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पटना हाईकोर्ट में वकीलों की सुविधाओं को लेकर सुनवाई, कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से जताई कार्रवाई की उम्मीद

पटना हाईकोर्ट में वकीलों के बुनियादी सुविधाओं को लेकर सुनवाई (Hearing on Basic Facilities of Lawyers in HC) हुई. वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की लोकहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ताओं की बुनियादी सुविधाओं को नकारा नहीं जा सकता है.

पटना हाईकोर्ट
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Published : Feb 11, 2022, 6:22 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट में राज्य की अदालतों में अधिवक्ताओं और उनके क्लाइंट और महिला अधिवक्ताओं के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की गई. वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की लोकहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के चीफ सेक्रेटरी को अपने स्तर से मामले पर कार्रवाई करने की उम्मीद जताई. कोर्ट ने साथ ही केंद्र सरकार को इस सम्बन्ध में अपना जवाब न्यायालय में दो सप्ताह के अंदर दायर करने का निर्देश दिया.

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वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने अपनी याचिका में कहा कि राज्य की अदालतों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है. राज्य में 1,20,000 से ज्यादा अधिवक्ता विभिन्न अधिवक्ता संघों में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन उनके लिए बुनियादी सुविधाएं जैसे- टेबल, कुर्सी, पीने की पानी की व्यवस्था आदि की आधारभूत संरचना नहीं है.

इस पर डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा कि अधिवक्ताओं की बुनियादी सुविधाओं को नकारा नहीं जा सकता है. अधिवक्ताओं के लिए आधारभूत संरचना बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की भागीदारी 60:40 के अनुपात में है. इस विषय पर केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया जा सकता.

खंडपीठ ने इस मामले में राज्य के चीफ सेक्रेटरी को हालात का ब्यौरा को लेकर कोर्ट में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 25 फरवरी 2022 को की जाएगी.

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वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने अपनी याचिका में कहा कि राज्य की अदालतों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है. राज्य में 1,20,000 से ज्यादा अधिवक्ता विभिन्न अधिवक्ता संघों में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन उनके लिए बुनियादी सुविधाएं जैसे- टेबल, कुर्सी, पीने की पानी की व्यवस्था आदि की आधारभूत संरचना नहीं है.

इस पर डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा कि अधिवक्ताओं की बुनियादी सुविधाओं को नकारा नहीं जा सकता है. अधिवक्ताओं के लिए आधारभूत संरचना बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की भागीदारी 60:40 के अनुपात में है. इस विषय पर केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया जा सकता.

खंडपीठ ने इस मामले में राज्य के चीफ सेक्रेटरी को हालात का ब्यौरा को लेकर कोर्ट में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 25 फरवरी 2022 को की जाएगी.

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