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पटना: सावन में यहां लगता है भक्तों का तांता, मंदिर का शिवलिंग​​​​​​​ है आकर्षण का केंद्र

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Published : Jul 23, 2019, 3:11 PM IST

मंदिर परिसर में बना शिवलिंग श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है. जिसमें मां गौरी और महादेव की प्रतिमा एक साथ बनी हुई है. कहा जाता है कि यह शिवलिंग अपने आप प्रकट हुआ था. लोग दूर-दूर से इस विशेष शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं.

गौरीशंकर मंदिर पटना

पटना: राजधानी में गाय घाट के पास स्थित गौरी शंकर मंदिर सावन में श्रद्धालुओं के लिए एक खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां रोजाना सुबह से शाम तक हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने में जुटे रहते हैं.

शिवलिंग
शिवलिंग

शिवलिंग है आकर्षण का केंद्र
मंदिर परिसर में बना शिवलिंग श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है. जिसमें मां गौरी और महादेव की प्रतिमा एक साथ बनी हुई है. कहा जाता है कि यह शिवलिंग अपने आप प्रकट हुआ था. लोग दूर-दूर से इस विशेष शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं.

नंदी भगवान
नंदी भगवान

हर मुराद पूरी करते हैं नंदी भगवान
मंदिर के बीचों-बीच भगवान भोलेनाथ की सवारी यानी नंदी भगवान की प्रतिमा है. ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से नंदी के कान में कह कर अपनी मुराद मांगता है, वह जरूर पूरी होती है. सावन के महीने में खासकर कुवांरी कन्याएं योग्य वर पाने के लिए नंदी से मनोकामना मांगने जरूर आती हैं.

गौरीशंकर मंदिर पटना

मंदिर हटाने का किया था प्रयास
श्रद्धालु बताते हैं कि यह मंदिर अपने दामन में कई सौ साल पुराने इतिहास संजोए है. इसे पटना का बैद्यनाथ धाम भी कहा जाता है. बताया जाता है कि अंग्रेजों और मुगलों ने मंदिर को हटाने का काफी प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहे.

क्या कहते हैं पुजारी
मंदिर के वरिष्ठ पुजारी आचार्य जितेंद्र मिश्रा का कहना है कि यह मंदिर लगभग 400 साल पुराना है. हमारे पूर्वज इसी मंदिर में पूजा अर्चना कर जीवन व्यतीत करते थे. अंग्रेजों ने इस मंदिर को हटाने का काफी प्रयास किए लेकिन नाकाम रहे.

पटना: राजधानी में गाय घाट के पास स्थित गौरी शंकर मंदिर सावन में श्रद्धालुओं के लिए एक खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां रोजाना सुबह से शाम तक हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने में जुटे रहते हैं.

शिवलिंग
शिवलिंग

शिवलिंग है आकर्षण का केंद्र
मंदिर परिसर में बना शिवलिंग श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है. जिसमें मां गौरी और महादेव की प्रतिमा एक साथ बनी हुई है. कहा जाता है कि यह शिवलिंग अपने आप प्रकट हुआ था. लोग दूर-दूर से इस विशेष शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं.

नंदी भगवान
नंदी भगवान

हर मुराद पूरी करते हैं नंदी भगवान
मंदिर के बीचों-बीच भगवान भोलेनाथ की सवारी यानी नंदी भगवान की प्रतिमा है. ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से नंदी के कान में कह कर अपनी मुराद मांगता है, वह जरूर पूरी होती है. सावन के महीने में खासकर कुवांरी कन्याएं योग्य वर पाने के लिए नंदी से मनोकामना मांगने जरूर आती हैं.

गौरीशंकर मंदिर पटना

मंदिर हटाने का किया था प्रयास
श्रद्धालु बताते हैं कि यह मंदिर अपने दामन में कई सौ साल पुराने इतिहास संजोए है. इसे पटना का बैद्यनाथ धाम भी कहा जाता है. बताया जाता है कि अंग्रेजों और मुगलों ने मंदिर को हटाने का काफी प्रयास किया, लेकिन नाकाम रहे.

क्या कहते हैं पुजारी
मंदिर के वरिष्ठ पुजारी आचार्य जितेंद्र मिश्रा का कहना है कि यह मंदिर लगभग 400 साल पुराना है. हमारे पूर्वज इसी मंदिर में पूजा अर्चना कर जीवन व्यतीत करते थे. अंग्रेजों ने इस मंदिर को हटाने का काफी प्रयास किए लेकिन नाकाम रहे.

Intro:राजधानी पटना में कुछ ऐसे भी शिव मंदिर है जिसकी हिस्ट्री सालों पुरानी है यह मंदिर अपने दामन में कई पुरानी हिस्ट्री को संजोए हुए हैं, जिसमें गाय घाट स्थित गौरी शंकर मंदिर है, इस मंदिर की कई पौराणिक मान्यताएं हैं, जिसे पटना का बैद्यनाथ धाम भी कहा जाता है
पटना से शशि तुलस्यान की एक खास रिपोर्ट:--


Body:राजधानी पटना का सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक गौरी शंकर मंदिर जिसे पटना का बैद्यनाथ धाम भी कहा जाता है, मां गंगा के पास गाय घाट में अवस्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक खास आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, वह भी सावन के महीने में और भी इसका महत्व बढ़ जाता है, हजारों की संख्या में श्रद्धालु सुबह से शाम तक पूजा-अर्चना करने में जुटे रहते हैं, इस मंदिर में एक ही लिंग में मां गौरी और भगवान शिव की प्रतिमा बनी हुई है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह आप रूपी प्रकट हुए थे, जिसका इतिहास तकरीबन 400 साल पुराना है पटना गैजेटियर और मुगलकालीन इतिहास में भी इसका वर्णन है।

बताया जाता है कि गौरी शंकर मंदिर की शिवलिंग एवं गउ की प्रतिमा किसी के द्वारा स्थापित नहीं की गई बल्कि खुद ब खुद प्रगट हुई है ।
मंदिर के बीचो-बीच भगवान भोलेनाथ की सवारी नंदी की प्रतिमा है, ऐसी मान्यताएं हैं कि कोई भी श्रद्धालु सच्चे मन से नंदी के कान में कह कर अपनी मुराद मांगता है, वह पूरा होता है जो यह खास आकर्षण श्रद्धालुओं के बीच बना है, खासकर कुवांरी युवतीयां सावन के महीने में नंदी से मनोकामना पूर्ण करने को लेकर यहां आते हैं
मंदिर के वरिष्ठ पुजारी आचार्य जितेंद्र मिश्रा जो मिथिला के निवासी हैं, उनका कहना है कि यह गौरी शंकर मंदिर पटना के गंगा नदी के किनारे तकरीबन 400 साल से अधिक पुराना रहा है जो इनके पूर्वज भी यहां मंदिर में जा कर पूजा अर्चना कर अपना जीवन व्यतीत करते थे अंग्रेजों ने भी इस मंदिर को हटाने का काफी प्रयास किए लेकिन नाकाम रहे।


Conclusion: मुगलकालीन में भी इस मंदिर को हटाने का अथक प्रयास किया गया लेकिन शिवलिंग अपने ही स्थान पर अडिग रहा अब यह वर्तमान में मंदिर न्यास समिति बोर्ड से संचालित है


बाईट:-- आचार्य जितेंद्र मिश्रा,
वरिष्ठ पुजारी, गौरी शंकर मंदिर,
गायघाट, पटना
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