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2011 के सर्वे कानून पर पटना HC की सुनवाई, सरकार से मांगा जवाब

पटना हाईकोर्ट में संजय करोल की खंडपीठ ने 2011 में पारित सर्वे कानून पर सरकार से जवाब मांगा. सरकार के जवाबी हलफनामा में यह स्पष्ट है कि अधिकतम संसाधन मिलने के बाद सूबे के एक जिले में हवाई सर्वे और उसके बाद चकबंदी करने में करीब 2 साल लग जाएंगे.

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Published : Jan 25, 2020, 11:30 AM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट ने कैमूर किसान विकास समिति की जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान बिहार विधानमंडल से 2011 में पारित सर्वे कानून पर संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया है.

सर्वे कानून को लेकर मांगा जवाब
कोर्ट ने पूछा कि इस कानून को राज्य के चकबंदी कानून के विरोधाभासी होने के कारण असंवैधानिक क्यों नही घोषित किया जाए? सरकार के जवाबी हलफनामा में यह स्पष्ट है कि अधिकतम संसाधन मिलने के बाद सूबे के एक जिले में हवाई सर्वे और उसके बाद चकबंदी करने में करीब 2 साल लग जाएंगे.

31 जनवरी को अगली सुनवाई
इसको लेकर खण्डपीठ ने कहा कि यदि एक जिले में कृषि भूमि के चकबंदी करने में 2 साल लगेंगे, तो फिर 38 जिलों में तो कई साल लग जाएंगे. इस मामले पर अगली सुनवाई 31 जनवरी को होगी.

यह भी पढ़ें- पटना HC का फैसलाः नियोजित पंचायत शिक्षकों को मिलेगा EPF का लाभ

पटना: पटना हाईकोर्ट ने कैमूर किसान विकास समिति की जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान बिहार विधानमंडल से 2011 में पारित सर्वे कानून पर संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया है.

सर्वे कानून को लेकर मांगा जवाब
कोर्ट ने पूछा कि इस कानून को राज्य के चकबंदी कानून के विरोधाभासी होने के कारण असंवैधानिक क्यों नही घोषित किया जाए? सरकार के जवाबी हलफनामा में यह स्पष्ट है कि अधिकतम संसाधन मिलने के बाद सूबे के एक जिले में हवाई सर्वे और उसके बाद चकबंदी करने में करीब 2 साल लग जाएंगे.

31 जनवरी को अगली सुनवाई
इसको लेकर खण्डपीठ ने कहा कि यदि एक जिले में कृषि भूमि के चकबंदी करने में 2 साल लगेंगे, तो फिर 38 जिलों में तो कई साल लग जाएंगे. इस मामले पर अगली सुनवाई 31 जनवरी को होगी.

यह भी पढ़ें- पटना HC का फैसलाः नियोजित पंचायत शिक्षकों को मिलेगा EPF का लाभ

बिहार विधानमंडल से  2011 में पारित सर्वे कानून  पर पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब  देने का निर्देश दिया है। चीफ़ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कैमूर किसान विकास समिति की जनहित याचिका पर सुनवाई की।कोर्ट ने पूछा कि क्यों नहीं  इस क़ानून को राज्य के चकबन्दी  कानून के विरोधाभासी होने के कारण क्यों नही इसे असंवैधानिक घोषित किया जाए ? कोर्ट को बताया गया कि सरकार के जवाबी हलफ़नामा में यह स्पष्ट हैं कि अधिकतम संसाधन मिलने के बाद सूबे के एक ज़िले में हवाई सर्वे और उसके बाद चकबन्दी करने में करीब दो साल लग जाएंगे।इस पर खण्डपीठ ने पूछा कि यदि एक ज़िले में कृषि भूमि के चकबन्दी करने में दो साल लगेंगे,तो फिर 38 ज़िलों में तो कई साल लग जाएंगे।इस मामलें पर अगली सुनवाई 31जनवरी को होगी।
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