पटना: बिहार के चंपारण की रहने वाली डॉक्टर नीतू कुमारी नूतन (Bihar Folk Singer Dr Neetu Kumari Nutan) अपनी सुरीली आवाज से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बिहार का नाम रोशन कर रही हैं. डॉ नीतू गायन ही नहीं बल्कि विभिन्न टेलीविजन चैनलों में बतौर एंकरिंग और जज का भी काम कर चुकी हैं. वहीं, ईटीवी भारत (ETV Bharat) से खास बातचीत के दौरान डॉ नीतू कुमारी नूतन ने बताया कि संगीत हमेशा से हितकारी रहा है. संगीत हमारा धरोहर है और साथ ही साथ राज्य की पहचान भी है. उन्होंने कहा कि हमारे राज्य की संस्कृति लोक संगीत के जरिए ही पहचानी जाती है.
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लोक कला संगीत के क्षेत्र में अपनी बहुमूल्य योगदान के लिए नीतू को विदेश में कई सम्मान व पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. डॉ नीतू कहती हैं कि माता-पिता ने जो ज्ञान दिया है, उसी के जरिए बिहार की पहचान को देश और विदेशों में रखने का काम करते हैं. उसी संस्कार से हमें पहचाना भी जाता है.
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गीतकार डॉ नीतू को मॉरीशस के राष्ट्रपति कैलाश प्रयाग ने 2013 में विदेशिया गायन के लिए सम्मानित किया था. वर्ष 2015 में ओमान मस्कट में भोजपुरी सम्मान से सम्मानित किया गया. वहीं, दुबई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ग्लोबल में नूतन को लोक संगीत के क्षेत्र में महेंद्र मिसाइल सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि लोक गायन मेरे लिए ईश्वर का वरदान है. बिहार के सांस्कृति पारंपरिक गीत को विदेशों में रखने का प्रयास किया. जिसके कारण लोक सांस्कृति को सम्मान मिला है. डॉ नीतू को 2019 में भिखारी ठाकुर का भी सम्मान मिल चुका है.
आपको बता दें कि डॉ नीतू कुमारी नूतन शुरुआती दौर से ही कला और लेखन में रुचि रखतीं हैं. बिहार की संस्कृति को लोक गायन के माध्यम से देश-विदेशों में भी रखने का काम करती हैं. जिससे कि बिहार के मान-सम्मान में चार चांद लग सके. इन्हें लोकविद सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि लोकगीत एक ऐसा गीत है जिसे बिहार और देश के लोग ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इस गाने को सुनते हैं.
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उन्होंने कहा कि कई लोगों के द्वारा लोक संस्कृति को क्षति भी पहुंची है. कुछ लोगों को रातों-रात स्टार बनने का सपना बिल्कुल गलत है. स्टार वही बन सकता है, जिसमें त्याग हो और अपने संस्कृति के प्रति प्रेम हो. उन्होंने भोजपुरी में अश्लीलता गाने को लेकर कहा कि भोजपुरी में उसको आगे लाया गया, जिसकी कोई जरूरत नहीं थी. कजरी, बरसाती समेत कई तरह-तरह की रस गीत संस्कृति में भरी हुई है. लेकिन कई लोग स्टार बनने के चक्कर में भोजपुरी में फूहड़ता लाकर भोजपुरी का नाम बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.
डॉ नीतू से जब पूछा गया कि बिहार सरकार से उन्हें अब तक कितने बार सम्मान मिला, तो उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि घर में ही कठिन परीक्षाएं दी जाती हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में देर से ही सम्मान मिला लेकिन सम्मानित किया गया. वर्ष 2013 में विदेश से मुझे सम्मान मिला. उसके बाद बिहार सरकार ने भी सम्मानित किया.
गीतकार डॉ नीतू ने बिहार के कलाकार और बिहार सरकार से कहा कि कलाकारों को भी अपने संस्कृति को बचाने के लिए आगे बढ़-चढ़कर निष्ठा पूर्वक काम करना चाहिए. सरकार को भी कला प्रेमियों के लिए आगे सोचना चाहिए. जिससे वे अपने क्षेत्र में आगे बढ़कर बिहार और भारत समेत विदेशों में भी नाम रोशन करें. साथ ही भोजपुरी गीत को अधिक से अधिक जाना जा सके.