पटना: इस बार पद्म पुरस्कारों में बिहार से 8 दिग्गजों को चुना गया है. काफी लंबे अरसे बाद कला जगत में बिहार से किसी व्यक्ति को पद्मश्री से नवाजा गया है. ग्राफिक्स आर्ट जिसे छापा कला के नाम से जाना जाता है, उसके एक्सपर्ट रिटायर्ड प्रोफेसर श्याम सुंदर शर्मा को छापा कला के क्षेत्र में 50 वर्षों के उत्कृष्ट योगदान को देखते हुए सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया है.
'सम्मान पाकर हो रही है काफी खुशी'
पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत में प्रोफेसर श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि सम्मान पाकर उन्हें काफी खुशी हो रही है. यह सम्मान पूरे बिहार के कला जगत के लिए गौरव की बात है. प्रोफेसर श्याम सुंदर शर्मा को 80 वर्ष की आयु में पद्मश्री का सम्मान मिला है. प्रोफेसर शर्मा पटना विश्वविद्यालय के कला एवं शिल्प महाविद्यालय के प्राचार्य के पद से रिटायर हुए हैं.
'कला के क्षेत्र में प्रतिष्ठित सम्मान'
प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि कला के क्षेत्र में यह बड़ा ही प्रतिष्ठित सम्मान है. उन्होंने बताया कि इसके पहले आज से 40 साल पहले बिहार से कला जगत में उपेंद्र महारथी को पद्मश्री सम्मान मिला था, जिनके नाम पर आज उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान है. उन्होंने बताया कि समसामयिक कला के क्षेत्र में यह पहला पुरस्कार है. यह पूरे बिहार के मान सम्मान को आगे बढ़ाने वाला पुरस्कार है. उन्होंने कहा कि वह तो सिर्फ माध्यम है यह सम्मान पूरे कला जगत के लिए सम्मान है.
'कलाकार कभी रिटायर नहीं होता'
प्रोफेसर श्यामसुंदर शर्मा कला एवं शिल्प महाविद्यालय के प्राचार्य के पद से कई साल पहले रिटायर हो चुके हैं मगर कॉलेज की गतिविधियों में लगातार वह सक्रिय रहते हैं. वे कहते है कि एक कलाकार कभी रिटायर नहीं होता. वह प्राचार्य के पद से रिटायर हुए हैं मगर कलाकार के पद से कभी रिटायर नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि वह खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानते हैं क्योंकि उनके विद्यार्थी उन्हें बहुत स्नेह और आदर देते हैं.
बधाई देने वाले लोगों का लगा तांता
प्रोफेसर श्यामसुंदर शर्मा को पद्मश्री मिलने के बाद उनके आवास पर बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा है. पद्म श्री सम्मान के लिए बधाई देने पहुंचे वार्ड नंबर 22 के पूर्व पार्षद संजीव कुमार ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी हो रही है कि प्रोफेसर श्याम शर्मा को पद्मश्री का सम्मान मिला है. उन्होंने कहा कि इस सम्मान से न्यू पाटलिपुत्र कॉलोनी को एक नई पहचान मिली है.