पटना: पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे राजनीति में दूसरी बार चकमा खा गए. पहले ही वीआरएस लेने में उन्होंने जल्दबाजी दिखाई और उसके बाद पार्टी ज्वाइन करने में भी जल्दबाजी की. अब इस कारण उनका राजनीतिक भविष्य अधर में लटक गया है. बक्सर सीट भाजपा में जाने के बाद गुप्तेश्वर पांडे की मुश्किलें बढ़ गई है.
जेडीयू कोटे में नहीं गई बक्सर सीट
पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे बक्सर से चुनाव लड़ना चाहते थे. इसके लिए 5 महीने पहले नौकरी से उन्होंने वीआरएस भी ले लिया. वीआरएस लेने के कुछ दिनों के बाद जेडीयू की सदस्यता ग्रहण की. उन्हें उम्मीद थी कि बक्सर सीट जेडीयू कोटे में आएगी. आसानी से उस सीट से उन्हें पार्टी की उम्मीदवारी मिल जाएगी. लेकिन, जद्दोजहद के बाद भी बीजेपी ने बक्सर सीट छोड़ने से इनकार किया. आखिरकार वो सीट बीजेपी के कोटे में ही रही.
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बीजेपी से लड़ने की जुगत में गुप्तेश्वर पांडे
खबरों के मुताबिक बदली परिस्थितियों में गुप्तेश्वर पांडे बीजेपी से भी लड़ने के फिराक में हैं. बीजेपी में गुप्तेश्वर पांडे को लेकर भारी विरोध है. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के बड़े नेता उनकी इंट्री को लेकर लगातार मुखालफत कर रहे हैं. शाहपुर सीट को लेकर भी कयास लगाए जा रहे थे कि अगर ये सीट जेडीयू कोटे में जाती है, तो गुप्तेश्वर पांडे वहां से भी उम्मीदवार हो सकते हैं.
लोकसभा सीट लड़ना ही एकमात्र विकल्प
अब शाहपुर सीट का विकल्प भी अब खत्म हो चुका हैं. क्योंकि, शाहपुर बीजेपी के कोटे में है. अगर बीजेपी में गुप्तेश्वर पांडे को लेकर सहमति नहीं बनती है तो बाल्मिकीनगर लोकसभा सीट लड़ना ही उनके लिए विकल्प रह जाएगा.