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गायघाट बालिका गृह कांड को लेकर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई, सरकार से 7 फरवरी तक पूरी स्थिति का मांगा ब्यौरा

गायघाट बालिका गृह कांड को लेकर (Gayghat Shelter Home Case) पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है. चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से 7 फरवरी तक पूरी स्थिति का ब्यौरा तलब करते हुए समाज कल्याण विभाग के अपर प्रधान सचिव को पार्टी बनाकर अपने स्तर से जांच करने का निर्देश दिया है. पढ़िए पूरी खबर..

गायघाट बालिका गृह कांड को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई
गायघाट बालिका गृह कांड को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : Feb 5, 2022, 2:25 PM IST

पटना: राजधानी पटना के गायघाट उत्तर रक्षा गृह (Gayghat Shelter Home Case) में रहने वाली 260 महिलाओं और लड़कियों की स्थिति और उनके हो रहे शोषण के मामले में पटना हाईकोर्ट में (Hearing In Patna High Court) सुनवाई हुई है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की डिवीजन बेंच ने इस मामले को काफी गम्भीरता से लिया है और राज्य सरकार से 7 फरवरी 2022 तक पूरी स्थिति का ब्यौरा तलब किया है. साथ ही कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के अपर प्रधान सचिव को पार्टी बना, उन्हें अपने स्तर से जांच करने का निर्देश दिया है.

ये भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट में एनएच-119 मामले पर हुई सुनवाई

अधिवक्ता मणि भूषण प्रताप सेंगर ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांंग करते हुए भारत के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है. उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा कि, यह बहुत ही दुःख और आश्चर्य की बात है कि जिन पीड़ित महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए उत्तर रक्षा गृह बना है, वहींं वे सुरक्षित नहीं हैं. वहां न तो उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं और न कोई सुरक्षा ही मुहैया कराई गई है. इससे भी आश्चर्यजनक यह है कि समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने उत्तर रक्षा गृह में लगे सीसीटीवी के फुटेज की जांच की और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पीडितों ने आधारहीन और झूठा आरोप लगाया है.

अधिवक्ता ने अपने पत्र में लिखा कि इस तरह की घटनाएं बहुत ही चिंताजनक है. विशेषकर इस प्रकार की महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए सरकारी संस्थानों में इस तरह मानवता के खिलाफ दुष्कृत्यों के विरुद्ध अगर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो ये संविधान के साथ खिलवाड़ माना जाएगा. उन्होंने 2018 में मुजफ्फरपुर बालिका गृह में हुई इसी प्रकार की घटना का जिक्र अपने पत्र में किया हैं. ये घटनाएं मानवता और सरकार के लिए बेहद शर्मनाक हैं. उन्होंने अपने पत्र में इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि, पीडितों द्वारा इन खुलासों के बाद भी अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. इन महिलाओं और लड़कियों को खाने और बिस्तर जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जाती थी. साथ ही उनका शोषण किया जा रहा था.

ये भी पढ़ें- गायघाट शेल्टर होम कांड: समाज कल्याण विभाग के दफ्तर में पीड़िता का बयान दर्ज

वहीं, अधिवक्ता सेंगर ने अपने पत्र में मानवता की रक्षा, संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के साथ महिलाओं के सम्मान, मर्यादा और रक्षा के लिए सीबीआई की जांच करा कर दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई किए जाने की जरूरत की बात कही है.

बता दें कि, आलमगंज थाना क्षेत्र के गायघाट स्थित शेल्टर होम से निकलकर एक युवती ने महिला रिमांड होम की अधीक्षिका बंदना गुप्ता पर सनसनीखेज आरोप लगाया था. महिला रिमांड होम से बाहर आने पर युवती सीधे महिला थाने में पहुंची, जहां उसने कई राज खोले. युवती ने बताया कि गायघाट स्थित शेल्टर होम की अधीक्षिका बंदना गुप्ता द्वारा सवासिनों को नशे की सुई देकर अवैध कारोबार करने पर मजबूर किया जाता है. इसी मामले को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है.

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पटना: राजधानी पटना के गायघाट उत्तर रक्षा गृह (Gayghat Shelter Home Case) में रहने वाली 260 महिलाओं और लड़कियों की स्थिति और उनके हो रहे शोषण के मामले में पटना हाईकोर्ट में (Hearing In Patna High Court) सुनवाई हुई है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की डिवीजन बेंच ने इस मामले को काफी गम्भीरता से लिया है और राज्य सरकार से 7 फरवरी 2022 तक पूरी स्थिति का ब्यौरा तलब किया है. साथ ही कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के अपर प्रधान सचिव को पार्टी बना, उन्हें अपने स्तर से जांच करने का निर्देश दिया है.

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अधिवक्ता मणि भूषण प्रताप सेंगर ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांंग करते हुए भारत के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है. उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा कि, यह बहुत ही दुःख और आश्चर्य की बात है कि जिन पीड़ित महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए उत्तर रक्षा गृह बना है, वहींं वे सुरक्षित नहीं हैं. वहां न तो उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं और न कोई सुरक्षा ही मुहैया कराई गई है. इससे भी आश्चर्यजनक यह है कि समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने उत्तर रक्षा गृह में लगे सीसीटीवी के फुटेज की जांच की और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पीडितों ने आधारहीन और झूठा आरोप लगाया है.

अधिवक्ता ने अपने पत्र में लिखा कि इस तरह की घटनाएं बहुत ही चिंताजनक है. विशेषकर इस प्रकार की महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए सरकारी संस्थानों में इस तरह मानवता के खिलाफ दुष्कृत्यों के विरुद्ध अगर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो ये संविधान के साथ खिलवाड़ माना जाएगा. उन्होंने 2018 में मुजफ्फरपुर बालिका गृह में हुई इसी प्रकार की घटना का जिक्र अपने पत्र में किया हैं. ये घटनाएं मानवता और सरकार के लिए बेहद शर्मनाक हैं. उन्होंने अपने पत्र में इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि, पीडितों द्वारा इन खुलासों के बाद भी अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. इन महिलाओं और लड़कियों को खाने और बिस्तर जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जाती थी. साथ ही उनका शोषण किया जा रहा था.

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वहीं, अधिवक्ता सेंगर ने अपने पत्र में मानवता की रक्षा, संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के साथ महिलाओं के सम्मान, मर्यादा और रक्षा के लिए सीबीआई की जांच करा कर दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई किए जाने की जरूरत की बात कही है.

बता दें कि, आलमगंज थाना क्षेत्र के गायघाट स्थित शेल्टर होम से निकलकर एक युवती ने महिला रिमांड होम की अधीक्षिका बंदना गुप्ता पर सनसनीखेज आरोप लगाया था. महिला रिमांड होम से बाहर आने पर युवती सीधे महिला थाने में पहुंची, जहां उसने कई राज खोले. युवती ने बताया कि गायघाट स्थित शेल्टर होम की अधीक्षिका बंदना गुप्ता द्वारा सवासिनों को नशे की सुई देकर अवैध कारोबार करने पर मजबूर किया जाता है. इसी मामले को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है.

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