पूर्णिया/भागलपुर: कोरोना वायरस और लॉकडाउन 2020 में इंसानी जीवन का हिस्सा बन गए हैं. कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई परिस्थितियों से हर एक शख्स की जिंदगी को हर तरह से प्रभावित किया है.
बच्चों के भविष्य की चिंता
लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर कामकाज छूटने पर अपने गांव लौटे. सरकार के आश्वासन के बाद भी गांवों में लोगों को रोजगार नहीं मिला. अब ये मजदूर कश्मकश में है कि ऐसी हालत में यहां रहे तो कैसे और नौकरी के अभाव में दूसरे प्रदेश जाएं तो कैसे. मौजूदा हालातों में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए भी ये प्रवासी मजदूर चिंतित रहे.
सरकारी स्कूलों में लॉकडाउन के दौरान भी नामांकन
इसके लिए ही राज्य सरकार ने सभी जिलों के सरकारी स्कूलों में लॉकडाउन के दौरान भी नामांकन प्रक्रिया जारी रखी. सरकारी आदेश के मुताबिक इस प्रक्रिया में पूर्वनिर्धारित कई नियमों में छूट दी गई. इसके तहत अब अभिभावक बिना टीसी के भी अपने बच्चों का एडमिशन करा सकते थे. इसी की मदद से प्रवासी मजदूरों ने अपने बच्चों का गांव के ही सरकारी स्कूलों में दाखिला कराया.
विशेष नामांकन पखवाड़ा अभियान
राज्य के हर जिले में 1-15 जुलाई तक विशेष नामांकन पखवाड़ा अभियान चलाया गया. इसके तहत पूर्णिया में 2 हजार 150 से अधिक स्कूलों का सर्वे किया गया. इस दौरान ग्रामीण और सेमी अर्बन इलाकों में डोर-टू-डोर सर्वे कर 53 हजार 499 स्टूडेंट्स का नामांकन लिया गया.
सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क एडमिशन
वहीं दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों के बच्चों की संख्या लगभग 361 थी तो दूसरे जिलों से आए प्रवासी मजदूरों के बच्चों की संख्या लगभग 2600 रही. इस तरह 2631 बच्चों का अलग-अलग सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क एडमिशन हुआ.
सरकारी स्कूल में दाखिले का बढ़ा आंकड़ा
आंकड़ों के मुताबिक बिहार के पूर्णिया में लगभग 3 हजार प्रवासी बच्चों ने गांवों के सरकारी स्कूल में दाखिला लिया. बीते साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2019 में ग्रामीण और सेमी अर्बन इलाके से करीब 31 हजार बच्चों ने दाखिला लिया था. लेकिन कोरोना काल में यह आंकड़ा बढ़कर 32 हजार को भी पार कर गया.
नामांकन की प्रक्रिया जारी
लॉकडाउन के दौरान गया में भी 29 हजार 854 छात्रों का एडमिशन हुआ जिसमें 12 हजार 234 प्रवासी मजदूरों के बच्चे शामिल हैं. हालांकि यहां ये बताना भी जरूरी है कि इन आंकड़ों में इजाफे की पूरी संभावना है, क्योंकि शिक्षा विभाग और विभिन्न सरकारी स्कूलों में नामांकन की प्रक्रिया अभी भी जारी है
प्रिंसिपलों ने भी निभाई अहम जिम्मेदारी
सरकारी स्कूलों में बच्चों के एडमिशन के सरकारी आदेश को पूरा करने के लिए स्कूल के प्रिंसिपलों ने भी अहम जिम्मेदारी निभाई. बिहार के पूर्णिया जिले के बियारपुर गांव में डोर टू डोर सर्वे के सकारात्मक परिणाम सामने आए. पिछले साल कक्षा 1-8 में 100 के करीब बच्चों ने नामांकन करवाया था, वहीं कोरोना काल नामांकन का यह आंकड़ा 231 के करीब पहुंच गया है.
बेहतर भविष्य की उम्मीद
शिक्षा के अपने इस मौलिक अधिकार के लिए देश के ये बच्चे पहले ही काफी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. शिक्षा के जरिए ही बच्चे अपना और देश का भविष्य संवार सकते हैं. ऐसे में ये आशा की जा सकती है कि सरकारी की ये मुहिम आने वाले समय में इन प्रवासी बच्चों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकेगी.