पटना: बिहार स्वास्थ्य विभाग (Bihar Health Department) ने दावा किया है कि जीवन रक्षक टीका न्यूमोकोकल कन्ज्यूगेट वैक्सीन (Pneumococcal Conjugate Vaccine) (पीसीवी) के कारण प्रदेश के शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate in Bihar) में काफी कमी दर्ज की गई है. न्यूमोकोकल बैक्टीरिया के माध्यम से होने वाले निमोनिया और मेनिनजाइटिस जैसी बीमारी के खिलाफ पीसीवी टीका एक मजबूत बचाव है. सर्च विभाग की ओर से जानकारी दी गई कि 2000 में उच्च आय वाले देशों में सभी बच्चों के लिए यह उपलब्ध हो गया था, हालांकि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इस टीके की पहुंच नहीं हो पाई, यहां काफी बच्चे निमोनिया और मेनिनजाइटिस जैसी घातक बीमारियों की चपेट में है.
ये भी पढ़ें: ई-संजीवनी स्वास्थ्य पोर्टल पर रिकॉर्ड संख्या में टेली-परामर्श
राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण 4 (2015-16) के मुताबिक भारत में 5 साल से कम आयु के तकरीबन 178994 बच्चों की निमोनिया के कारण मृत्यु हो गई थी. दुनिया भर में हर साल 8 लाख बच्चों की इस घातक बीमारी से जान चली जाती है. यह दुनिया भर में किसी ऐसी बीमारी से जिसकी टीके से रोकथाम संभव है, उसमें मृत्यु का सबसे बड़ा आंकड़ा है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जानकारी दी गई कि भारत में पीसीवी की राष्ट्रव्यापी उपलब्धता की पहल एक मील का पत्थर है, जो देश के लाखों बच्चों को इस जानलेवा बीमारी से बचाने में सक्षम बनाएगी.
ये भी पढ़ें: 'स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाना राज्य सरकार का दायित्व', पटना हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
बिहार में निमोनिया के सबसे ज्यादा मामले: भारत में निमोनिया रोगियों का बड़ा हिस्सा रहता है और इस उद्देश्य से कि किसी भी बच्चे की निमोनिया से मौत ना हो, इसको लेकर 2017 में पीसीवी की चरणबद्ध उपलब्धता की पहल शुरू हुई. इस पहल से देश में हर साल पैदा होने वाले 90 फ़ीसदी से अधिक बच्चों तक टीके की पहुंच संभव हो पाई है और इसमें गेट्स फाउंडेशन की भागीदारी काफी महत्वपूर्ण साबित हुई है. अब तक देश में टीके की 60 मिलियन से अधिक खुराक दी जा चुकी है और सर्वे के अनुसार भारत में करीब 70 फ़ीसदी निमोनिया के मामले बिहार से आते हैं.
15 जिलों में पीसीवी टीका उपलब्ध: स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बिहार में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों के निमोनिया से होने वाली मौत का आंकड़ा 13 फ़ीसदी है लिहाजा यह जरूरी था कि बिहार के लोग इस टीके के महत्व के बारे में जानें और अपने बच्चों को टीका लगवाएं. गेट्स फाउंडेशन की मदद से पहले चरण में बिहार के 15 जिलों में पीसीवी टीका की उपलब्धता सुनिश्चित करा दी गई है और यह 15 जिले हैं अररिया, बेगूसराय, किशनगंज, कटिहार, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, वैशाली, मधेपुरा, मधुबनी, पूर्णिया, समस्तीपुर, सहरसा, सीतामढ़ी, शिवहर और सुपौल.
पीसीवी टीका से शिशु मृत्यु दर में कमी: स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह पीसीवी टीका बिहार के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर निशुल्क उपलब्ध है. दूसरे चरण में बिहार के बाकी बचे जिलों के सार्वजनिक अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर टीका उपलब्ध कराया जाएगा. टीके की पहली 2 प्राथमिक खुराक 6 और 14 हफ्ते में और बूस्टर खुराक 9 महीने में दी जाती है. जिन बच्चों को 2 महीने में पहली खुराक छूट जाती है उन्हें अभी भी डॉक्टर की सलाह के अनुसार टीका लगवाना चाहिए. स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बिहार में पीसीवी की उपलब्धता के कारण शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आई है.
ये भी पढ़ें: गजबे है बिहार! पहले रेलवे इंजन फिर पुल.. और अब पूरा सरकारी अस्पताल ही बेच डाला
सी ही विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP