकान महसूस होने लगता है.

गर्मी में शरीर से खूब निकलता है पसीना: शरीर में नमक की अधिक कमी हो तो शरीर में दर्द महसूस होने लगता है. इससे भी अधिक कमी हो तो शरीर में दर्द के साथ-साथ सर दर्द भी शुरू हो जाता है, और इससे भी अधिक कमी हो जाए, तब चक्कर आने लगता है. जब नमक की शरीर में काफी कमी हो जाती है और सोडियम लेवल ब्लड का 122 से 128 तक पहुंच जाता है, तब लोग बेहोशी की तरफ बढ़ते हैं. इसका मूल कारण है कि गर्मी से शरीर पर जो दबाव पड़ता है, तो शरीर में नमक की कमी हो जाती है. ऐसे में इस मौसम में शरीर का सोडियम लेवल मेंटेन रखने के लिए अधिक से अधिक सीजनल फलों का सेवन करना चाहिए.

'गर्मी में सीजनल फलों का सेवन करें, पानी वाले फल खासकर, खीरा, ककड़ी, तरबूज इत्यादि फलों का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए. सोडियम लेवल मेंटेन रखने के लिए घर में नमक और नींबू वाला पानी जिसे शिकंजी कहते हैं, वह बनाकर पी सकते हैं. कच्चे आम का शरबत पीना, इस मौसम में फायदेमंद होता है. नारियल का पानी और अन्य फलों के रस भी इस मौसम में लाभदायक होते हैं. डायबिटीज वालों को छोड़कर बाकी लोगों को इस मौसम में गन्ना का जूस पीना चाहिए. इससे शरीर में काफी एनर्जी मिलती है. शरीर में नेचुरल फॉर्म में इलेक्ट्रोलाइट जा सकता है.' - डॉ मनीष मंडल, अधीक्षक, आईजीआईएमएस

थोड़ा-थोड़ा पानी बार-बार पीते रहें: आईजीआईएमएस के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ ऋषभ कुमार (Rishabh Kumar Senior Physician at IGIMS) ने बताया अभी के समय अप्रैल का महीना ही शुरू हुआ है, और स्प्रिंग सीजन है, लेकिन गर्मी प्रचंड रूप से पड़नी शुरू हो गई है. ऐसे में लू से बचने के लिए जरूरी है कि समय-समय पर थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें, जिससे कि शरीर हाइड्रेटेड रहे. शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए ऐसे फलों का सेवन करें, जिसमें पानी की मात्रा प्रचुर मात्रा में होती है. इसके अलावा अभी के मौसम में दिन के समय कोशिश करें, कि जब सूर्य का तापमान अपने पिक पर होता है, उस समय घर से कम से कम ही निकलें. जब भी निकलें तो शरीर को पूरी तरह सूती कपड़े से ढ़ककर निकलें, और बाहर निकलने से पहले पानी पीकर निकले.

'मिर्गी की बीमारी में शरीर में एक झटका महसूस होता है, और व्यक्ति बेहोश हो जाता है. इस बीमारी में एक एग्रिवेटिंग फैक्टर होता है, और गर्मी इसका एक बड़ा कारण है. गर्मी अधिक पड़ती है, तब मिर्गी के मरीजों को विशेष सावधान रहना चाहिए. उन्हें धूप में बाहर निकलने से बचना चाहिए. मिर्गी के मरीजों को गर्मी के दिनों में शरीर का सोडियम लेवल मेंटेन रखने की कोशिश करनी चाहिए, और ठंडे कमरे में रहना चाहिए. मिर्गी के मरीजों को यदि समस्याएं बढ़ती है, तो अपने कंसलटेंट चिकित्सक से अविलंब संपर्क करना चाहिए. इस मौसम में सभी के लिए चाहे वह मिर्गी के मरीज हैं या नहीं, लेकिन उनके लिए जरूरी है कि धूप में बाहर निकलने से परहेज करें. नियमित पानी पीते रहें, फल खाते रहें, और तेल मसाले वाले भोजन या फिर अधिक मात्रा में मांस-मछली खाने से बचें.' - डॉ ऋषभ कुमार, आईजीआईएमएस के वरिष्ठ चिकित्सक

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