पटना: बिहार के पूर्व डीजीपी और लोकप्रिय आईपीएस अधिकारी अभ्यानंद (Former Bihar DGP Abhayanand) अब एक नई भूमिका में नजर आ रहे हैं. एक प्रशासनिक पदाधिकारी, एक शिक्षक के बाद अब एक लेखक की भूमिका में पूर्व डीजीपी अभ्यानंद (Former DGP Abhayanand In Role Of Writer) इन दिनों सामने आए हैं. उन्होंने अनबॉउंडेड अभयानंद- माय एक्सपेरिमेंट विथ लॉ, फिजिक्स, पुलिसिंग एंड सुपर थर्टी नाम से एक पुस्तक लिखी है. 397 पेज की यह पुस्तक पूरी तरह अंग्रेजी में है और रूपा पब्लिकेशन की तरफ से पुस्तक बाजार में आ रही है.
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बिहार के पूर्व डीजीपी ने अब एक नई भूमिका : पूर्व डीजीपी अभ्यानंद बताते हैं कि उनका जीवन मुख्यतः चार आयामों से गुजरा है जिसमें उन्होंने लॉ की पढ़ाई की है, फिजिक्स की पढ़ाई की है, उनका जो कुछ पुलिसिंग कैरियर का अनुभव रहा है और सुपर थर्टी में उन्होंने जो पढ़ाने का काम किया है. वो किताब में लिखा है. उन्होंने बताया कि इस पूरे पुस्तक को उन्होंने कई चैप्टर में लिखा है और सभी चैप्टर के माध्यम से एक प्रश्न किया है कि पुलिस क्या है और उसे ईमानदार क्यों होना चाहिए. इसका उत्तर ढूंढ़ा है. अपने पूरे करियर में कई मौलिक प्रश्नों का सामना किया है और मेरे जेहन में जो सवाल सामने आए हैंं, उन्हीं प्रश्नों का इसमें उत्तर है.
'पुलिसिंग करियर में मलाल सिर्फ एक चीज का ही रह गया कि इन्वेस्टिगेशन के लिए साइंटिफिक टेंपरामेंट पुलिस में वो जो देखना चाहते थे, वह अधिक डेवलप नहीं हो पाई. इच्छा थी कि इन्वेस्टिगेशन और प्रॉसीक्यूशन साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर हो और सिस्टम ऐसा बने कि अगर किसी केस में गवाह भी नहीं है तो साइंटिफिक एविडेंस के आधार पर कलप्रिट तक पहुंचा जा सके. इन्वेस्टिगेशन और प्रॉसीक्यूशन यह दो मुख्य काम है पुलिस का, बाकी लाठी चलाना, टियर गैस छोड़ना यह सब फोर्स का काम है.' - अभ्यानंद, बिहार के पूर्व डीजीपी
'अनुभव को पुस्तक में लिखा है' : अभ्यानंद बताते हैं कि उन्होंने यह सब तमाम अनुभव को पुस्तक में लिखा है और क्या कुछ एक्शन उन्हें कब सही लगा और कब गलत लगा, तमाम अनुभव पुस्तक में हैं. उन्होंने बताया कि जब वह एडीजी थे तो उन्होंने स्पीडी ट्रायल की शुरुआत की. क्योंकि उस समय क्राइम काफी बढ़ा हुआ था और क्राइम कंट्रोल के लिए स्पीडी ट्रायल जरूरी भी था. लेकिन जब वह डीजीपी बने तब उन्हें एहसास हुआ कि कैसा स्पीडी ट्रायल, जब इन्वेस्टिगेशन ही सही ढंग से नहीं है. इसके बाद उन्होंने प्रदेश के फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री यानी कि एफएसएल में साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन से जुड़े कई जरूरी उपकरण मंगाए. उन्होंने अपने डीजीपी अवधि के दौरान ही प्रदेश में मोबाइल टावर लोकेशन ट्रैक करने के उपकरण इंस्टॉल कराएं और इससे पहले प्रदेश में यह उपकरण नहीं था. उन्होंने अपने कार्यकाल में साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन को प्रमोट करने के लिए काफी कार्य किए और इन कार्यों से कई मामलों में कम समय में बेहतरीन नतीजे मिले.