पटना: बिहार सरकार ने बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश, 2022 जारी कर बिहार नगरपालिका से जुड़े जनप्रतिनिधियों के अधिकारों को छीनकर मेयर और डिप्टी मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव (Election of Mayor and Deputy Mayor) का फैसला लिया है. नए अध्यादेश से शहरी स्वायत्त शासन के शक्तियों के विकेंद्रीकरण की जगह केंद्रीयकरण होगा. पटना नगर निगम के पूर्व उपमहापौर रूप नारायण मेहता ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है.
पूर्व उपमहापौर रूप नारायण मेहता ने कहा कि बिहार सरकार के कैबिनेट में यह कानून पास कर दीं गई है लेकिन यह न्याय संगत नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री का चुनाव लोकसभा के सदस्य और मुख्यमंत्री का चुनाव विधानसभा के सदस्य करते हैं. ठीक उसी प्रकार से नगर निकाय चुनाव में निगम पार्षद ही महापौर और उप महापौर का चुनाव कर सकते हैं. अगर ऐसा नहीं होता है तो महापौर, उपमहापौर और निगम पार्षदों का चुनाव भी दलीय आधार पर होना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि यह बात सही है कि पार्षदों के द्वारा मेयर या डिप्टी मेयर का चुनाव में पैसों का बंदरबांट होता है लेकिन चुनाव अगर दलीय आधार पर हो तो निष्पक्ष वातावरण में भयमुक्त चुनाव होगा. नगर निकाय कानून में जो नया अध्यदेश की मंजूरी बिहार सरकार के कैबिनेट से पास होकर राजपाल द्वारा मंजूरी दी गई है, उसपर विचार करने की जरूरत है.
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